अफगनिस्तान में गुरुद्वारों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे तालिबानी! सिख समुदाय के लिए सबसे बुरा समय

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 25, 2021

नयी दिल्ली।अफगान सिख सांसद नरेंद्र सिंह खालसा ने पूछा कि तालिबान ने कहा है कि वे अफगनिस्तान में गुरुद्वारों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे लेकिन जब इस युद्धग्रस्त देश से इस समुदाय के सभी लोग बाहर चले जाएंगे तो उनकी देखभाल कौन करेगा और सिख धार्मिक स्थलों और उनकी संपत्ति का क्या होगा? भारतीय वायु सेना के एक सैन्य विमान से रविवार को काबुल से यहां पहुंचे अफगान सांसद ने कहा कि अफगानिस्तान में सिख समुदाय के लिए यह सबसे ‘बुरा समय’ है। उन्होंने कहा, ‘‘ अफगानिस्तान में कभी 10 लाख सिख थे। अब केवल सैंकड़ों की संख्या में ही रह गए हैं और वे भी अब देश छोड़ रहे हैं।’’

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खालसा ने कहा, ‘‘ अब हमारे गुरुद्वारों का क्या होगा? यही बात हमें सबसे ज्यादा तकलीफ़ देती है। हालांकि, तालिबान ने कहा है कि वे उसे कोई नुक़सान नहीं पहुंचाएंगे।’’ सांसद के अनुसार, मौजूदा समय में अफगानिस्तान में करीब 72 गुरुद्वारे हैं। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 16वीं शताब्दी की शुरुआत में अफगानिस्तान गए थे और वहां इसकी नींव रखी थी। खबरों के अनुसार, अफगानिस्तान में 1970 तक कम से कम दो लाख सिख और हिंदू थे। देश में अभी करीब 300 अफगान सिख और हिंदू हैं, जिनमें से कम से कम 60 को भारत लाया गया है। लोगों को निकालने की प्रक्रिया 16 अगस्त को शुरू हुयी थी। इसके एक दिन पहले ही काबुल पर तालिबान कब्जा करने में सफल रहा। अफगान सांसद ने कहा, ‘‘ कुछ सांसद संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और अमेरिका चले गए। कुछ तालिबान में शामिल हो गए। करीब 30 अफगानिस्तान में रह गए हैं।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘ कोई नहीं जानता कि आगे क्या होगा। कोई अनुमान नहीं लगा सकता। हम हमारे सम्मान की रक्षा करने भारत आए हैं। हम भारत को अपना घर बनाने की कोशिश करेंगे। हम वापस लौट पाएंगे या नहीं, कुछ …कहा नहीं जा सकता।’’ सोमवार को भारतीय वायु सेना के विमान से 44 अफगान सिखों सहित 78 लोगों को काबुल से दुशांबे ले जाया गया था। इंडियन वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने बताया कि ये लोग एयर इंडिया की उड़ान से सुबह करीब 9.50 बजे (मंगलवार को) दिल्ली पहुंचे। यह फोरम विदेश मंत्रालय और भारतीय वायुसेना के साथ निकासी प्रयासों में समन्वय कर रहा है। चंडोक ने कहा कि लगभग 200 अफगान सिख और हिंदू अभी भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं। इन लोगों ने काबुल के करते परवान गुरुद्वारे में शरण ली हुई है, जो हवाई अड्डे के करीब है।

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