वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग आत्महत्या के जैसा!

By रमेश सर्राफ धमोरा | Sep 08, 2017

हमारे देश में विकास का प्रतीक मानी जाने वाली सड़कें आज विनाश का पर्याय बनती जा रही हैं। देश में आज ऐसा कोई भी दिन नहीं गुजरता जिस दिन देश के किसी भी भाग में सड़क हादसा न हो और कई लोगों को जान से हाथ धोना न पड़े। अधिकांशत: सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले व्यक्ति आम जन होते हैं। इसलिए वे अखबारों की सुर्खियां नहीं बन पाते जिससे उन दुर्घटनाओं पर लोगों का ध्यान भी नहीं जाता है। 

पिछले साल औसतन एक घंटे में 55 सड़क दुर्घटनाएं हुयीं जिनमें 17 लोगों की मौत हो गयी। यह जानकारी यहां जारी एक सरकारी रिपोर्ट में सामने आयी है। हालांकि कुल मिलाकर सड़क हादसों में 4.1 प्रतिशत की गिरावट आयी है लेकिन मृत्यु दर में 3.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसका अर्थ है कि सड़क पर रोजाना 400 से ज्यादा लोग मारे जाते हैं। भारत में पिछले साल कुल 4,80,652 सड़क दुर्घटनाएं हुयी हैं जिसमें 1,50,785 लोगों की जान गयी और 4,94,624 लोग गंभीर रूप से घायल हो गये।

 

भारत में सड़क हादसे-2016 रिपोर्ट जारी करते हुये केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि हादसे के शिकार लोगों में 46.3 प्रतिशत लोग युवा थे और उनकी उम्र 18-35 साल के बीच है। यह रिपोर्ट भारत में वर्ष 2016 में हुयी दुर्घटनाओं पर आधारित है। इसमें बताया गया है कि कुल सड़क हादसों में शिकार होने वाले लोगों में 18 से 60 साल उम्र के बीच के 83.3 प्रतिशत लोग थे। पुलिस के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क हादसों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार एकमात्र कारण चालकों की लापरवाही है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 13 राज्यों में 86 प्रतिशत हादसे होते हैं। ये राज्य तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, केरल, राजस्थान और महाराष्ट्र हैं।

 

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि रोजाना करीब 400 लोगों की जान लेने वाले सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिये राज्यों को केन्द्रीय सड़क कोष के एक हिस्से का इस्तेमाल करना चाहिये और दुर्घटनावाली जगहों को दुरुस्त करना चाहिये। गडकरी ने कहा कि हम न सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्गों पर बल्कि राज्य राज मार्गों पर भी हादसों की संख्या कम करने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि केन्द्रीय सड़क कोष का 10 फीसदी राशि दुर्घटना वाली जगहों की कमियों को दूर करने के लिये इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जिलों में सड़क सुरक्षा समितियां गठित की जानी चाहियें जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ सांसदों को करनी चाहिये और जिलाधिकारियों को इनका सचिव बनाया जाना चाहिये। यह समिति जिला स्तर पर दुर्घटना के सभी पहलुओं को देखे। गडकरी ने कहा कि सरकार का प्रयास होगा कि अगले दो सालों में सड़क हादसों में हताहतों की संख्या में 50 फीसदी की कमी हो सके। 

 

रिपोर्ट के मुताबिक़ सड़कों पर बने मोड़ों जैसे टी जंक्शन और टी वाई पर सबसे ज़्यादा दुर्घटनाएं हुईं। देश भर में हुए कुल हादसों में से 37 फ़ीसदी हादसे उन्हीं चौराहों और मोड़ों पर दर्ज़ किए गए। उनमें से तकऱीबन 60 फ़ीसदी हादसे टी और टी वाई जंक्शन पर रिकॉर्ड किए गए। वहीं रेलवे क्रासिंग पर पिछले साल 3316 हादसों में 1326 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक़ इन हादसों की सबसे बड़ी वजह ड्राइवरों की गलती रही। स्पीड सीमा को पार करना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, ओवरटेकिंग और मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना कुछ ऐसी ग़लतियां हैं जिनसे बड़ी संख्या में सडक़ हादसे हो रहे हैं। कुल सड़क हादसों में से 84 फ़ीसदी हादसों के पीछे ड्राइवरों की गलती होती है।

 

मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाने के कारण 4,976 दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 2,138 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। उनका मानना है कि मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना सड़क दुर्घटना का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है और आने वाले समय में इसके चलते हादसों में बढ़ोत्तरी की आशंका है। दो पहिया वाहन चलाते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना जिंदगी के लिए कितना घातक हो सकता है, इसका अंदाजा इस ताजा रिपोर्ट को देखकर लगाया जा सकता है। रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल दो पहिया वाहन चलाते हुए मोबाइल इस्तेमाल करने के कारण 2138 लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे। रिपोर्ट बताती है कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली सबसे ज्यादा मौतों का कारण वाहन चलाने के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना है। वाहन चलाने के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल से सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं। इसके बाद हरियाणा का नम्बर है। वहीं महाराष्ट्र में 172 लोगों की मौत वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के चलते हुई। इसके अलावा गलत स्पीड ब्रेकर, सड़क पर गड्ढे और निर्माणाधीन सड़कों के चलते रोजाना 26 लोगों की मौत हो रही है।

 

सड़क दुर्घटनाओं की संख्या और उनमें मरने वालों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई और लोगों की जान बचाने के लिए कदम उठाने की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सड़क परिवहन और सुरक्षा कानून बनाएगी तथा दुर्घटना के शिकारों को बिना पैसा चुकाए तुरन्त चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध कराएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े दर्शाते हैं कि 2020 तक भारत में होने वाली मौतों में सड़क दुर्घटना एक बड़ा कारक होगा। अनुमान के मुताबिक तब प्रति वर्ष पांच लाख 46 हजार लोग इसकी वजह से मरेंगे। 1 करोड़ 53 लाख 14 हजार लोग प्रतिवर्ष इसकी वजह से जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाएंगे। उनके अनुसार सड़क दुर्घटना में मरने वालों में पैदल यात्रियों, मोटर साइकल सवारियों और साइकल सवारियों की संख्या सबसे अधिक है। सच तो यह है कि पूरी दुनिया के सिर्फ एक फीसद वाहन भारत में हैं। जबकि दुनिया भर में हो रही सड़क दुर्घटनाओं में से छ: फीसद यहीं हो रही हैं। 

 

इंटरनेशनल रोड फेडरेशन के मुताबिक भारत में सड़क हादसों में सालाना करीब 20 अरब डॉलर का नुकसान होता है। भारत में 12 करोड़ से ज्यादा वाहन हैं और इनके चलने के लिए पर्याप्त सड़कें होना जरूरी है। सड़क सुरक्षा के नियमों को जानना जरूरी है और इन्हें पालन करना भी। अगर हादसे इसी गति से होते रहे तो 2020 तक तकरीबन 3 लाख सड़क हादसे हर साल होंगे। 55 फीसदी मामलों में मौत हादसे के पांच मिनट के भीतर हो जाती है। 

 

देश की सड़कों पर वाहनों का दबाव बढ़ता जा रहा है। इस पर नियंत्रण के उचित कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही वाहनों की सुरक्षा के मानकों की समय-समय पर जांच होनी चाहिए। स्कूलों में सड़क सुरक्षा से जुड़े जागरूकता अभियान चलाए जाएं। भारी वाहन और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को परमिट दिए जाने की प्रक्रिया में कड़ाई बरती जाए। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता भी तय की जाए, साथ ही छोटे बच्चे और किशोरों के वाहन चलाने पर कड़ाई से रोक लगे। तेज रफ्तार, सुरक्षा बेल्ट का प्रयोग न करने वालों और शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। तभी देश में सड़कों पर लगातार हो रही दुर्घटनाओं पर रोक लग पायेगी।

 

सरकार ने इन हादसे को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति तैयार की है। इस नीति का मकसद इन हादसों के प्रति लोगों को शिक्षित और जागरूक करना है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का मानना है कि संसद में लंबित पड़े मोटर यान (संशोधन) बिल के पारित होने के बाद सड़क हादसों को रोकने के लिए और कारगर कदम उठाए जा सकेंगे। इस बिल में अन्य प्रावधानों के अलावा ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के लिए लगाए जाने वाले जुर्माने में भारी बढ़ोत्तरी का प्रावधान है।

 

-रमेश सर्राफ धमोरा

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