जो खुद कमजोर होते हैं (कविता)

By प्रतिभा तिवारी | Aug 01, 2018

कवयित्री प्रतिभा तिवारी ने जिंदगी की सच्चाइयों से रूबरू कराती कविता 'जो खुद कमजोर होते हैं' में उन बातों का उल्लेख किया है जिनसे आप रोजाना की जिंदगी में रूबरू होते हैं।

 

जो खुद को सुन और समझ नहीं पाते

वो ज़िन्दगी भर कामयाबी को तरसते हैं

जो खुद कमजोर होते हैं

वही दूसरों पर बरसते हैं

ऐसे में भाई, बहन दोस्त यार

लगता है सभी साथ खड़े हैं पर 

आपके दिमाक पर ताले पड़े हैं

ये सब चार दिनों का तमाशा है

पर आपके लिए

ज़िन्दगी भर का तमाचा है

जब तक आपको समझ आये

तब तक कहीं समय न बीत जाये

वही सभी अपने 

जो कहने को तो आपके साथ खड़े थे

आपको कमजोर बना गए

अब वो अपनी ज़िन्दगी का मज़ा ले रहे

और आपको ज़िन्दगी भर की सज़ा दे रहे

आपको बीमार और लाचार बता 

जो अपना प्यार जताते हैं

आपको वो भरमाते हैं

सच में लाचार बनाते हैं

 

-प्रतिभा तिवारी

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