सख्त इस्लामी कानून लागू करेगा तालिबान! लोगों के हाथों को काटने से लेकर फांसी देने तक की सजा इसमें शामिल

By निधि अविनाश | Sep 24, 2021

अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत होने के बाद से लोगों के अंदर डर बन गया है। बता दें कि अपनी वापसी के साथ ही तालिबान ने अब अपना कट्टर इस्लामी कानून लागू करने की घोषणा कर दी है। तालिबान के संस्थापकों में से एक और इस्लामी कानून के जानकार मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने ऐलान करते हुए कहा कि, जल्द ही देश में पुराने तरीके से दी जाने वाली सजाओं को लागू करने वाले है। इस कानून के तहत पहले की तरह लोगों को सजा के तौर पर हाथ काटने से लेकर फांसी देने तक शामिल है। तालिबान की सत्ता जहां पहले यह सजाएं सार्वजनिक तौर पर देती थी वहीं अब यह पर्दे की पीछे दी जाएगी। इसका ऐलान खुद इस्लामी कानून के जानकार मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने किया है। 

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तालिबान की नई सरकार से नाराज मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी 

समाचार एजेंसी एपी के साथ इंटरव्यू में बात करते हुए मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी ने उन सभी दावों को खारिज कर दिया है जिसमें फांसी की सजा को लेकर तालिबान ने नाराजगी जताई थी। इसके साथ ही तुराबी ने तालिबान की नई सत्ता के खिलाफ किसी भी प्रकार की साजिश रचने को लेकर दुनिया को चेताया है। अग्रेंजी अखबार TOI में छपी एक अखबार के मुताबिक, तालिबान की पिछली सरकार फांसी की सजा एक स्टेडियम में आयोजित करती थी जिसको देखने के लिए भारी संख्या में लोगों की भीड़ पहुंचती थी।

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जल्द लागू होगा यह कानून 

तालिबान के फांसी वाले सजा को लेकर कई आलोचलाएं हुई और इसपर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए तुराबी ने कहा कि, इन कानून को जल्द लागू किया जाएगा। हमने किसी के कानूनों की आलोचना नहीं की और न ही किसी के सजा के बारे में कुछ कहा। अपने कानून को कैसे रखना है और क्या होने चाहिए यह केवल हम तय करेंगे। इस कानून में इस्लाम का पूरा पालन होगा और कुरान पर अपने कानून तैयार करेंगे। बता दें कि तालिबान जल्द ही पुराने शासन की सजाओं को लागू करेगा। इस्लामी कानून के जानकार मुल्ला नूरुद्दीन तुराबी 60 साल के है और पिछली सरकार के दौरान वह  न्याय मंत्री और तथाकथित पुण्य प्रचार विभाग के उपाध्यक्ष थे। तुराबी के आदेश पर ही धार्मिक पुलिस किसी को भी पकड़कर सजा सुनाती है थी। उस समय पुरी दुनिया तालिबान की इस सजा की निंदा करता था। 

क्या होती है सजा? 

इस्लामी कानून के तहत आरोपियों को सजा के तौर पर सिर पर गोली मारी जाती थी औऱ यह गोली पिड़ित परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा चलाया जाता था। इसके अलावा, पिड़िच परिवार के पैसे लेकर समझौता किया जाता था। सजाएं सार्वजनिक होती थी लेकिन केस ट्रायल और दोषी ठहराने के सारे मुकदमे काफी गोपनिय किए जाते थे।

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