श्रीलंका में काबू से बाहर हो रहे हालात, दंगाइयों को सड़क पर देखते ही गोली मारने का आदेश

By अंकित सिंह | May 10, 2022

देशव्यापी कर्फ्यू और लगातार हो रहे प्रदर्शन के बीच श्रीलंका की हालत लगातार खराब होती जा रही है। श्रीलंका में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। सोमवार को श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया था। श्रीलंका में इमरजेंसी लागू होने के बाद भी लोग सड़क पर निकल रहे हैं और जमकर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। इन्हीं हिंसक प्रदर्शन को दबाने के लिए श्रीलंका सरकार की ओर से एक बड़ा आदेश जारी किया गया है। श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक दंगा फैलाने वालों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता नलिन हेराथ ने कहा कि श्रीलंका के सशस्त्र बलों को मंगलवार को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या जान जोखिम में डालने वाले किसी भी व्यक्ति को गोली मारने का आदेश दिया गया है।

 

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आपको बता दें कि श्रीलंका में सोमवार को जबर्दस्त हिंसा हुई थी जिसमें एक सांसद समेत आठ लोगों की मौत हो गई। दरअसल, देश में आर्थिक संकट के कारण भोजन, ईंधन और ऊर्जा की भारी कमी पैदा होने के बीच सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों ने हमला कर दिया था, जिसके बाद श्रीलंका में हिंसा भड़क गई। श्रीलंका में घोर आर्थिक संकट के बीच महिंदा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। राजपक्षे के इस्तीफा देने के बाद उनके समर्थकों ने हिंसा फैलाने शुरू कर दी है। दूसरी ओर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। अपने ट्विटर पर उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अपील करते हुए कहा कि वे चाहे जिस से पार्टी के हो, वह शांत रहें और हिंसा रोके। नागरिकों के खिलाफ बदले की कार्रवाई ना करें। कुल मिलाकर देखें तो श्रीलंका की हालत और खराब होती दिखाई दे रही है।

 

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श्रीलंका में तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों द्वारा, देश में घोर आर्थिक संकट पर उन्हें हटाने की मांग कर रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद सोमवार को हिंसा भड़क गई थी, जिसमें आठ लोगों की जान चली गई। वहीं, कोलंबो और अन्य शहरों में हुई हिंसा में 200 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं। गौरतलब है कि वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यह संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ, जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है। नौ अप्रैल से पूरे श्रीलंका में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं, क्योंकि सरकार के पास आयात के लिए धनराशि खत्म हो गई है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं।

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