अभिनंदन तो वापस वतन लौट आये, लकिन बेशर्म पाक ने स्कावड्रन लीडर अजय आहूजा नहीं छोड़ा था!

By रेनू तिवारी | Jul 24, 2019

 एक तरफ जहां थल सेना ने अदम्य साहस से कारगिल युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिये थे वहीं भारतीय वायुसेना का भी कारगिल में बड़ा योगदान रहा था। कारगिल पर विजय के लिए भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद चलाया। इस ऑपरेशन का मकसद था बॉर्डर पर पाकिस्तानी सेना ने कहां-कहां कब्जा किया हुआ है उसका पता लगाया जा सके। अब युद्ध हवा में होना था। हवाई जहाज से पाकिस्तानी सैनिको की पोजिशन का पता लगा कर उन्हें नष्ट करना था। ये जिम्मेदारी अब वायुसेना की थी। भटिंडा की ‘गोल्डन-एरोज़’ की स्क्वाड्रन में अजय आहूजा फ्लाइट कमांडर थे। 

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ऑपरेशन सफेद के चलते स्कावड्रन लीडर अजय आहूजा को ये जिम्मेदारी दी गई की वह LOC पर पाकिस्तानियों कि पोजिशन का पता लगाएं और सारी जानकारी दें। स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा ने आगे बढ़कर ये जिम्मेदारी ली और मिग-21 विमान को लेकर LOC पर चले गये। पोजिशन का पता लगाने के लिए वह बॉर्डर पर ही उड़ रहे थे। अभी उन्हें खबर लगी कि उनकी साथ आये साथी के मिग-27 विमान में आग लग गई जिसके कारण उन्हें नीचे कूदना पड़ा, ये सुनने के बाद स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा अपने साथी को बचाने के लिए पाकिस्तानी सीमा में दाखिल हो गये तभी एक आग का गोला आया जिससे उनके प्लेन में आग लग गई। मिग 21 जलने लगा और अजय ने पाकिस्तानी सीमा में छलांग लगा दी। एयरफोर्स से स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा का संपर्क पूरी तरह से टूट चुका था। पाकिस्तानी सैनिकों ने अजय आहूजा को पकड़कर बंधक बना लिया था और बाद में उन्हें गोली मार दी थी। स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा को मार कर पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र की जिनेवा-कनवेंशन का उल्लंघन किया था। भारत ने इसका कड़ा विरोध भी किया था। जिसके बाद पाकिस्तान ने झूठ बोला था कि अजय की मौत प्लेन से नीचे गिरकर हुई थी लेकिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तब सबकुछ साफ हो गया कि स्कावड्रन लीडर अजय आहूजा को बेहद करीब से गोलियां मारी गईं थी। स्कावड्रन लीडर अजय आहूजा को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

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अजय आहूजा का जन्म राजस्थान के कोटा में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट पॉल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, माला रोड कोटा, लड़कों के लिए एक प्रसिद्ध मिशनरी स्कूल से की। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 14 जून 1985 को भारतीय वायुसेना में उन्हें लड़ाकू पायलट नियुक्त किया गया। फाइटर पायलट के रूप में उन्होंने मिग -23 फाइटर-बॉम्बर और मिग -21 वेरिएंट का दौरा किया, साथ ही 1,000 घंटे से अधिक के इंस्ट्रक्शनल फ्लाइंग एक्सपीरिएंस में अब-इनिटियो पायलटों को पढ़ाने का अनुभव लिया। स्क्वाड्रन लीडर आहूजा 1997 में भटिंडा, पंजाब, भारत में किल्ली भिसियाना एयरबेस में तैनात थे। 

 

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