By Ankit Jaiswal | Dec 10, 2025
दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने के लिए सरकार ने सख़्त रुख अपनाया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि राजधानी में खुली जगहों पर कचरा या किसी भी प्रकार का दहन पूरी तरह प्रतिबंधित रहे। मौजूद जानकारी के अनुसार, अब खुली जलाने की गतिविधि पकड़े जाने पर जिला प्रशासन और एमसीडी द्वारा 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
बता दें कि प्रदूषण नियंत्रण के मद्देनज़र होटल, ढाबों और खुले रेस्तरां में तंदूर के लिए कोयला व लकड़ी के उपयोग पर भी पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने एयर (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन) एक्ट 1981 की धारा 31 (A) के तहत आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि कोयले आधारित पकवान स्थानीय स्तर पर धुएं और कण प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत बने हुए हैं। गौरतलब है कि यह कदम ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के स्टेज-I प्रावधानों के तहत उठाया गया है, जिसके अनुसार वायु गुणवत्ता बिगड़ने पर तत्काल उत्सर्जन को कम करने वाली कार्रवाइयाँ अनिवार्य हो जाती हैं।
वायु गुणवत्ता सूचकांक में मामूली सुधार दर्ज ज़रूर हुआ, लेकिन हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार मंगलवार को दिल्ली का कुल AQI 291 दर्ज किया गया, जो ‘poor’ श्रेणी में आता है। बुधवार सुबह भी बवाना में 283, अलीपुर में 264, जहांगीरपुरी में 313, बुराड़ी क्रॉसिंग में 272, पंजाबी बाग में 280 और आनंद विहार में 298 का स्तर दर्ज किया गया, जो अभी भी स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण बताया जा रहा है। शहरी निकायों को तत्काल निरीक्षण और कोयला-आधारित उपयोग बंद कराने के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।
सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे कचरा या सूखी पत्तियों को जलाने से बचें और प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रशासनिक सहयोग बनाएं। अधिकारियों का मानना है कि जनभागीदारी और नियमों के सख़्त अनुपालन से ही राजधानी की हवा की गुणवत्ता में वास्तविक सुधार देखा जा सकता है, क्योंकि वर्तमान स्तर स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है और इसी कारण प्रदूषण विरोधी उपाय तेज़ी से लागू किए जा रहे हैं।