By रितिका कमठान | Jan 09, 2023
मेटावर्स मार्केटिंग की दुनिया में हलचल पैदा करने में सफल रहा है। भारत में शिक्षा के क्षेत्र में इस तकनीक का सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिला है। दिसंबर के महीने में ही मेटा ने कहा था कि वो भारत के सबसे बड़े स्कूल बोर्ड यानी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के साथ मिलकर साझेदारी करेगा। इस साझेदारी के साथ 10 मिलियन से अधिक छात्रों, शिक्षकों को अगले तीन वर्षों तक प्रशिक्षण दिया जाना है।
इसके साथ ही डिजिटल सुरक्षा और ऑनलाइन भलाई पर एक पाठ्यक्रम भी दिया जाएगा। मेटा ने साझेदारी के दूसरे चरण का विस्तार किया है। बता दें कि मेटा के फाउंडर और सीईओ मार्क जकरबर्ग ने कंपनी के एनुअल फ्यूअल फॉर इंडिया इवेंट के दौरान कहा कि इस साझेदारी के लिए हम उत्सुक है। ये एक बड़ा अवसर है। मेटावर्स और वर्चुअल रियलिटी जैसे टूल्स की मदद से भारत के शिक्षा प्रणाली में नया प्रशिक्षण दिया जा सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मेटावर्स या वेब 3 का संभावित आर्थिक प्रभाव 2035 तक $79 बिलियन से $148 बिलियन प्रति वर्ष तक हो सकता है। ये देश के सकल घरेलू उत्पाद का 1.3 प्रतिशत से 2.4 प्रतिशत हो सकता है। शिक्षा के क्षेत्र की बात की जाए तो एक्सपर्ट्स का कहना है कि मेटावर्स में छात्रों को विभिन्न तरीकों से सीखने की शक्ति बढ़ती है। छात्रबातचीत और इमर्सिव लर्निंग एक्सपीरियंस, और यह कक्षाओं से परे सीखने के तरीके से अपनी क्षमताओं में अधिक सुधार करने में सक्षम होता है। हालांकि भारत में अभी कई शैक्षणिक संस्थान इन संभावनाओं को खोज रहे है।
वहीं कई शिक्षकों का मानना है कि मेटावर्स पर वीआर सिमुलेशन छात्रों को सर्जरी और ऐतिहासिक घटनाओं जैसी जटिल अवधारणाओं और प्रक्रियाओं का अनुभव करने और सीखने में मदद कर सकता है। ये छात्रों को अपनी भाषा कौशल का अभ्यास करने के अवसर प्रदान करता है। मेटावर्स वर्ल्ड में वर्चुअल फील्ड ट्रिप, छात्रों को उनकी कक्षाओं को छोड़े बिना दुनिया भर के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक स्थानों पर जाने और उनका पता लगाने में सक्षम बना सकते हैं।
मेटावर्स वर्चुअल लर्निंग एनवायरमेंट बनाने में सफल होता है, जिससे छात्र अपनी पाठ्यक्रम सामग्री के साथ संलग्न हो सकते हैं। यह अधिकांश विषयों के लिए सीखने, अन्वेषण, प्रयोग और पहल के लिए वर्चुअल लर्निंग एनवायरमेंट बनाता है। मेटावर्स छात्रों के तथ्यों को समझने के तरीकों को बदलने में भी मददगार साबित हो सकता है।
बता दें कि भारत में भी कई यूनिवर्सिटी में मेटावर्स का उपयोग करने के लिए वर्चुअल कैंपस का निर्माण किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी मेटा की उपलब्धता के जरिए मेटावर्सिटी बनाने की कोशिश में जुटी हुई है। यूनिवर्सिटी चेन मेटावर्स में पाठ्यक्रम डिजाइन करने पर काम कर रही है, जैसे मेटा स्पेशलाइजेशन, डिलीवरी इन मेटावर्स, मेटा एमबीए, फैशन, डिजाइन और मीडिया के क्षेत्र में शिक्षा बढ़ेगी। छात्रों को सही ज्ञान देने के लिए एक सिग्नेचर इंट्रोडक्टरी-लेवल कोर्स है जिसे मेटा 101 के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त, इसमें मेटावर्स पर कार्यक्रम भी हैं, जिसमें विश्वविद्यालय कार्यकारी एमबीए के साथ-साथ प्रमाणपत्र कार्यक्रमों सहित जीयूएस के सभी मौजूदा पाठ्यक्रमों में मेटा एज को एकीकृत करने की योजना बना रहा है।