सरकार, विपक्ष और जनता (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | May 27, 2025

स्वादिष्ट वायदे बांटकर चुनी गई सरकार ने अपना आधा समय यानी ढाई साल निकाल लिए हैं। इस दौरान विपक्ष ने छोटी बड़ी, रंग बिरंगी कलाबाजियां खाई और सरकार को भी खिलाने की कोशिश की लेकिन सरकार टिकी रही। राजनीति, नेताओं को हजारों किस्म के पैंतरे चलना, चलाना और बदलना सिखा देती है। हर विपक्ष कोशिश करता है कि घोड़ों का पारम्परिक व्यापार किया जाए। जानदार विपक्ष हर रोज़ नया बयान जारी करता है। उधर सरकार ने अपनी अनुभवी टीम जिसे लोक सम्पर्क विभाग कहा जाता है लगाई होती है जिसका नैतिक कर्तव्य सरकार का सकारात्मक ढिंढोरा पीटना होता है।  


विपक्ष के पास सरकार चलाने की जिम्मेदारी नहीं हो सकती। सरकारी राजनीतिक पार्टी के पास बहुमत होने के कारण सरकार गिरानी मुश्किल होती है। लेकिन छटपटाते विपक्ष को कुछ न कुछ कहना ही होता है, जैसे, पार्टी और सरकार में जो अंतर्कलह है लड़ाई झगड़े तक पहंच गई है। मंत्रियों के बीच ज़बरदस्त गुटबाजी चल रही है। दोनों तरफ से बड़ी बड़ी बातें हो रही हैं। डराने, धमकाने और साजिश की कोशिश की जा रही है । प्रदेश के लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि उनका नुक्सान हो रहा है। विकास प्रभावित हो रहा है। नए बने मंत्री अपने दफ्तर में नहीं बैठ रहे हैं। सरकार पूरी तरह बेनकाब हो गई है। विपक्ष तंज कसने में माहिर होता है।  बार बार कहता है प्रदेश की भोली भाली जनता को पता चल गया है कि सरकार ने प्रदेश को कर्ज में डुबो दिया है। मज़ेदार बात है कि सरकार किसी की भी हो, जनता को भोली भाली ही कहा जाता है।  

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बेचारी, भोली भाली जनता पर, वर्तमान में शासन करने वाली सरकार के मिडिया सलाहकार विपक्ष के बयान का बदला उतारने मैदान में आते हैं। यह उनकी सरकारी ज़िम्मेदारी है। वे एक बार फिर दोहराते हैं, सरकार एकजुट है, मुख्यमंत्री के कुशल मार्गदर्शन एवं गतिशील नेतृत्व में मज़बूती से काम  कर रही है। बड़े पैमाने पर आम लोगों को फायदा हो रहा है। विपक्ष के पास मुद्दा और नेता दोनों ही नहीं है नहीं तो चुनाव नहीं हारते। वे पत्रकार सम्मेलन में हाई टी का आयोजन कर बताते हैं कि प्रदेश दर्जनों मामलों में आत्म निर्भर होने जा रहा है। ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं। 


सरकार और विपक्ष एक दूसरे को नसीहत देते रहते हैं। जैसा आरोप विपक्ष लगाता है वैसा ही पक्ष प्रवक्ता भी चिपका देते हैं, जैसे, विपक्षी नेताओं में लीडरशिप को लेकर छटपटाहट चल रही है। इनके सभी नेता अपनी नेतागिरी चमकाने में लगे हैं। सरकार अपना काम किए जा रही है। उसे जागते रहना है ताकि बचा हुआ समय आराम से निकल जाए। समझदार विपक्ष अपना काम किए जा रहा है। वह वोटरों को जगा रहा है, नाराज़ हुओं को पटा रहा है। जनता सरकारी योजनाओं का फायदा उठाकर संतुष्ट है। उसे पता है आने वाली संभावित सरकार बढ़िया वायदे करेगी। आम जनता भोली भाली, नालायक, बेवकूफ होती है उसकी बोलती हमेशा बंद रहती है। वह पांच साल के बाद चुनाव में उठती है और नेताओं की फजीहत कर देती है। सरकार बदलने में ही आम जनता का फायदा रहता है।


- संतोष उत्सुक

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