अखुंदजादा को लेकर हो रहे तरह-तरह के दावों के बीच सामने आया चौंका देने वाला वीडियो, मदरसे का कर रहा था दौरा

By अनुराग गुप्ता | Nov 02, 2021

काबुल। अफगानिस्तान के काबुल में तालिबान की एंट्री के साथ ही सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा का नाम सामने आने लगा था। इसके बाद अखुंदजादा की मौत की खबर सामने आई लेकिन शनिवार को सामने आए वीडियो से साफ हो गया कि अखुंदजादा की मौत नहीं हुई है बल्कि मौत की खबर अफवाह थी। 

इसे भी पढ़ें: तालिबान के राजनयिक गुपचुप इस्लामाबाद में संभाल रहे कामकाज,पाकिस्तान ने दे दी मान्यता? 

सामने आए एक वीडियो के मुताबिक अखुंदजादा को उसके समर्थकों के साथ कंधार में देखा गया है। जहां पर वह मदरसे का दौरा करने गया था। हालांकि कुछ वक्त पहले एक रिपोर्ट सामने आई थी अखुंदजादा की साल 2020 में मौत हो चुकी थी।

गिर गई अमेरिकी समर्थित सरकार

साल 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान के राज के बाद वहां पर अमेरिकी प्रशासन समर्थित सरकार का गठन हुआ था। लेकिन अमेरिका की वापसी के साथ ही सरकार भी गिर गई और वापस से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया।

अमेरिकी ड्रोन हमले में अख्तूर मंसूर के मारे जाने के बाद साल 2016 में अखुंदजादा को तालिबान का प्रमुख नियुक्त कर दिया गया था। 15 अगस्त, 2021 में जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया तो कयास लगाए जाने लगे कि अखुंदजादा सामने आकर सरकार के गठन का ऐलान करेंगे। लेकिन किसी ने भी अखुंदजादा को नहीं देखा और फिर बाद में अखुंदजादा की मौत की खबर सामने आई थी। जिसे शनिवार को सामने आए वीडियो ने झुठला दिया। 

इसे भी पढ़ें: तालिबान का सिखों को अल्टीमेटम, इस्लाम कबूल कर लो या फिर देश छोड़ दो, IFFRAS ने जताई नरसंहार की आशंका 

चीन की न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने 1:13 सेकंड का वीडियो साझा किया। जिसमें अखुंदजादा दिखाई दे रहा है। पोस्ट के साथ एजेंसी ने लिखा कि तालिबान का सुप्रीम नेता हैबतुल्ला अखुंदजादा ने शनिवार को कंधार में दिखाई दिया और एक मदरसे का दौरा किया।

प्रमुख खबरें

टीम इंडिया में बड़ा फेरबदल: गिल बाहर, टी20 वर्ल्ड कप 2026 से पहले चयनकर्ताओं का चौंकाने वाला फैसला

भारत का 1 ट्रिलियन डॉलर निर्यात लक्ष्य मुश्किल, वैश्विक मंदी बनी बड़ी चुनौती

Odisha में माओवादी शीर्ष नेता गणेश उइके ढेर, गृह मंत्री अमित शाह बोले - नक्सल मुक्त भारत की ओर बड़ा कदम

17 साल बाद लौटे तारिक रहमान, बांग्लादेश की राजनीति में लोकतंत्र की रक्षा का नया दांव