By Ankit Jaiswal | Oct 09, 2025
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में हैं। उनका दावा है कि वे इज़रायल और हमास के बीच चल रहे लंबे और खूनी संघर्ष को खत्म कराने के करीब हैं। ट्रंप ने बुधवार शाम अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रुथ सोशल” पर कहा कि वे जल्द ही मध्य पूर्व जाएंगे ताकि युद्धविराम की घोषणा के साथ दो साल से कैद बंधकों का स्वागत कर सकें।
यह कदम ट्रंप के लिए सिर्फ एक कूटनीतिक सफलता नहीं, बल्कि उनके उस लंबे समय से चले आ रहे लक्ष्य का हिस्सा है जिसमें वे खुद को “डील मेकर” और “पीसमेकर” के रूप में साबित करना चाहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार विजेता उनके इस संभावित दौरे से कुछ घंटे पहले घोषित किया जाएगा, और ट्रंप पहले ही इसे पाने की इच्छा खुलकर जताते रहे हैं।
हालांकि ट्रंप का प्रस्तावित “शांति समझौता” अभी अस्थायी युद्धविराम जैसा ही लगता है। मध्य पूर्व में शांति प्रयासों का इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है, और इस बार भी कई अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। अगर हमास अपने शेष 20 जीवित बंधकों को इस सप्ताह रिहा कर देता है, तो यह एक बड़ी सफलता मानी जाएगी, लेकिन यह भी देखना होगा कि क्या इज़रायल गाज़ा शहर से अपनी सेना हटाने को तैयार होता है।
कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के वरिष्ठ विश्लेषक आरोन डेविड मिलर ने The New York Times से कहा “अगर यह युद्धविराम और बंधक रिहाई समझौता सफल होता है, तो यह केवल ट्रंप की ओर से प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर दबाव डालने के कारण संभव हुआ है। इससे पहले किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने किसी इज़रायली प्रधानमंत्री पर इतना सख्त रुख नहीं अपनाया।”
ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में अब्राहम समझौते के लिए जाने जाते हैं, जिसके तहत इज़रायल और कई अरब देशों संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सूडान और मोरक्को के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए थे। तब सऊदी अरब भी इन समझौतों में शामिल होने की कगार पर था, जिससे चिंतित होकर हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को बड़ा हमला किया था।
इस हमले के बाद इज़रायल की प्रतिक्रिया बेहद हिंसक रही। गाज़ा के 90% घर नष्ट हो गए, और 60,000 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हुई। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इज़रायल की छवि को भी गहरा नुकसान पहुंचा।
नेतन्याहू ने दावा किया कि उन्होंने हमास के शीर्ष नेतृत्व को खत्म कर दिया है, लेकिन गाज़ा में हुई तबाही ने दुनिया को झकझोर दिया। ट्रंप प्रशासन इस बार नेतन्याहू पर नियंत्रण पाने में सफल होता दिखा। यहां तक कि जब नेतन्याहू ने कतर में हमास के वार्ताकारों पर हमला किया, तो ट्रंप ने उनसे माफी मांगने के लिए भी कहा और वह तस्वीरें सार्वजनिक की गईं।
हालांकि अभी भी कई सवाल बाकी हैं, क्या हमास अपने हथियार छोड़ देगा? क्या इज़रायल गाज़ा से पूरी तरह पीछे हटेगा? और क्या फिलिस्तीनी अथॉरिटी को कोई भूमिका मिलेगी? इतिहास बताता है कि इस क्षेत्र में “स्थायी शांति” हासिल करना बेहद कठिन रहा है।
अगर यह समझौता कायम रहता है, तो ट्रंप उन चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों थिओडोर रूजवेल्ट, वुडरो विल्सन, बराक ओबामा और जिमी कार्टर की पंक्ति में शामिल हो सकते हैं जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। लेकिन फिलहाल यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि क्या यह युद्धविराम स्थायी साबित होगा या मध्य पूर्व की धरती फिर किसी नए संघर्ष का गवाह बनेगी।