By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 10, 2022
चडीगढ़। इस साल का पंजाब विधानसभा चुनाव शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर बादल के लिये अग्नि परीक्षा के रूप में आया, क्योंकि उन्होंने अपने पिता और पार्टी के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल की सक्रिय भागीदारी के बिना 100 साल पुरानी पार्टी का संचालन करने की जिम्मेदारी संभाली। पंजाब में 2012 के विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल की जीत का श्रेय अक्सर सुखबीर बादल (59) को दिया जाता है।
सुखबीर 2008 में शिअद के अध्यक्ष बने और तब वह पार्टी के सबसे कम उम्र के प्रमुख थे। उनकी राजनीतिक पारी की शुरूआत करीब दो दशक से भी पहले हुयी जब वह फरीदकोट लोकसभा क्षेत्र से दो साल की अवधि में दो बार चुनाव जीते। सुखबीर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के मंत्रिमंडल में उद्येाग राज्य मंत्री थे। इसके बाद वह पंजाब के उप मुख्यमंत्री बने। यह उनका पहला चुनाव था, जब उन्होंने अपने पिता के साये से बाहर निकल कर पार्टी का नेतृत्व किया। सुखबीर के पिता प्रकाश सिंह बादल कोविड महामारी एवं अधिक उम्र होने के कारण कम ही सार्वजनिक रूप से दिखते हैं। इस बार शिरोमणि अकाली दल का सब कुछ दांव पर था और सुखबीर बादल अपनी पार्टी में नयी जान फूंकने की उम्मीद कर रहे थे।
साल 2017 में हुये पिछले विधानसभा चुनाव में सुखबीर बादल नीत पार्टी तीसरे स्थान पर चली गयी थी। पार्टी को तब राज्य की 117 सदस्यीय विधानसभा में सिर्फ 15 सीट पर जीत मिली थी। इस बार पार्टी का प्रदर्शन सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।अब तक पार्टी केवल दो सीट जीती है और एक पर आगे है। सुखबीर स्वयं भी जलालाबाद विधानसभा सीट से चुनाव हार गये हैं। कुछ ही महीने पहले पार्टी ने कृषि कानून के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के साथ मतभेद के बाद 24 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया था। इस चुनाव में पार्टी ने मायावती की अगुवाई वाली बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया था।
सुखबीर ने लगभग पूरे प्रदेश की यात्रा की और 2007 से 2017 के बीच उनकी पार्टी नीत सरकार द्वारा दस साल में किये गये विकास कार्यों की याद लोगों को दिलायी। इस बार पंजाब विधानसभा चुनाव में बहुकोणीय मुकाबला था और इसके लिये सुखबीर ने चुनाव से पहले ही उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी थी। इस बात को भी लेकर चुटकी ली गयी कि पार्टी में मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा। सुखबीर खुद को इस पद के दावेदार के तौर पर देख रहे थे। उन्होंने शिअद को पंजाब की ‘‘अपनी पार्टी’’ के तौर पर पेश किया था।
फिरोजपुर से सांसद सुखबीर ने अपने साले और पार्टी के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को अमृतसर पूर्व से मैदान में उतार दिया, जहां से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू चुनाव मैदान में थे।इसके बाद पूरे प्रदेश की नजर इस सीट पर टिक गयी। सुखबीर ने हिमाचल प्रदेश के सनावर स्थित लॉरेंस स्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने 1985 में पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। आगे की शिक्षा के लिये वह अमेरिका चल गये और उन्होंने 1991 में कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से एमबीए किया।
सुखबीर की पत्नी हरसिमरत कौर बादल नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री थीं, जिन्होंने कृषि कानूनों पर मतभेद के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। दोनों की दो बेटियां और एक बेटा है। सुखबीर बादल 1996, 1998 एवं 2004 में फरीदकोट से लोकसभा के लिये निर्वाचित हुये थे। वह 2009 में पंजाब के उप मुख्यमंत्री बने और उपचुनाव में जलालाबाद से विधायक निर्वाचित हुये। सुखबीर इसके बाद 2012 एवं 2017 में जलालाबाद से विधानसभा के लिये पुन: निर्वाचित हुए। उन्होंने 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और फिरोजपुर सीट से सांसद बने।