ऊंचे कर, शुल्कों के बोझ तले दबा है दूरसंचार उद्योग, होनी चाहिये पूरी समीक्षा: सुनील मित्तल

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 31, 2020

नयी दिल्ली। देश के दूरसंचार उद्योग को ऊंचे कर एवं शुल्कों के बोझ तले दबा हुआ बताते हुये प्रमुख उद्योगपति सुनील भारती मित्तल ने शुक्रवार को उद्योग पर कर बोझ कम करने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को खजाना भरने के स्रोत की तरह नहीं बल्कि आर्थिक गतिविधियों को कई गुणा बढ़ाने वाला समझा जाना चाहिये। भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’आह्वान ने उद्योग जगत को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि दूरसंचार नेटवर्क, मोबाइल डिवाइस और सॉफ्टवेयर क्षेत्रों में भारत में अधिक मूल्य वर्धन हो। उन्होंने कहा, ‘‘कर आमतौर पर इस उद्योग पर बहुत अधिक रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि इसकी अच्छी तरह से समीक्षा की जाए और स्पेक्ट्रम जैसे दूरसंचार संसाधनों पर शुल्क को खजाना भरने का एक स्रोत नहीं बल्कि इसे आर्थिक गतिविधियों को कई गुना बढ़ाने वाले कारक के रूप में देखना चाहिये। ऐसे में जो कमी होगी, सरकार उसकी भरपाई इस उद्योग के सहारे आगे बढ़ने वाले अन्य उद्योगों से कमा लेगी।’’ मित्तल भारत में मोबाइल टेलीफोनी के 25 साल पूरा होने के मौके पर सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया तथा आईएमसी स्टूडियो द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, सरकार को यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि काफी उतार-चढ़ाव से जूझने वाले दूरसंचार उद्योग पर शुल्कों व करों के मामले में ध्यान दिया जाये। मित्तल ने कहा कि यह भारत के लिये स्थानीय विनिर्माण के क्षेत्र में नेतृत्व करने का समय है। उन्होंने पिछले 25 वर्षों की दूरसंचार क्षेत्र की यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि अभी न सिर्फ महानगरों और छोटे शहरों बल्कि गांवों व ग्रामीण भारत में एक अरब से अधिक भारतीय हैं, जो आपस में जुड़े हुए हैं। 

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मित्तल ने कहा कि मोबाइल नेटवर्क पर जुड़े अरब लोगों की भारतीय कहानी, जिनमें से लगभग 60 करोड़ लोग ब्रॉडबैंड इंटरनेट पर हैं, दुनिया के लिये भी यह अनोखी कहानी है। मित्तल ने कहा कि देश में टैरिफ दुनिया में सबसे कम हैं। उन्होंने कहा, ग्राहक दुनिया में कहीं भी सबसे सस्ती दरों पर प्रति माह 15 जीबी डेटा उपयोग का आनंद ले रहे हैं। 200 रुपये से कम में, लोग एप्लिकेशन, संगीत, मनोरंजन, महत्वपूर्ण सरकारी सेवाओं, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), वित्तीय समावेश आदि का लाभ उठा रहे हैं। यह सब हमारे देश के अधिकांश लोगों के लिये किया जा रहा है।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि दूरसंचार क्षेत्र में एक समय कंपनियों की संख्या दो से बढ़कर 12 तक पहुंच गयी थी, लेकिन अब यह फिर से 3 + 1 ऑपरेटरों पर आ गया है।

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