By अनन्या मिश्रा | Jun 02, 2025
आज यानी की 02 जून को तेलंगाना दिवस मनाया जा रहा है। बता दें कि आज ही के दिन यानी की साल 2014 में तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग करके 29वां राज्य बनाया गया था। जब साल 1956 में भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ, तो आंध्र प्रदेश में तेलंगाना को मिला दिया गया था। उस दौरान अधिकतर तेलंगाना वासियों ने इस फैसले का विरोध किया था। क्योंकि तेलंगाना वासियों को डर था कि आंध्र प्रदेश के शक्तिशाली तबके द्वारा उनके अवसरों और संसाधनों पर कब्जा कर लिया जाएगा।
वहीं यह आशंकाएं जल्द ही हकीकत में भी बदल गईं। जब शिक्षा, रोजगार, बजट और सिंचाई आदि सबकुछ आंध्रप्रदेश के पक्ष में झुका हुआ था। इस दौरान स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से लेकर खेतों में मेहनत करने वाले किसान तक, हर कोई स्वयं को उपेक्षित महसूस करने लगा था।
पहला आंदोलन
साल 1969 में पहली बार तेलंगाना की जनता ने खुलकर विरोध किया। तब डॉ मरी चेन्ना रेड्डी द्वारा गठित तेलंगाना प्रजा समिति के नेतृत्व में युवाओं और छात्र 'जय तेलंगाना' के नारे के साथ सड़कों पर उतरने लगे। हालांकि समय के साथ यह आंदोलन धीमा पड़ने लगा और लोगों की उम्मीदों को एक बार फिर दबा दिया गया।
साल 1969 में हुए पहले आंदोलन के कुछ सालों बाद तक यहां के लोग चुप रहे और साल 2001 में एक नई ऊर्जा के साथ आंदोलन फिर से शुरू हुआ। इस बार तेलंगाना राष्ट्र समिति के संस्थापक चंद्रशेखर राव ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। केसीआर के नेतृ्त्व में शुरू हुआ यह आंदोलन सिर्फ राजनीतिक ही नहीं बल्कि जन आंदोलन बन गया।
KCR का आमरण अनशन
इस दौरान गांवों में रैलियां हुईं और इस आंदोलन में महिलाएं व बुजुर्ग जुड़ने लगे। लेकिन आंदोलन का निर्णायक मोड़ तब आया, जब साल 2009 में केसीआर ने आमरण अनशन शुरू किया। 11 दिनों के लिए केसीआर ने अन्न-जल त्याग दिया। केसीआर के इस अनशन को जनता का जबरदस्त समर्थन मिला, जोकि केंद्र सरकार पर भारी पड़ने लगा। आखिरकार साल 2014 में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया और 02 जून 2014 को तेलंगाना ऑफिशियल रूप से भारत का 29वां राज्य बना। इसकी राजधानी हैदराबाद घोषित की गई।
साल 2014 में आंध्र प्रदेश का बंटवारा करने के बाद हैदराबाद को 10 साल के लिए दोनों राज्यों की राजधानी बनाया गया। लेकिन फिर 10 साल बाद आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती बनाई गई और तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद बनी रही।