By अभिनय आकाश | Nov 03, 2025
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) द्वारा मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से उत्पन्न दहशत के कारण एक और व्यक्ति की मौत का आरोप लगाने के बाद एक नया राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। भाजपा ने इन दावों को खारिज करते हुए सत्तारूढ़ दल पर जानबूझकर भय फैलाने और लाशों पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। सूत्रों के अनुसार, रविवार सुबह 60 वर्षीय हसीना बेगम सड़क पर गिर पड़ीं और स्थानीय अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके पड़ोसियों ने बताया कि एसआईआर अभ्यास को लेकर उनके इलाके में हुई एक बैठक के बाद से वह कई दिनों से तनाव में थीं। उनके पास वैध दस्तावेज़ होने के बावजूद, उनका नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं था। तब से, वह बहुत चिंतित थीं। बैठक के बाद तनाव और बढ़ गया।
तृणमूल नेताओं ने दावा किया कि बेगम की मौत भाजपा की आतंक की राजनीति का सीधा नतीजा है। तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि एसआईआर मुद्दे के कारण एक और मौत की दुर्भाग्यपूर्ण खबर है। 60 वर्षीय हसीना बेगम को दिल का दौरा पड़ा। आरोप है कि वह बहुत तनाव में थीं क्योंकि भाजपा नेता कह रहे थे कि जिनके नाम एसआईआर सूची में नहीं हैं, उन्हें बांग्लादेश भेज दिया जाएगा। इससे भारी चिंता पैदा हो गई, क्योंकि उनका नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं था, जबकि वह दशकों से यहीं रह रही थीं। घोष ने भाजपा पर एसआईआर के नाम पर चुनाव आयोग को प्रभावित करने और लोगों को धमकाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने आगे कहा कि इस दहशत ने एक और मौत को जन्म दिया है। हम ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में राजनीतिक, कानूनी और जन आंदोलनों के ज़रिए इसका मुकाबला करेंगे।
तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि हम जो देख रहे हैं वह एक जानबूझकर चलाया जा रहा आतंक का अभियान है, जिसके अनुमानित और घातक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। एसआईआर का मतलब सिर्फ़ मतदाता सूची को 'साफ़' करना नहीं था। जैसा कि अमित शाह ने ख़ुद कहा है, यह पता लगाने, हटाने और निर्वासित करने का एक ज़रिया है। इस स्वीकारोक्ति और SIR को जिस तरह से लागू किया गया है, उसने पूरे बंगाल में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है और आज इसकी कीमत वार्ड 20, दानकुनी की एक 60 वर्षीय महिला को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है।