By अनुराग गुप्ता | May 17, 2022
कीव। यूक्रेन और रूस के बीच जंग 2 महीने से भी ज्यादा दिनों से चल रही है। ऐसे में पूरे यूरोप का समीकरण बदल गया है और फिनलैंड, स्वीडन जैसे देश उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होना चाहते हैं। क्योंकि यह देश अपनी सुरक्षा को लेकर खासा चिंतित हैं। ऐसे में फिनलैंड और स्वीडन ने सदस्यता आवेदन जमा करने की पूरी तैयारी कर ली है। लेकिन स्वीडन और फिनलैंड को तुर्की के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। तुर्की का मानना है कि स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में शामिल होना रूस को उकसाएगा तथा यूक्रेन में युद्ध को और भड़काएगा।
फिनलैंड सरकार को मिला संसद का साथ
फिनलैंड की संसद ने इस देश की सरकार के नाटो में शामिल होने के प्रस्ताव को जबरदस्त समर्थन दिया है। मंगलवार को 200 सदस्यीय सदन में 8 के मुकाबले 188 सदस्यों ने पश्चिमी देशों के 30 सदस्यीय सैन्य संगठन की सदस्यता के लिए मतदान किया। हालांकि मतदान को औपचारिकता मात्र माना जा रहा है क्योंकि राष्ट्रपति साउली नीनिस्तो और प्रधानमंत्री साना मरीन ने नाटो में शामिल होने का अपना इरादा जाहिर कर दिया था।
फिनलैंड अब औपचारिक आवेदन पर हस्ताक्षर कर स्वीडन के साथ इसे नाटो मुख्यालय में जमा करेगा। दरअसल, नाटो के अधिकतर सदस्य देश जल्द से जल्द फिनलैंड और स्वीडन का स्वागत करने को उत्सुक हैं। हालांकि तुर्की पेंच फंसाना की कोशिश कर रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने फिनलैंड और स्वीडन को नाटो में शामिल किए जाने के अनुरोध पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने कुर्दिश उग्रवादियों और अन्य उन समूहों पर स्पष्ट रूख नहीं अपनाया जिन्हें तुर्की आतंकवादी मानता है।
स्वीडन और फिनलैंड के नेताओं से मिलेंगे बाइडेन
दोनों देशों के नाटो में शामिल होने की तत्परता को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन व्हाइट हाउस में स्वीडन की प्रधानमंत्री मैगडालेना एंडरसन और फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली नीनिस्तो की मेजबानी करेंगे। व्हाइट हाउस ने कहा कि सैन्य संगठन में शामिल होने के दोनों देशों के आवेदनों पर चर्चा की जाएगी।