एक बार फिर चर्चा में आ गया यूनिफॉर्म सिविल कोड, जानें क्या है ये कानून

By अभिनय आकाश | Feb 11, 2020

आज दिल्ली की जनता किसे तख्त पर बिठाएगी इसको लेकर मतगणना जारी है। लेकिन संसद के बजट सत्र ने भी हलचल तेज कर दी है। देर शाम को भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा और राज्यसभा के अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है। व्हिप जारी होने के बाद से ही सोशल मीडिया पर अटकलबाजी चलने लगी है और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही लोगों के जेहन में यह सवाल है कि क्या समान नागरिक संहिता को लेकर भी कोई कदम उठाया जा सकता है। भारत में समान नागरिकता कानून लाए जाने को लेकर बहस भी लगातार चल रही है। इसकी वकालत करने वाले लोगों का कहना है कि देश में सभी नागरिकों के लिए एक जैसा नागरिक कानून होना चाहिए, फिर चाहे वो किसी भी धर्म से क्यों न हो।

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यूनिफॉर्म सिविल कोड आखिर है क्या?

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है देश में हर नागरिक के लिए एक समान कानून का होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो. फिलहाल देश में अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर धर्म के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा। गौरतलब है कि कि आजादी के बाद जब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पहले कानून मंत्री बीआर आंबेडकर ने समान नागरिक संहिता लागू करने की बात की, उस वक्त उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। नेहरू को भारी विरोध के चलते हिंदू कोड बिल तक ही सीमित रहना पड़ा था और संसद में वह केवल हिंदू कोड बिल को ही लागू करवा सके, जो सिखों, जैनियों और बौद्धों पर लागू होता है।

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आंबेडकर भी समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे, लेकिन जब उनकी सरकार यह काम न कर सकी तो उन्होंने पद छोड़ दिया था। बहरहाल, ये वो मुद्दे हैं जो आरएसएस और जनसंघ के संकल्प में रहे तो बीजेपी के मेनिफेस्टों में ही बरसों तक बने रहे। गठबंधन सरकारों के दौर में बीजेपी ने हमेशा इन विवादित मुद्दे से खुद को दूर रखा। लेकिन अब केंद्र में मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार है। लोकसभा में तो बीजेपी का पूरा दम है ही राज्यसभा में भी उसने तीन तलाक और 370 के खात्मे के फैसले पारित करवा लिए। तो क्या तीन तलाक और 370 झांकी है मोदी का सबसे बड़ा मास्टरस्ट्रोक बाकी है। 

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