By विजयेन्दर शर्मा | Jan 20, 2022
पालमपुर। कारगिल युद्ध के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा की प्रतिमा का अनावरण प्रदेश के जिला कांगडा के पालमपुर में सेना छावनी इलाके में उनके माता-पिता जीएल बत्रा और कमल कांता बत्रा ने उत्तरी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी की उपस्थिति में किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल जोशी 13 जेएके आरआईएफ, कैप्टन बत्रा की करगिल युद्ध के दौरान रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे। कारगिल युद्ध के दौरान मरणोपरांत कैप्टन बत्रा को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने कैप्टन विक्रम बत्रा के अदम्य साहस को याद करते हुये कहा कि उन्होंने अपने जवानों को बहादुरी से लड़ने के लिए प्रेरित किया और अंततः प्वाइंट 5140 पर कब्जा कर लिया, जिसने द्रास सेक्टर में प्वाइंट 5100, प्वाइंट 4700, जंक्शन पीक और थ्री पिंपल पर जीत का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा, “बहादुर दिलों द्वारा किए गए बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा, जिन्होंने कर्तव्य की पुकार से परे जाकर अनुकरणीय साहस और अडिग दृढ़ संकल्प दिखाया।
इस मौके पर विक्रम बत्तरा के पिता जीएल बत्तरा ने भी अपने बेटे के जीवन की यादों को लोगों के साथ साझा किया। कैप्टन के पिता जी.एल. बत्रा कहते हैं कि उनके बेटे के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टीनेंट कर्नल वाय.के.जोशी ने विक्रम को शेर शाह उपनाम से नवाजा था । अंतिम समय मिशन लगभग पूरा हो चुका था जब कैप्टन अपने कनिष्ठ अधिकारी लेफ्टीनेंट नवीन को बचाने के लिये लपके। लड़ाई के दौरान एक विस्फोट में लेफ्टीनेंट नवीन के दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गये थे। जब कैप्टन बत्रा लेफ्टीनेंट को बचाने के लिए पीछे घसीट रहे थे तब उनकी की छाती में गोली लगी और माँ भारती का यह लाडला जय माता दी कहते हुये वीरगति को प्राप्त हुआ।
अपनी वीरता, जोश-जूनून, दिलेरी और नेतृत्व क्षमता से 24 साल की उम्र में ही सबको अपना दीवाना बना देने वाले इस वीर योद्धा को 15 अगस्त 1999 को वीरता के सबसे बड़े पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित गया जो उनके पिता जी.एल. बत्रा ने प्राप्त किया। जी एल बत्तरा बताते हैं कि जिस उम्र में युवाओं को अच्छे बुरे की पहचान भी नहीं होती उस उम्र में यानी 18 साल की उम्र में विक्रम ने नेत्र दान करने का निर्णय ले लिया था। उन्हें अपने बेटे पर गर्व है।
इस अवसर पर मेजर जनरल एमपी सिंह, जीओसी, दाह डिवीजन; कैप्टन बत्रा के शिक्षक आरएस गुलेरिया, सुमन मैनी और नीलम वत्स भी मौजूद थे।