By रेनू तिवारी | Nov 18, 2025
कहने के लिए अमेरिका इजराइल का खास दोस्त है लेकिन हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब के साथ जो डिफेंस डील ही है वो इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए ठीक नहीं है। जहां एक तरफ इलजाइल लंबे समय से संघर्ष में है। वह लगातार गाजा सहित मिडिल इस्ट के साथ युद्ध कर रहा है ऐसे में ट्रंप का साउदी अरब के साथ फाइटर जेट की डील बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक धोखे की तरफ है।
एक बड़े भू-राजनीतिक कदम के तहत, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुष्टि की है कि वाशिंगटन सऊदी अरब को F-35 लड़ाकू विमान बेचेगा, जबकि उनके अपने प्रशासन के कुछ हिस्से चीन द्वारा संवेदनशील अमेरिकी रक्षा तकनीक तक पहुँच की संभावना पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अपनी हाई-प्रोफाइल वाशिंगटन यात्रा शुरू कर रहे हैं, जो सात साल से ज़्यादा समय में उनकी पहली अमेरिका यात्रा है। एसोसिएटेड प्रेस (एपी) की रिपोर्ट के अनुसार, जब इस बिक्री के बारे में पूछा गया, तो ट्रंप ने कहा, "मैं कहूँगा कि हम ऐसा करेंगे... हम F-35 बेचेंगे।" हालांकि, ट्रंप प्रशासन में इस बात को लेकर चिंता है कि इस तरह की बिक्री से चीन को उन्नत हथियार प्रणाली के पीछे की अमेरिकी प्रौद्योगिकी तक पहुंच मिल सकती है। जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह सऊदी अरब को ये विमान बेचेंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि हम ऐसा करेंगे। हम एफ-35 बेचेंगे।’’
उन्होंने कहा, “वे हमारे लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी रहे हैं।” यह सात वर्षों से अधिक समय में क्राउन प्रिंस की पहली अमेरिका यात्रा होगी इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वह अपनी इच्छाओं और मांगों की एक सूची लेकर आएंगे, जिसमें ट्रंप से अपने देश के लिए अमेरिकी सैन्य सुरक्षा के दायरे को परिभाषित करने का औपचारिक आश्वासन और अमेरिका में निर्मित दुनिया के सबसे उन्नत विमानों में से एक एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने का समझौता शामिल है।
तीन प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि रिपब्लिकन प्रशासन यह नहीं चाहता कि इस लड़ाकू विमान के सौदे से इजराइल की उसके पड़ोसियों के बीच गुणात्मक सैन्य बढ़त कम हो, खासतौर से ऐसे वक्त में जब ट्रंप अपनी गाजा शांति योजना की सफलता के लिए इजराइली समर्थन पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि एक और दीर्घकालिक चिंता यह भी है कि सौदे के बाद एफ-35 प्रौद्योगिकी चीन द्वारा चुराई जा सकती है या किसी तरह चीन को हस्तांतरित की जा सकती है क्योंकि उसके संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब दोनों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं।
ट्रंप की यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब वह सऊदी अरब और इजराइल को उनके आपसी संबंध सामान्य बनाने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। ‘फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज’ में सैन्य और राजनीतिक शक्ति केंद्र के वरिष्ठ निदेशक ब्रैडली बोमन ने कहा, उम्मीद है कि राष्ट्रपति ट्रंप यह स्पष्ट कर देंगे कि पहला एफ-35 तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक सऊदी अरब इजराइल के साथ संबंध सामान्य नहीं कर लेता। वरना राष्ट्रपति अपनी ही पकड़ कम कर लेंगे।
ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रंप पहले के तनावों से आगे बढ़ गए हैं और क्राउन प्रिंस के साथ अपने संबंधों को मज़बूत किया है, जिन्हें वह मध्य पूर्व में अमेरिका की भविष्य की रणनीति के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। सऊदी अरब की भूमिका को स्वीकार करते हुए, ट्रंप ने हाल ही में कहा, "वे एक महान सहयोगी रहे हैं।"