By नीरज कुमार दुबे | Sep 17, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर जिस तरह से दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों और शीर्ष नेताओं ने उन्हें बधाई दी, वह केवल एक औपचारिकता नहीं बल्कि उनके नेतृत्व में भारत की बढ़ती वैश्विक साख का प्रमाण है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फ़ोन पर शुभकामना संदेश और ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, मॉरीशस तथा इजराइल के प्रधानमंत्रियों और माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख बिल गेट्स के वीडियो संदेश इस बात के गवाह हैं कि आज भारत केवल दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं, बल्कि एक निर्णायक वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है।
देखा जाये तो मोदी की वैश्विक छवि का निर्माण किसी एक दिन में नहीं हुआ है। पिछले ग्यारह वर्षों में उन्होंने न केवल भारत को चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान दिया है, बल्कि इसे "विश्व का ब्राइट स्पॉट" साबित करने में भी सफलता पाई है। उनकी विदेश नीति का मूल मंत्र रहा है— "भारत पहले, लेकिन विश्व भी साथ-साथ।" यही कारण है कि अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया, जापान से लेकर अरब देशों तक, मोदी को एक भरोसेमंद नेता के रूप में स्वीकार किया गया है।
विश्व राजनीति के कठिन दौर में, जब रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य-पूर्व के तनाव वैश्विक स्थिरता को चुनौती दे रहे हैं, तब मोदी संवाद-सेतु और "प्रॉब्लम-सॉल्वर" के रूप में उभरे हैं। यही कारण है कि 27 देशों ने उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाज़ा है। यह न केवल व्यक्तिगत सम्मान है, बल्कि भारत की सामूहिक प्रतिष्ठा का प्रतीक भी है।
देखा जाये तो भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक पहचान दिलाने से लेकर डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप्स और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर ठोस नीतिगत नेतृत्व के जरिये मोदी ने हर क्षेत्र में भारत की भूमिका को मज़बूत किया है। यही वजह है कि उनके जन्मदिन पर बधाइयाँ केवल राजनीतिक औपचारिकता नहीं बल्कि विश्वास का इज़हार भी हैं। आज का भारत आत्मनिर्भरता और विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। इस यात्रा में मोदी की छवि केवल भारत के प्रधानमंत्री तक सीमित नहीं, बल्कि एक वैश्विक नेता, दूरदर्शी और प्रेरणास्रोत के रूप में स्थापित हो चुकी है। उनके 75वें जन्मदिन पर विश्व नेताओं की उत्साही प्रतिक्रिया इस तथ्य की पुष्टि करती है कि "मोदी युग" अब केवल भारत का ही नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति का भी एक अहम अध्याय बन चुका है।