By नीरज कुमार दुबे | Jan 24, 2022
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले सप्ताह देश का आम बजट पेश करेंगी। कोरोना महामारी से जूझ रही जनता को इस बार के बजट से वैसे तो बड़ी उम्मीदें हैं लेकिन चूँकि सरकार के भी हाथ टाइट से दिख रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि सरकार 2022-23 के बजट में कितनी राहत दे पाती है। वैसे विधानसभा चुनावों को देखते हुए किसी नये कर की संभावना तो नजर नहीं आ रही है। बजट से पहले राजनीतिक दल, विभिन्न उद्योग और सामाजिक संगठन सरकार को तमाम तरह के सुझाव दे रहे हैं।
राजनीतिक दलों की माँग
कांग्रेस ने आर्थिक असमानता बढ़ने का दावा करने वाले एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी सरकार की ‘आर्थिक महामारी’ के शिकार देश के गरीब और मध्यम वर्ग के लोग बने हैं। मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि इस बार का आम बजट गरीबी और अमीरी के बीच खाई को पाटने पर केंद्रित होना चाहिए। साथ ही कांग्रेस ने मांग की है कि सरकार सकल आर्थिक कुप्रबंधन सूचकांक की शुरुआत करे, ताकि आर्थिक असामनता की सच्चाई सामने आ सके। वहीं शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से वरिष्ठ नागरिकों के लिए सावधि जमा (एफडी) विशेष ब्याज दर तय करने का अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने डाक बचत योजनाओं और भविष्य निधि कोष (पीपीएफ) में निवेश की सीमा हटाने की अपील भी की है।
उद्योग संगठनों की माँग
उधर, निर्यातकों ने सरकार से बजट में निर्यात संवर्द्धन की दिशा में जरूरी कदम उठाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि कई उत्पादों पर सीमा शुल्क हटाने की भी जरूरत है। इसके अलावा भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सुझाव दिया है कि सरकार आगामी आम बजट में कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत अनिवार्य दो प्रतिशत के अलावा एक प्रतिशत का अतिरिक्त प्रावधान करे। इस कदम से कंपनियों को कोविड-19 टीके की बूस्टर खुराक उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा। वहीं घरेलू फार्मास्युटिकल्स (दवा) उद्योग को आगामी आम बजट से काफी उम्मीदें हैं। उद्योग का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ाने, शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन और विभिन्न दवाओं पर कर छूट को जारी रखने जैसे कदम उठाएंगी। वहीं घरेलू उपकरण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक उद्योग को आगामी बजट में तैयार माल के आयात पर सीमा शुल्क में बढ़ोतरी की उम्मीद है। उद्योग का मानना है कि इससे आयात को हतोत्साहित करने में मदद मिलेगी।
आम जनता की माँग
वहीं जब प्रभासाक्षी संवाददाताओं ने देश के विभिन्न भागों में आम लोगों से बजट को लेकर बातचीत की तो लोगों की पहली मांग यह थी कि महंगाई कम होनी चाहिए। लोगों का कहना था कि रसोई गैस, पेट्रोल और डीजल के दाम तत्काल कम होने चाहिए और खाद्य पदार्थों की कीमतों को भी काबू में करना चाहिए। कुछ लोगों ने स्कूलों की फीस कम करने की मांग की तो कई व्यापारियों ने कहा कि लॉकडाउन में व्यापार प्रभावित हुआ है इसीलिए सरकार को करों में छूट देनी चाहिए। युवाओं ने प्रभासाक्षी से बातचीत में कहा कि रोजगार बढ़ाने की ओर सरकार का ध्यान बजट में सबसे ज्यादा होना चाहिए तो कई वरिष्ठ नागरिकों ने जमाओं पर ब्याज दरों में कटौती नहीं करने और स्वास्थ्य क्षेत्र में बजटीय आवंटन बढ़ाने की माँग की। मध्यमवर्गीय परिवार से जुड़े लोगों का कहना था कि आयकर में छूट बढ़ायी जानी चाहिए।