सोनिया गांधी ने चीन मुद्दे पर मोदी को घेरा तो किरेन रिजिजू ने याद दिलाया मनमोहन का कार्यकाल

By नीरज कुमार दुबे | Dec 21, 2022

तवांग मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में विपक्ष का हंगामा आज भी जारी रहा तो दूसरी ओर कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने सीमा पर ‘चीन के कथित अतिक्रमण’ पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस महत्वपूर्ण विषय पर सरकार द्वारा संसद में चर्चा कराने से इंकार करना लोकतंत्र का अनादर है तथा इससे उसकी नीयत पता चलती है। सोनिया के इस आरोप पर पलटवार करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री और अरुणाचल प्रदेश से भाजपा सांसद किरेन रिजिजू ने कहा है कि 2005 में जब हम विपक्ष में थे और बॉर्डर के विषय को उठाया था तब प्रणब दादा और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मुझे बुलाकर कहा था कि भारत-चीन सीमा के मुद्दे संवेदनशील होते हैं इसलिए उसे उजागर न करके आंतरिक रूप से निपटना चाहिए।

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हम आपको बता दें कि अब तक चीन मुद्दे पर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ही मोदी सरकार को घेर रहे थे लेकिन आज सोनिया गांधी भी मैदान में उतर पड़ीं। उन्होंने कहा कि पूरा देश भारतीय जवानों के साथ खड़ा है, लेकिन सरकार के रुख के कारण राजनीतिक दलों और जनता को वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी नहीं मिल रही है। सोनिया गांधी ने पार्टी संसदीय दल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह टिप्पणी की। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, ‘‘चीन का हमारी सीमा पर लगातार अतिक्रमण करना गंभीर का चिंता का विषय है। पूरा देश हमारे उन सजग जवानों के साथ खड़ा है जिन्होंने चीन के हमलों को मुश्किल हालात में विफल किया है।'' उन्होंने कहा कि सरकार इस पर संसद में चर्चा कराने से इंकार कर रही है। इसका नतीजा यह है कि राजनीतिक दल और जनता वास्तविक जमीनी स्थिति को लेकर अनभिज्ञ हैं। सोनिया गांधी ने कहा, ''जब बड़ी राष्ट्रीय चुनौती आती है तो संसद को विश्वास में लेने की परंपरा रही है क्योंकि चर्चा से कई महत्वपूर्ण सवालों पर प्रकाश डाला जा सकता है।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘गंभीर राष्ट्रीय चिंता के विषय पर चर्चा से इनकार करना लोकतंत्र के प्रति अनादर और सरकार की नीयत को दर्शाता है।’’


उधर, सोनिया गांधी के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि 2008 में चीनी राष्ट्रपति जब भारत आए थे तब भी हमने चर्चा की मांग की थी लेकिन तब भी यही कहा गया था कि संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा नहीं होनी चाहिए और आज वही कांग्रेस इस मुद्दे पर बार-बार चर्चा की मांग कर रही है।

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