By संतोष कुमार पाठक | Aug 07, 2025
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी धमकी के मुताबिक, भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। इस नए ऐलान के बाद भारत पर अब कुल मिलाकर अमेरिका ने 50 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जिद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने दुनिया पर सबसे ज्यादा टैरिफ भारत पर थोप दिया है। ट्रंप के ऐलान के बाद दुनिया के दो देशों- भारत और ब्राजील पर सबसे ज्यादा टैरिफ (50 प्रतिशत) लग गया है। ट्रंप का यह फैसला अपने आप में कितना अजीब है कि रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाले देश चीन पर उसने सिर्फ 30 प्रतिशत का ही टैरिफ लगाया है, जबकि भारत पर 50 प्रतिशत थोप दिया है।
ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के इस जिद भरे फैसले को कैसे देखा जाए क्योंकि अमेरिका इस बात को बखूबी समझता है कि भारत की कोई भी सरकार अमेरिका के दबाव में रूस के साथ अपने कारोबारी रिश्ते को खत्म नहीं कर सकती है। भारत रूस से तेल भी खरीदता रहेगा और व्यापारिक संबंध भी रखेगा। ऐसे में कई जानकारों का यह भी मानना है कि ट्रंप का यह फैसला बातचीत से पहले भारत पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है। याद दिला दें कि, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते और टैरिफ को लेकर बातचीत लगातार जारी है और छठे दौर की बातचीत के लिए अमेरिकी अधिकारियों का एक दल 25 अगस्त को भारत के दौरे पर आने वाला है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के ऐलान के बाद, भारत ने बुधवार को ही इसका जवाब भी दे दिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को ही अमेरिका के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए बयान जारी कर कहा कि,"हाल के दिनों में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि हमारे आयात बाज़ार के कारकों पर आधारित हैं और भारत के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के समग्र उद्देश्य से किए जाते हैं। इसलिए, यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत पर उन कार्यों के लिए अतिरिक्त शुल्क लगाने का विकल्प चुना है जो कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हित में कर रहे हैं।"
भारत ने अपने बयान में अमेरीकी फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए आगे स्पष्ट तौर पर कहा, "हम दोहराते हैं कि ये कार्य अनुचित और अविवेकपूर्ण हैं। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को स्वयं मोर्चा संभालते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सख्त संदेश देने का भी प्रयास किया।आईसीएआर पूसा में आयोजित एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरे भाई-बहनों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा। मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं। मेरे देश के मछुआरों के लिए, मेरे देश के पशु पालकों के लिए आज भारत तैयार है।"
इन तमाम बयानों से यह साफ-साफ नजर आ रहा है कि टैरिफ की यह लड़ाई लंबी खिंचने वाली है। ऐसे में समय की यह मांग कि है भारत अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा करने के साथ-साथ अमेरिका को एक बड़ा झटका भी देने की तरफ बढ़े और यह वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रयासों से ही संभव हो सकता है। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने पहले ही डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका देते हुए यह कह दिया है कि, वह टैरिफ पर बात करने के लिए ट्रंप को कॉल नहीं करेंगे। इसकी बजाय वह भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जैसे नेताओं के साथ बातचीत करना चाहेंगे।
भारत को भी इसी तरह का सख्त स्टैंड लेते हुए बातचीत करने के लिए 25 अगस्त को आ रहे अमेरिकी अधिकारियों का दौरा रद्द कर देना चाहिए। इसी महीने के अंत में जापान और चीन की यात्रा पर जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन, रूस, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और जापान के साथ मिलकर डोनाल्ड ट्रंप को सबक सिखाने की रणनीति बनाने पर काम करना चाहिए। लेकिन ऐसा करते समय, चीनी राष्ट्रपति को यह स्पष्ट तौर पर बता भी देना चाहिए कि ऐसे मौके का फायदा उठाकर अगर चीन की सेना ने भारत-चीन सीमा पर कोई नापाक हरकत की तो इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भारत के लिए सही मायनों में यह आपदा में अवसर का प्रतीक है और अगर हमने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सही तरीके से अपना दांव चला तो भारत को विश्व गुरु बनने से कोई रोक नहीं पाएगा।
- संतोष कुमार पाठक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं।