Tripura elections 2023: दिलचस्प हो सकता है त्रिपुरा चुनाव, इस राजनीतिक दल ने बढ़ाई सियासी हलचल

By अंकित सिंह | Jan 19, 2023

त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। त्रिपुरा में मुख्य मुकाबला भाजपा गठबंधन और कांग्रेस गठबंधन के बीच है। इस बार कांग्रेस-सीपीआईएम गटबंधन कर चुनाव में उतर रही है। हालांकि, एक दल ने इस चुनाव को काफी दिलचस्प बना दिया है। वह दल सबसे प्रभावशाली आदिवासी आधारित पार्टी टिपरा है। टिपरा का पूरा नाम टिपराहा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन है। हालांकि, कांग्रेस और वाम दलों की ओर से टिपरा को बार-बार प्रस्ताव भेजा गया है। हालांकि, अब तक टिपरा के प्रमुख प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि यह उसी गठबंधन के साथ खड़े रहेंगे जो राज्य में स्वदेशी समूह के लिए टिपरालैंड के अलग राज्य की उनकी मांग को लिखित रूप से स्वीकार करती हो। 

 

इसे भी पढ़ें: Assembly election 2023: त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड में क्या होगा, जानें क्या हैं यहां के समीकरण?


यह समूह राज्य के 60 में से 20 सीटों पर अपना वर्चस्व रखती हैं। यह पहाड़ी क्षेत्रों पर हावी है। आपको बता दें कि त्रिपुरा में विधानसभा की 60 सीटें हैं। इनमें से 20 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है जबकि 10 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए है। यह समीकरण इस राजनीतिक दल को त्रिपुरा में सबसे खास बनाती हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में इन्हीं इलाकों में सीपीआईएम को करारा झटका लगा था। भाजपा और उसके सहयोगी आईपीएफटी ने अपना दम दिखाया था। सीपीआई इन आरक्षित सीटों में से केवल 4 पर ही जीत हासिल कर पाई थी। सबसे दिलचस्प बात तो यह भी है कि टिपरा 30 सदस्यीय त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद पर लगातार शासन करता रहा है। त्रिपुरा के 84% आदिवासी क्षेत्रों में रहते हैं। स्वायत्त परिषद एक मिनी विधानसभा के रूप में आदिवासी वोटों के लिए महत्वपूर्ण साबित होता है। 

 

इसे भी पढ़ें: लोगों को त्रिपुरा में भाजपा की ‘डबल इंजन’ सरकार का फायदा मिला: त्रिपुरा के मुख्यमंत्री


राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर टिपरा कांग्रेस-सीपीआईएम के साथ कोई गठबंधन नहीं करती है तो कहीं ना कहीं विपक्षी दलों को चुनाव में बड़ा लाभ नहीं होगा। टिपरा के अलग लड़ने से भाजपा को फायदा होगा। त्रिपुरा में त्रिकोणीय चुनाव होने की संभावना बढ़ जाएगी। माना जा रहा है टिपरा के बिना कांग्रेस और सीपीआईएम के बीच सीटों का बंटवारा भी संभव नहीं हो सकता है। पार्टी इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के भी संपर्क में है, जिसने 2018 में लड़ी गई नौ सीटों में से आठ पर जीत हासिल की थी और संभावित विलय के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है। वहीं, 2018 में दो दशकों के बाद वामपंथी सरकार को हटाकर और 36 सीटें जीतकर इतिहास रचने वाली भाजपा का लक्ष्य विकास के मुद्दे पर सत्ता में वापसी करना है। 

प्रमुख खबरें

Mandi के लिए पारिस्थितिकी-पर्यटन को बढ़ावा देना मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता : Vikramaditya Singh

Rajasthan: पुलिस ने ट्रक से 3.50 करोड़ रुपये का मादक पदार्थ जब्त किया, चालक गिरफ्तार

BJP सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर, 40 फीसदी तक कमीशन लिया जा रहा : Digvijay Singh

Pune luxury car हादसा : आरोपी नाबालिग के पिता और बार के खिलाफ होगा मामला दर्ज