वाटर प्यूरीफायर खरीदते समय ध्यान रखें 'ये बातें'

By मिथिलेश कुमार सिंह | Jul 10, 2021

आज के जमाने में पानी का प्रदूषण एक बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है। पहले के जमाने में जहां लोग नल से, कुओं से, यहाँ तक कि नदी-तालाबों तक से पानी पी लेते थे, और स्वस्थ भी रहते थे, परन्तु वर्तमान में जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ा है, वैसे- वैसे जल बड़े मात्रा में प्रदूषित हुआ है।


अब बहुत कम जगहों का पानी आप डायरेक्ट पी सकते हैं, इसलिए वाटर प्यूरीफायर का चलन खूब बढ़ा है। आज मार्केट में एक से बढ़कर एक वाटर प्यूरीफायर हैं, और ऐसे में आपके लिए बेहतरीन वाटर प्यूरीफायर खरीदने के लिए यहां कुछ टिप्स बता रहे हैं, जिन पर आपको बारीकी से ध्यान देना चाहिए।

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सबसे पहले पानी की जांच कराएं।


जी हां! वाटर प्यूरीफायर के लिए सबसे पहले आपको अपने घर में आने वाले पानी की जांच कराना जरूरी होता है। मतलब पानी कितना साफ है, उसमें कितने बैक्टीरिया हैं। उसका टीडीएस क्या है, पीएच स्केल कैसी है?


यह सारी डिटेल जब तक आप को पता नहीं चलेगा, तब तक आप वाटर प्यूरीफायर के लिए ना जाए।


इसमें भी सबसे महत्वपूर्ण बैक्टीरिया की पहचान है। साफ पानी में किसी भी प्रकार का बैक्टीरिया मौजूद नहीं होता है, और अगर पानी पोल्यूटेड है, तो उसमें मौजूद बैक्टीरिया इंसान को बीमार कर देती है। इसमें पेट दर्द से लेकर दूसरी तमाम बीमारियां आपको हो सकती हैं। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि कोई व्यक्ति अपनी नंगी आंखों से बैक्टीरिया नहीं देख पाते हैं। इसे माइक्रोस्कोप की सहायता से ही आप देख सकते हैं। अगर आप किसी शहर में हैं, तो वहां का वाटर डिपार्टमेंट आपको इसकी जानकारी दे सकता है। कुछ वेबसाइट्स भी इसमें आपकी हेल्प करती हैं, जैसे itslab.in, sigmatest.org, nabl-india.org इत्यादि।


बैक्टीरिया के बाद पानी का टीडीएस चेक करना बहुत जरूरी है। इसके लिए आपको एक थर्मामीटर जैसी डिवाइस इस्तेमाल करनी होती है। इसमें जैसे ही आप पानी डालेंगे, आपको पानी का टीडीएस इसमें दिख जाएगा। यह बहुत महंगा भी नहीं है। ऑनलाइन आप इसे खुद भी खरीद कर चेक कर सकते हैं।


टीडीएस की बात करें तो टोटल डिजाल्वड सॉलिड से इसका अभिप्राय होता है। किसी भी पानी में 400 पीपीएम, यानी पार्ट्स पर मिलियन, या इससे कम होता है, तो उसे साफ पानी माना जाता है। इससे ज्यादा अगर टीडीएस है, तो इसे नहीं पीना चाहिए।


आपने अपनी छोटी क्लासेज में ही पढ़ा होगा कि पानी में पोटेशियम, सोडियम जैसे कई तत्व होते हैं। ऐसे में टीडीएस चेक करना बहुत जरूरी है। 


टीडीएस के बाद पीएच स्केल की बारी आती है। इसमें एसिड और क्षार की मात्रा पता चलती है। साथ ही एक्टिव हाइड्रोजन की मात्रा भी आपको पता चलती है। पीएच स्केल की बात करें तो जीरो से 14 के बीच में इसे मापा जाता है। अगर पीएच 6 से कम है, तो पानी में एसिड की मात्रा ज्यादा है, और अगर 7 से ज्यादा है, तो आपके पानी में क्षार की मात्रा ज्यादा है। मतलब 6.50 से 7.50 के बीच के पीएच वाला पानी आपके पीने योग्य होता है। इसके लिए भी आपकी एक डिवाइस आती है, जो करीब ₹700 की होती है, जिसे आप ऑनलाइन परचेज कर सकते हैं। 

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इसके बाद ओआरपी (ORP) आता है, मतलब ऑक्सीडेशन रिडक्शन पोटेंशियल। यह सोडियम, मैग्नीशियम की मात्रा चेक करके बताता है, और इसे चेक करने के लिए भी ऑनलाइन एक डिवाइस आती है, जो तकरीबन ₹3000 की आती है।


यह तमाम चीजें चेक करने के बाद आप पानी की क्वालिटी समझ जाते हैं, और इसके बाद आप 3 तरह से अपनी पानी को साफ कर सकते हैं।


इसमें आर ओ (RO) सबसे पॉपुलर है। आर ओ, यानी रिवर्स ऑस्मोसिस! इससे पानी में घुले मेटल्स, पानी की दूसरी अशुद्धियां इत्यादि समाप्त हो जाती हैं। साथ ही क्लोरीन और ओर्सेनिक जैसी अशुद्ध चीजें भी पानी से दूर हो जाती हैं, बैक्टीरिया समाप्त हो जाता है। हालांकि इसमें हर समय बिजली चाहिए, और 30 से 70 फ़ीसदी पानी इसमें नुकसान हो जाता है। वैसे वर्तमान में ऐसे आर ओ भी आ रहे हैं, जो बिना खराब हुए पानी को वापस टंकी में डाल देते हैं, और आप उसे इस्तेमाल कर सकते हैं।


दूसरी तकनीक अल्ट्रावायलेट (UV) है। इसमें बैक्टीरिया और वायरस को अल्ट्रावायलेट से समाप्त किया जाता है। इसमें एक समस्या यह है कि यह बैक्टीरिया और वायरस को मार तो देता है, लेकिन उसे पानी से बाहर नहीं करता है। 


तीसरी तकनीक है अल्ट्रा फिल्ट्रेशन (UF)। इसे आप ग्रेविटी टेक्निक भी कह सकते हैं। सामान्यतः एक फ़िल्टर होता है, जिससे पानी से गंदगी दूर की जाती है।


अब जब आप इतना जान चुके हैं। अब आप ऑनलाइन इसे तुलना कर सकते हैं। विभिन्न कंपनियों के कस्टमर केयर से बात करके उसकी खूबियां, उसकी कमियां समझ सकते हैं। ऑनलाइन रिव्यू पढ़ सकते हैं, और इसके बाद आप वाटर प्यूरीफायर खरीदने की ओर जा सकते हैं।


- मिथिलेश कुमार सिंह

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