By डॉ. रमेश ठाकुर | Nov 12, 2025
ब्लास्ट होने के महज कुछ घंटों पहले दिल्ली से सटे 47 किलोमीटर दूर फरीदाबाद में संदिग्धों के घरों से हथियारों का भारी मात्रा में जखीरा मिलना और सैकड़ों किलो आरडीएक्स की बरामदगी घटना से संबंध जुड़ने की ओर इशारा करती है? बेशक घटना को अभी आतंकी या फिदायीन हरकत करार न दी गई हो? पर, हमले का मॉड्यूल बहुत कुछ कहता है। हालांकि, केंद्रीय जांच एजेंसियां, एनआईए और एनएसजी फिलहाल हर एंगल से कड़ियों को जोड़ने में लगी है। खुदा-ना-खास्ता अगर ये आतंकितयों की हरकतें निकली, तो समझ लेना चाहिए कि अब उन्होंने अपने मंसूबों को अंजाम देने वाले तरीकों में बदलाव कर लिया है। दिन में आतंकी नेटवर्क का पकड़ा जाना और देर शाम को धमाका हो जाने की थ्योरी पर सभी अचंभित हैं। दिल्ली जैसा राज्य जो अति सुरक्षित हो, चप्पे-चप्पे पर चौबीसों घंटे चौकसी रहती हो? जहां केंद्र सरकार से लेकर खुफिया एजेंसियों का ठिकाना हो, वहां घटित ऐसे हादसे को सीधे-सीधे हुकूमत की नाकामी और सुरक्षा तंत्र की घोर विफलता ही कहा जाएगा।
विस्फोट का खौफजदा मंजर न सिर्फ भयभीत करने जैसा था, बल्कि डरावना भी? घटना के समय चारों तरफ भगदड़ मचना, चीख-पुकार का तेज शोर व विस्फोटक चिंगारियों से मेटृ स्टेशन के शीशों का चटाचट टूटना और ब्लास्ट वाली कार का एक गेट करीब 90 मीटर दूर जाकर गिरने के मंजर को देखकर प्रत्यक्षदर्शी, राहगीर और दुकानदार सहम से गए। लोग दुकानों में छिप गए, गाड़ियों की आड़ लेकर बैठ गए। ब्लास्ट वाली जगह पर चौबीसों घंटे लोगों की चहल-पहल रहती है। एशिया का सबसे बड़ा बाजार भी वहीं है इसलिए उसे व्यस्तम इलाकों में गिना जाता है। लालकिले के बाहरी हिस्से में लाखों लोगों की प्रतिदिन आवाजाही रहती है। गनीमत ये रही कि सोमवार का दिन था, अमूमन दुकानें बंद रहती हैं। वरना, इस भयभीत मंजर ये भगदड़ मचने से और भी बड़ी घटना हो सकती थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जैसी अचानक से धरती फट गई हो और आसमान पूरा लाल हो गया हो? लोगों ने बताया घटनास्थल पर किसी का हाथ पड़ा था तो किसी की कटी हुई गर्दन? जलते मांस के टुकड़ों से आती गंध ने और ज्यादा मंजर डरावना कर दिया। कुछ मिनट तक लोग समझ ही नहीं पाए कि आखिर हुआ क्या है?
दिल्ली सत्ता का केंद्र ही नहीं, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से प्रतीक भी माना जाता है। बहरहाल, फिदायीन हमले की आशंका है जिसको मद्देनजर रखकर ही एनआईए और एनएसजी जांच में जुटी है। क्योंकि ऐसे हमलों की खुफिया जानकारियां उन्हें पूर्व से प्राप्त हैं। तकरीबन इस तरह के हमले विस्फोटक पदार्थों से ही किए जाते हैं जिसका पुलवामा कांड सबसे बड़ा उदाहरण है। इंटेलिजेंस को अगस्त से ही इंटपुट मिल चुके थे कि जम्मू के रास्ते कुछ आतंकी देश में प्रवेश कर चुके हैं जो कहीं न कहीं बड़ी घटनाओं को अंजाम देने की फिराक में हैं। उन्हें डिटेन करने में तमाम खुफिया एजेंसी सक्रिए थीं। लेकिन सटीक जानकारियां का अभाव रहा। हालांकि, हथियार और आरडीएक्स को बरामद करने में सफलता जरूर मिली। पर, कौन से आतंकी संगठन शामिल हैं और उनका घटनाई मॉड्यूल क्या है? आदि की जानकारी से हाथ खाली रहा। मौजूदा घटना के तय तक जाने की जरूरत है। देशवासियों को इसलिए बताना चाहिए, तो नागरिक खुद से भी सतर्क हो सकें। ऐसी घटनाओं पर समय रहते अगर प्रतिबंध नहीं हुआ, तो आतंकियों के हौसले और बुलंद हो जाएंगे।
घटना में हरियाणा की एचआर-26, 7624 नंबर की आई-20 जो कार प्रयुक्त हुई है उसकी पहचान जांच एजेंसियों कर ली है। कार का मालिक फरीदाबाद निवासी कोई मोहम्मद सलमान नाम का है जिसे हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है। कुछ महीने पहले उसने उस कार को सेकंड हैंड किसी से खरीदी थी। निश्चित रूप कार के जरिए बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। कार का इसी साल सितंबर में गलत पार्किंग को लेकर फरीदाबाद में चालान भी कटा था। घटना के वक्त कार में तीन लोगों के होने की आशंका जताई गई, जो थे उनके चिधड़े उड़ चुके हैं। कार में वांछित डॉ.उमर मोहम्मद के होने की भी आशंका है, वहीं उमर जिसके घर से घटना के कुछ घंटों पहले हथियारों का जखीरा और आरडीएक्स बरामद हुआ था। कार से बरामद शव उस हालत में नहीं हैं जिनकी शिनाख्त की जाए, डीएनए जांच से ही उनकी पुष्टि हो सकेगी।
घटना को लेकर कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए हैं। जैसे, कि ब्लास्ट होने की भनक भारतीय खुफिया एजेंसियों को क्यों नहीं लगी? घटना केंद्र सरकार और स्थानीय सरकार के बिल्कुल नाक के नीचे घटी। पुलिस को ब्लास्ट की सूचना 6 बजकर 52 मिनट पर मिली। लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-एक के बा-मुश्किल 20-25 मीटर दूरी पर लाल बत्ती रेड लाइट पर एक स्लो मोशन कार आती है और ब्लास्ट हो जाता है। सीसीटीवी फुटेज में कार घटना के कुछ घंटे पहले पास के एक मस्जिद परिसर में खड़ी देखी गई। क्या प्लानिंग पहले से की गई थी या फिर आरडीएक्स के शेष हिस्से को ब्लास्ट के जरिए दफन करना था। हालांकि, घटना के बाद जांच चौकसी को ब़ढ़ाते हुए कई राज्यों में हाई अलर्ट किया गया है। आईबी के पास सूचनाएं हैं कि ऐसी घटनाएं कुछ राज्यों में भी घट सकती हैं। इसलिए एतियातन केंद्र सरकार ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अलर्ट जारी किया है।
2025 हादसों के लिए जाना जाएगा। कोई ऐसा महीना नहीं बीता, जब देश में कोई बड़ी घटना न घटी हो? कहीं भगदड़, तो कहीं कुदरती आपदाएं। झकझोर देने वाला पहलगाव हमला भी शामिल है। फिलहाल, दिल्ली में ब्लास्ट के बाद गृहमंत्रालय में आपातकालीन बैठक बुलाई जिसमें एनएसए चीफ अजीत डोभाल के अलावा सुरक्षातंत्र से जुड़े आलाधिकारी शामिल हुए। बैठकों का दौर जारी है। सवाल उठता है सांप निकल जाने के बाद डंडा फटकारने का क्या तुक? घटना में 11 लोगों के मरने और 24 के घायल के आंकड़ों को प्रशासन ने जारी किया है। आंकड़ा बढ़ सकते हैं। कब तक बेकसूर लोग अपनी जाने ब्लास्ट जैसी घटनाओं में देते रहेंगे? अमन-शांति के हुकूमती नारे धरातल पर कब उतरेंगे, कौनसी घड़ी आएगी जब ये सब होगा? ऐसे सवाल प्रत्येक भारतीयों के मन में उठने लगे हैं।
- डॉ. रमेश ठाकुर
सदस्य, राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (NIPCCD), भारत सरकार!