By अभिनय आकाश | Jan 28, 2022
21 मई, 1991 की रात दस बज कर 21 मिनट पर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में कुछ ऐसा ही घटित हुआ। तीस बरस की एक छोटे कद की लड़की चंदन का एक हार लेकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरफ़ बढ़ी। जैसे ही वो उनके पैर छूने के लिए झुकी, एक जोरदार धमाके ने वहां सन्नाटा कर दिया। इस घटना को करीब तीस दशक गुजर चुके हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इससे पहले भी राजीव गांधी को मारने की दो बार कोशिश की गई लेकिन वो सफल नहीं हो सकी। आज आपको इन्हीं दो घटनाओँ के बारे में बताएंगे। जब राजीव गांधी पर प्रार्थना सभा में चलाई गईं गोलियां और फिर बंदूक की बट से भी हुआ वार।
बंदूक की बट से वार
जुलाई 1987 को दिल्ली के 10 जनपथ में राजीव गांधी के निवास पर एक बैठक हो रही थी। उस बैठक में राजीव गांधी के ठीक सामने लिट्टे का कमांडर प्रभाकरण बैठा था। दिल्ली के अशोका होटल में ठहरे प्रभाकरण को खुफिया निगरानी में राजीव गांधी के समक्ष लाया गया था। प्रभाकरण ने कहा कि श्रीलंता सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। राजीव गांधी ने कहा कि वह तमिलों के हितों के लिए काम कर रहे हैं। अंतत: प्रभाकरण भारत- श्रीलंका समझौते को एक मौका देने के लिए तैयार हो गए। जिससे राजीव गांधी बेहद ही खुश हुए। उन्होंने तुरंत प्रभाकरण के लिए खाना मंगवाया। खाना खाने के बाद प्रभाकरण जब वहां से रवाना होने लगे तो राजीव गांधी ने राहुल गांधी को बुलाया और अपना बुलेट प्रूफ जैकेट लाने को कहा। प्रभाकरण को जैकेट देते हुए राजीव ने मुस्कुराते हुए कहा कि आप अपना ख्याल रखिएगा। लेकिन इसके अगले ही दिन राजीव गांधी श्रीलंका पहुंचे और राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने के साथ शांति समझौते पर दस्तखत कर दिए। लेकिन राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने के साथ यह शांति समझौता राजीव गांधी के लिए कितना घातक हो सकता था इसका अंदाजा शायद किसी को नहीं था। शांति समझौते की स्याही अभी सूखी नहीं थी कि श्रीलंका में अगले ही दिन एक श्रीलंकाई सैनिक ने उन पर बंदूक के बट से हमला कर दिया। यह घटना तब हुई जब हजारों लोगों के बीच श्रीलंकाई सैनिकों द्वारा राष्ट्रपति जयवर्धने के साथ राजीव गांधी को सलामी दी जा रही थी। हमले के समय राजीव गांधी खुद को संभालते हुए नीचे झुक गए जिस कारण उनके सिर पर चोट नहीं आई किंतु बंदूक का यह वार उनकी गर्दन और कंधे पर जाकर लगा। उस हमले के बाद राजीव लंबे समय तक अपना कंधा पूरी तरह नहीं उठा पाते थे।
प्रार्थना सभा में चली गोलियां
2 अक्टूबर 1986. उस दिन महात्मा गांधी की 117वीं जयंती मनाई जा रही थी। प्रधानमंत्री राजीव गांधी महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पहुंचे और उनके साथ पत्नी सोनिया गांधी भी थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस दिन चंद मिनट के अंतराल में प्रधानमंत्री के ऊपर दो बार हमला किया गया था। हैरानी की बात यह है कि इस हमले को ऐसी जगह अंजाम दिया गया, जहां पहले से ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है। प्रधानमंत्री के साथ इस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री सरदार बूटा सिंह भी मौजूद थे। तमाम इंतजामों के बाद एक ही स्थान पर प्रधानमंत्री के ऊपर दो-दो बार गोलियां दाग दिए जाने की घटना ने, देश के खुफिया तंत्र और दिल्ली पुलिस की कार्य-प्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए थे। इस घटना को लेकर दिल्ली पुलिस के एडिश्नल पुलिस कमिश्नर सिक्योरिटी एंड ट्रैफिक गौतम कौल को सस्पेंड कर दिया गया था। हालांकि, उस घटना को अंजाम देने वाला युवक करमजीत सिंह मौके पर ही पकड़ लिया गया था। उस घटना को अंजाम देने के लिए आरोपी करमजीत सिंह पहले से ही वहां जाकर छिप गया था। उसने एक पेड़ के ऊपर कई दिन तक शरण लेकर प्रधानमंत्री पर नाकाम कातिलाना हमला किया।