By अनन्या मिश्रा | May 07, 2025
क्रॉनिक सूजन
वहीं जिस कैविटी से पानी बाहर नहीं निकल पाता है, तो वहां पर क्रॉनिक सूजन की वजह से साइटोकाइन रिलीज होता है। इसके आसपास के टिशू में क्षति हो सकती है। रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीसीज की वजह से सूजन अधिक बढ़ती है। जिसकी वजह से सेल्स में परिवर्तन होने के साथ दांत सड़ता है।
ओरल इन्फेक्शन
बैक्टीरिया टॉक्सिन, फ्यूसोबैक्टीरियम न्यूक्लियेटम और पोर्फिरोमोनस जिंजिवलिस जैसे बैक्टीरिया भी दांतों में मिलते हैं। इनमें टॉक्सिन सेल्स बढ़ता है और बदलाव भी करता है।
खराब ओरल हाइजीन
इसके अलावा खराब ओरल हाइजीन भी एक रिस्क फैक्टर है, जोकि आमतौर पर बिना ट्रीटमेंट वाली कैविटी में मिलता है। इसको सिर और गर्दन के कैंसर का भी कारक माना गया है। वहीं खाब ओरल हाइजीन की वजह से तंबाकू और शराब जैसे कैंसरकारी कारकों के संपर्क में आने से भी मुंह में हानिकारक पदार्थों का जमाव हो सकता है।
एचपीवी की भूमिका
अगर मुंह के अंदर लंबे समय तक संक्रमण रहता है, तो इससे ह्यूमन पैपिलोमावायरस के संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। यह गले के कैंसर से बहुत करीब से जुड़ा हुआ है।
ल्यूकोप्लाकिया या मुंह के घाव
जब भी हम मुंह के कैविटी या फिर इंफेक्शन का इलाज नहीं कराते हैं, तो ल्यूकोप्लाकिया नामक कैंसर से पहले होने वाले घाव हो सकते हैं। जोकि बाद में गंभीर बीमारी में भी बदल सकते हैं।
पोषक तत्वों की कमी
बता दें कि कैविटी की वजह से खाने में दर्द और परेशानी होती है। जिससे हमारी शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। खासकर एंटी-ऑक्सीडेंट्स की कमी से डीएनए को सही करने के प्रोसेस में दिक्कत हो सकती है।