रतन टाटा की तरह जीवन में अपनाएं ये मंत्र, सफलता कदम चूमने लगेगी

By अर्चना द्विवेदी | Dec 28, 2017

"मैं सही निर्णय लेने में विश्वास नहीं करता। मैं निर्णय लेता हूँ और फिर उन्हें सही साबित कर देता हूँ।" आत्मविश्वास से भरे हुए यह शब्द जाने माने उद्द्योगपति रतन टाटा द्वारा कहे गए हैं। भारत में अनेकों ऐसी शख्सियत हैं जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्हीं में से एक नाम रतन टाटा का भी है जिन्होंने भारत को विदेशों में अपनी एक अलग पहचान दिलायी।

 

नमक से लेकर Software तक बनाने वाली कम्पनी TATA भारत में ही नहीं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और टाटा की इस कामयाबी में रतन टाटा का बहुत बड़ा योगदान है।

 

बचपन:- 

 

रतन टाटा जी का जन्म २८ दिसंबर १९३७ में गुजरात के सूरत शहर में हुआ था। ये टाटा परिवार के दत्तक पुत्र हैं। बचपन में ही इनके माता पिता अलग-अलग रहने लग गये थे जिस वजह से इनका पालन पोषण इनकी दादी नवजबाई ने किया। रतन टाटा का एक सौतेला भाई नोएल टाटा भी है। 

 

शिक्षा:-

 

शुरुआती शिक्षा इन्होंने मुंबई के कैंपियन स्कूल तथा शिमला के स्कूल से की। इसके बाद स्नातक की पढ़ायी इन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से 1962 में पूरी की, परस्नातक की डिग्री सन १९७५ में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से संपन्न की।

 

कॅरियर:- 

 

IBM की नौकरी को ठुकरा कर रतन जी ने टाटा समूह को चुना और उसे कामयाबी की नयी ऊँचाइयों तक पहुंचाया और टाटा समूह में कार्य करने के १० साल के भीतर ही उन्हें टाटा समूह का अध्यक्ष नियुक्त किया गया जिसके पश्चात् टाटा की सफलता को चार चाँद लग गये। दुनिया की सबसे छोटी कार का निर्माण रतन टाटा ने ही किया जिसकी वजह से वह विश्व भर में विख्यात हो गये।

 

रतन टाटा से जुड़े रोचक तथ्य:-

 

१) टाटा को अपने जीवनकल में प्यार तो ४ बार हुआ किन्तु कुछ ना कुछ अड़चनों की वजह से शादी एक भी बार नहीं हो सकी।

२) पालतू जानवरों से टाटा को बहुत ही ज्यादा लगाव है।

३) हवाई जहाज उड़ाना टाटा का पसंदीदा शौक रहा है इसलिए इन्होंने लाइसेंस भी हासिल किया जिससे ये अपना शौक पूरा कर सकें।

४) रतन टाटा को उनकी उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे सम्मान दिए।

५) टाटा ने अब तक कुल मिलाकर ११० कंपनियों का निर्माण किया जहाँ पर छोटे से छोटे सामान से लेकर हवाई जहाज तक बनता है।

 

वर्तमान में रतन टाटा मुंबई जिले के कोलाबा स्थित अपने निवास में रहते हैं जिसमें उन्होंने सिर्फ किताबों और पालतू कुत्तों को रख रखा है। टाटा समूह के नए उत्तराधिकारी एन. चन्द्रशेखरन हैं, रतन टाटा को उन पर पूरा विश्वास है कि वह टाटा समूह को सफलता की नयी उपलब्धियों तक पहुंचाएंगे।

 

हम सभी को रतन टाटा से प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन में हमेशा आगे बढ़ने के लिए अग्रसर रहना चाहिए।

 

टाटा के जीवन से मिलने वाली ४ सीख:-

 

1) सबसे अलग सोचें 

2) असफलता से सीखें, गलती ना दोहराएं

3) हार मानकर ना बैठ जाएं 

4) आत्मविश्वास है सबसे ज्यादा ज़रूरी 

यदि हम अपने जीवन में इन चारों बातों का पालन करेंगे तो निःसंदेह हम सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जाएंगे।

 

- अर्चना द्विवेदी

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