Vanakkam Poorvottar: Zubeen Garg Death Case में 'हत्या' के शक की सुई चचेरे भाई और Assam DSP Sandipan Garg की ओर, परत-दर-परत खुलते जा रहे नये नये राज

By नीरज कुमार दुबे | Oct 09, 2025

असम पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) और सीआईडी विभाग ने बुधवार को एक पुलिस अधिकारी और जुबीन गर्ग के निकट संबंधी को सिंगापुर में घटी उस घटना से जोड़कर गिरफ्तार किया है जिसमें प्रसिद्ध सांस्कृतिक शख्सियत की मौत हुई थी। गिरफ्ताार किए गए व्यक्ति का नाम संदीपन गर्ग हैं, जो जुबीन गर्ग के चचेरे भाई हैं और असम पुलिस सेवा (APS) के एक अधिकारी हैं। उन्हें कामरूप ज़िले में कानून एवं व्यवस्था के उप अधीक्षक के पद पर तैनात किया गया था। गिरफ्तारी के बाद असम सरकार ने उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया। वह जुबीन गर्ग के साथ सिंगापुर गए थे और उस स्थान पर उपस्थित थे जहाँ 52 वर्षीय गायक-निर्माता-कलाकार की मृत्यु 19 सितंबर को समुद्र में तैरते समय हुई थी।


हम आपको बता दें कि यह इस मामले में पांचवीं गिरफ्तारी है। सीआईडी ने पहले संदीपन से चार दिनों तक पूछताछ की थी और फिर गिरफ्तारी का निर्णय लिया। संदीपन गर्ग, जुबीन गर्ग के चाचा के बेटे हैं। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कामरूप (मेट्रोपोलिटन) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया और उन्हें सात दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया। इस मामले में पहले ही चार अन्य लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें शामिल हैं उत्तर पूर्व इंडिया फेस्टिवल (NEIF), सिंगापुर आयोजन के आयोजक श्यामकानु महंता, गायक का प्रबंधक सिद्धार्थ शर्मा, बैंडमेट शेखर ज्योति गोस्वामी और गायक अमृतप्रवा महंता। ये चारों वर्तमान में CID की हिरासत में हैं।

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जुबीन गर्ग की मौत के समय यह सभी सिंगापुर में एक यॉट पार्टी में शामिल थे। संबंधित परिस्थितियों को संदिग्ध मानते हुए CID ने पहले उकसाने, लापरवाही से मृत्यु और आपसी साजिश के तहत मामला दर्ज किया। बाद में इन चार लोगों से पूछताछ के बाद हत्या की धाराएँ भी लागू की गईं। श्यामकानु महंता के खिलाफ उनके गुवाहाटी आवास से जब्त दस्तावेजों और मोहरों के आधार पर वित्तीय अनियमितताओं के लिए अलग से मामला दर्ज किया गया।


SIT ने बुधवार को खुलासा किया कि सिंगापुर स्थित असम के 10 NRIs को ताज़ा समन जारी किया जाएगा। इससे पहले ही CID ने 11 लोगों को समन भेजे थे, जो सिंगापुर असम एसोसिएशन के सदस्य हैं, उनसे 6 अक्टूबर तक बयान दर्ज कराने को कहा गया था। बताया जा रहा है कि यॉट पार्टी में आठ NRIs उपस्थित थे, उनमें से अब तक केवल एक ही व्यक्ति असम आया और उसने अपना बयान दर्ज कराया है।


मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि आयोजनकर्ता श्यामकानु महंता के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियाँ जैसे कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग वित्तीय अनियमितताओं की जाँच करेंगी। उधर, जुबीन की पत्नी गरिमा गर्ग ने कहा कि संदीपन उनसे बहुत जुड़ा था और जुबीन “उसे बेहद प्यार करता था।” उन्होंने न्याय व्यवस्था पर भरोसा जताया और कहा कि परिवार को जवाब चाहिए।


देखा जाये तो जुबीन गर्ग की रहस्यमयी मृत्यु ने पूरे सांस्कृतिक जगत को हिला दिया है। इस केस में अब तक पांच गिरफ्तारियाँ हो चुकी हैं और उनमें सबसे संवेदनशील और विवादास्पद है एक पुलिस अधिकारी व गायक का चचेरा भाई संदीपन गर्ग। इस गिरफ्तारी ने न केवल जांच की दिशा को जटिल बना दिया है, बल्कि कई स्तरों पर सामाजिक-राजनीतिक प्रश्न भी खड़े कर दिए हैं।


सबसे पहले, आयोजनकर्ता श्यामकानु महंता और प्रबंधक सिद्धार्थ शर्मा को गिरफ्तार किया गया। यह अपेक्षित था, क्योंकि वह कार्यक्रम आयोजन तथा गायक के परिचालन से जुड़े थे। इसके बाद संगीतकार सहयोगी शेखर ज्योति गोस्वामी और गायिका अमृतप्रवा महंता को हिरासत में लिया गया। इन चार की गिरफ्तारी ने शुरुआती शक को कुछ पात्रों तक सीमित रखा था यानि- आयोजक, प्रबंधक और सहयोगी कलाकार। लेकिन अब, जब मामला परिवार और पुलिस तंत्र के स्तर तक पहुंच गया है तब संदीपन गर्ग की गिरफ्तारी यह दर्शाती है कि SIT आरोपों की सीमा को बढ़ा रहा है। यह कदम यह संकेत भी देता है कि जांच टीम स्रोतों और साक्ष्यों को बेहद गंभीरता से ले रही है।


यह ध्यान देने योग्य है कि संदीपन से पहले चार दिनों तक पूछताछ की गयी थी और उसके बाद में गिरफ्तारी हुई, इससे यह लगता है कि उसके बयान या कुछ साक्ष्य पूछताछ में सामने आए होंगे, जो SIT को उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त लगे।


संदीपन की गिरफ्तारी यह संकेत देती है कि जांच टीम ने इस केस को सतही स्तर से आगे बढ़ाया है वह उन लोगों तक पहुँची है जो घटना के समय साथ थे और संभवतः महत्वपूर्ण जानकारी या भूमिका रखते थे। यह बताती है कि SIT सिर्फ “नामों की गिरफ्तारी” नहीं कर रही, बल्कि गहन पूछताछ और साक्ष्य-संबंधों को सामने ला रही है।


साथ ही एक पुलिस अधिकारी की गिरफ्तारी से यह संदेश जाता है कि तंत्र खुद को जांच से नहीं बचाएगा। जनता अक्सर यही संदेह करती है कि पुलिस के भीतर के व्यक्ति मामलों से अछूते रह जाते हैं। यदि यह गिरफ्तारी उचित साक्ष्य एवं नियामक मानदंडों पर आधारित है, तो यह विश्वास बढ़ा सकती है कि कानून की आँख सभी पर एक समान है।


इस मामले में संवेदनशीलता बहुत अधिक है इसलिए अभियोजन पक्ष को सुनिश्चित करना ही होगा कि कार्रवाई न्यायिक प्रक्रिया और सबूतों पर आधारित हो। जुबीन गर्ग को न्याय तभी मिल पायेगा जब अदालत में केस मजबूती से खड़ा हो सके। इस संदर्भ में भविष्य की प्रगति, चार्जशीट की गुणवत्ता, गवाहों की सुरक्षा और मुकदमे की निष्कर्षता ही आगे का रास्ता तय करेगी।

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