By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 20, 2021
नयी दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस से पहले, शनिवार को संसद सदस्यों से आह्वान किया कि वे भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार में योगदान दें। उन्होंने सबसे पहले सीखी जाने वाली और बोली जाने वाली मातृको ‘जीवन की आत्मा’ करार दिया और सांसदों को ईमेल से भेजे गए तीन पृष्ठों के पत्र में इन भाषाओं को प्रोत्साहित करने की अपील की। राज्यसभा के सभापति ने कहा कि मातृकिसी भी बच्चे के लिए दुनिया का पहला झरोखा होता है और इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि घर पर सीखी जाने वाली पहली से शैक्षणिक प्रदर्शन को सुधारने में मदद मिलती है और दूसरी को सीखने में सुविधा होती है। नायडू ने पत्र में इस बात का उल्लेख किया कि भाषीय अवरोधों को खत्म करके बच्चों की रचनात्मक क्षमताओं को फल-फूलने का मौका दिया जाना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है। उप राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को अलग अलग भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में मेल किया है। उन्होंने कहा, ‘‘और संस्कृति एक ही सिक्के दो पहलू हैं। वे समृद्ध ज्ञान और परंपराओं को आकार देती हैं। किसी के अवसान का नतीजा बहुमूल्य विरासत का अंत होता है। हम यह नहीं होने दे सकते।’’ नायडू ने इस बात पर जोर दिया कि देश की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को सुरक्षित रखने के लिए मातृ भाषाओं को बढ़ावा देने की जरूरत है।