देश की आधी आबादी के लिए खास है इस बार का गणतंत्र दिवस

By प्रज्ञा पाण्डेय | Jan 25, 2018

26 जनवरी 2018 को हमारा देश बड़े धूमधाम से अपना 69वां गणतंत्र दिवस समारोह मना रहा है। गणतंत्र दिवस के दिन सार्वजनिक छुट्टी और राजधानी में परेड के उत्सव से बहुत उल्लास रहता है। इस बार का गणतंत्र दिवस समारोह महिलाओं के नजरिए से कुछ खास है। भारत के इतिहास में पहली बार बीएसएफ की महिला टुकड़ी परेड के दौरान अपना करतब दिखाएगी। ये तो रही महिला जवानों की बात जो पूरे देश के सामने अपना करतब दिखाएगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि देश की आम औरतें यानि हमारी आधी आबादी 69वें गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान अपने लिए क्या उम्मीद रखती है। तो आइए इन मुद्दों को खंगालने की कोशिश करते हैं।

जब बात हम अपने देश की युवा महिलाओं की करते हैं तो राजधानी की लड़कियां उसका बेहतर प्रतिनिधित्व करती हैं। इंजीनियरिंग स्नातक संचिता परेड में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को देखकर गौरवान्वित महसूस करती हैं। उनका मानना है कि हर साल गणतंत्र दिवस समारोह में महिलाओं का भागीदारी बढ़नी चाहिए। यही नहीं देश में होने वाली अन्य गतिविधियों और कार्यक्रमों में भी लड़कियों की हिस्सेदारी बढ़ने से महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। 

 

यही नहीं घरों में झाड़ू, पोंछा और बर्तन का काम करने वाली आरती भी गणतंत्र दिवस को देश के लिए बड़ा दिन मानती हैं। बेटियों की मां आरती को बेटा न होने का कोई मलाल नहीं है। उनका मानना है कि मेरी बेटियां ही मेरे बुढापे का सहारा होगी। वे कहती हैं कि देश की बेटियों को पढ़ने-लिखने का अवसर मिले तो अच्छा रहेगा। लड़कियां पढ़-लिख मां-बाप का नाम रोशन करें तो देश आगे बढ़ेगा। आरती चाहती हैं कि हमारी बेटियां हमेशा अच्छा भविष्य पाएं। रोजगार के अच्छे अवसर मिलें ताकि बेटियों को दूसरों के सामने हाथ न फैलाना पड़े। 

 

पेशे से प्रोफेसर संज्ञा गणतंत्र दिवस को न केवल देश के लिए बल्कि देशवासियों के अच्छा दिन मानती हैं। उनका मानना है कि गणतंत्र दिवस समारोह देखकर अच्छा लगता है। गणतांत्रिक देश होने के कारण ही आज हम महिलाओं को खुलकर बोलने की आजादी है। हमारे देश में चाहे वह मीडिया हो या आम आदमी हर इंसान को अपने विचारों को व्यक्त करने की आजादी है। दुनिया के अन्य देशों में ये मौका कम ही देखने को मिलता है। भारत की यही विशेषता उसे सोने की चिड़िया बनाता है। 

 

पेशे से टीचर गरिमा कहती हैं कि गणतंत्र दिवस पर लड़कियों को और भी आजादी मिलनी चाहिए। स्वतंत्रता से ही लड़कियां आगे बढ़ सकती हैं। साथ ही गरिमा महिलाओं के साथ होने वाले बुरे बर्ताव को लेकर चितिंत होती हैं। उनके अनुसार महिलाओं की सुरक्षा देश में एक बहुत बड़ा मुद्दा है। जब तक महिलाएं सुरक्षित नहीं होंगी तब तक देश तरक्की नहीं कर पाएगा। 

 

फलों की दुकान लगाने वाली मालती से गणतंत्र दिवस के बारे में पूछने पर मुस्कुरा देती हैं। भोलेपन से कहती हैं कि हम तो ज्यादा कुछ नहीं जानते बस गणतंत्र दिवस पर फूल बेच लेते हैं। लेकिन उनका मानना है कि गणतंत्र दिवस देश के लिए बड़ा दिन है। यह एक त्यौहार है, वह कहती हैं कि इस दिन सब खुश रहें, सबको रोजी-रोटी मिले यही उनकी कामना है। 

 

चाहे बात राजधानी की युवा इंजीनियर की हो या घरेलू नौकर की हो सभी अपने लिए बेहतर अवसर को और नारियों की तरक्की चाहती हैं। देश की बुद्धिजीवी महिलाओं को बोलने की आजादी मिलना अच्छा लगता हैं वहीं युवा लड़कियां सुरक्षा को लेकर परेशान हैं। हर बार की तरह इस गणतंत्र पर आधी आबादी के वही मुद्दे जो पहले थे लेकिन अब स्वरूप बदल गया है। अपने अधिक अधिकार और आजादी के साथ औरत गणतंत्र पर सुरक्षा चाहती है, इसके साथ औरत गणतंत्र दिवस की बधाई देती है।

 

- प्रज्ञा पाण्डेय

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