जंग को जीतने के लिए थलसेना, नौसेना, वायुसेना को मिल कर करनी होगी प्लानिंग

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 19, 2018

 नयी दिल्ली। वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने वायुसेना, नौसेना और थलसेना के बीच संयुक्त योजना के वास्ते संस्थागत ढांचे के लिए जोरदार वकालत की है जिससे देश भविष्य में ‘‘न्यूनतम’’ समय में किसी युद्ध को जीत सके। धनोआ ने कहा कि सेना के तीनों अंगों को देश के समक्ष आने वाली किसी भी संभावित सुरक्षा चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सामंजस्यपूर्ण रुख अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि उनका बल ‘‘संयुक्तता’’ की वकालत करता है। उन्होंने कहा, ‘‘देशों द्वारा एक-दूसरे पर थोपे जा सकने वाले विभिन्न तरह के खतरों की परिस्थिति में सेना का कोई भी अंग पूरी तरह अकेले खुद के दम पर युद्ध नहीं जीत सकता।’’एअर चीफ मार्शल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘इसलिए यह आवश्यक है कि सेना के तीनों अंग संयुक्त योजना को बढ़ावा दें और न्यूनतम संभावित समय में युद्ध जीतने में मदद के लिए सहयोगी सेनाओं की शक्तियों का लाभ उठाएं।’’

सरकार और सेना के तीनों अंगों के बीच चर्चा होती रही है कि क्या भारत को एकीकृत युद्ध क्षेत्र कमानों का मॉडल अपनाना चाहिए जहां तीनों सेवाओं के कर्मी और परिसंपत्तियां एक अधिकारी की कमान के अधीन होंगी। अमेरिका तथा कई पश्चिमी देशों ने यह मॉडल अपना रखा है। रक्षा प्रतिष्ठान में कम से कम दो युद्धक्षेत्र कमान स्थापित करने की चर्चा थी - पाकिस्तान से निपटने के लिए एक पश्चिमी क्षेत्र में, तो दूसरी चीन के साथ किसी स्थिति से निपटने के लिए पूर्वी क्षेत्र में। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार एक रक्षा साइबर एजेंसी, एक रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और तीन सेवाओं की संपत्तियों वाले एक विशेष संचालन प्रभाग की स्थापना करने पर पहले से गंभीरता के साथ विचार कर रही है। तीन बलों के बीच संयुक्त योजना के लिए गंभीर विचार के बीच सरकार ने अप्रैल में तीनों बलों के बीच सामंजस्य सुनिश्चित करने पर केंद्रित एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में एक रक्षा योजना समिति (डीपीसी) गठित की थी।

वायुसेना प्रमुख ने पिछले सप्ताह एक साक्षात्कार के दौरान कहा, ‘‘हमें जो जरूरत है, वह संयुक्त योजना के लिए संस्थागत ढांचे की है। संयोग से, वायुसेना एकमात्र सेवा है जो अन्य दो बलों की प्रमुख लड़ाकू संरचनाओं के साथ काम करने के लिए वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त करती है जिससे वांछित परिणाम हासिल करने के लिए उनकी लड़ाकू क्षमता में सुधार और मजबूती आ सके।’’उन्होंने कहा कि वायुसेना राजनीतिक नेतृत्व द्वारा तय किए गए उद्देश्यों को हासिल करने के लिए थलसेना और नौसेना को समर्थ बनाने में मदद करती है। वर्तमान में भारत के पास 17 एकल सेवा कमान हैं।

देश की एकमात्र त्रिसेवा कमान 2001 में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंडमान-निकोबार में स्थापित की गई थी।चीन ने लगभग दो साल पहले अपने बलों की समूची क्षमता को मजबूत करने के लिए अपनी सेना को पांच युद्ध क्षेत्र कमानों में पुनर्गठित किया था। वायुसेना की काफी समय से लंबित आधुनिकीकरण पहल के बारे में पूछे जाने पर धनोआ ने कहा कि उनके बल की क्षमता आधारित आधुनिकीकरण की योजना है जिससे पूर्ण स्पेक्ट्रम क्षमता हासिल की जा सके। उन्होंने कहा कि वायुसेना भविष्य की चुनौतियों से निपटने तथा भारत के नभक्षेत्र की सुरक्षा करने के लिए तैयार है। आईएएफ प्रमुख ने कहा कि सरकार रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता के उच्च स्तर को हासिल करने के लिए कई कदम उठा रही है।

 

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