By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 13, 2018
नयी दिल्ली। थलसेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा कि रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी और परमाणु हथियारों (सीबीआरएन) के उपयोग का खतरा वास्तविक बन रहा है, खासकर राज्य से इतर कारकों से। रावत ने कहा कि पारंपरिक सेना के विपरीत, सीबीआरएन से मुकाबला एक "अति अप्रत्याशित" वातावरण में करना होता है, जहां शत्रु भारत का मुकाबला करने के लिए "विषम" साधनों का उपयोग कर सकते हैं। रावत ने कहा, "सीबीआरएन हथियारों के इस्तेमाल का खतरा वास्तव में वास्तविकता बन रहा है, खासकर राज्य से इतर कारकों से। सीबीआरएन हथियारों के इस्तेमाल से जीवन और संपत्ति के लिए ख़तरा पैदा हो सकता है और इससे उबरने में खासा समय लग सकता है।"
थल सेना प्रमुख ने यहां रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) मुख्यालय में सीबीआरएन रक्षा प्रौद्योगिकियों पर एक कार्यशाला के उद्घाटन के मौके पर यह टिप्पणी की। इस समारोह का उद्घाटन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को करना था लेकिन वह अन्यत्र व्यस्तता का हवाला देते हुए इसमें शामिल नहीं हुयीं। रावत ने कहा कि देश को सुरक्षित रखने का सबसे अच्छा तरीका सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, उपकरण और प्रणालियों को विकसित करना और सैनिकों को उन्नत प्रशिक्षण मुहैया कराना है। उन्होंने कहा कि "पारंपरिक युद्ध के विपरीत, सीबीआरएन से मुकाबला काफी अप्रत्याशित माहौल में होता है जहां मानव और मशीन का सही सामंजस्य में काम करना वांछनीय होगा।"