By अभिनय आकाश | Nov 17, 2025
अगस्त 2025 की बात है। चीन के तट से कुछ किलोमीटर दूर ताइवान के किन द्वीप पर सब कुछ आम दिनों की भांति ही चल रहा था। एक सामान्य सी सुबह थी। चारों ओर शांति ही शांति थी। लेकिन तभी एक सायरन की आवाज इस शांति को भंग कर देता है। ये सायरन एक हवाई हमले का था। वहां के सरकारी दफ्तरों में फटाफट लाइटें बुझनी शुरू हो जाती हैं और लोग मेजों के नीचे जाकर छिप जाते हैं। जो लोग मेजों के नीचे नहीं आ पाए, वह लोग दफ्तर की पार्किंग में चले गए। पास के एक अस्पताल में डॉक्टर खून से लथपथ लोगों का इलाज भी करने लगे रहते हैं। लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि ये खून नकली थे। जिन लोगों को चोट लगी थी, वह भी नकली थी। दरअसल, घायल लोग वॉलंटियर एक्टर थे। सभी लोग एक सिविल डिफेंस ड्रिल में हिस्सा ले रहे थे। कुछ इससे मिलती जुलती ड्रिल से हमारे देश की राजधानी दिल्ली जुलाई के महीने में एक्सरसाइज सुरक्षा चक्र के तहत दो चार हुई थी। अमूमन आपदा के समय, नागरिकों की तत्परता जान बचाने में महत्वपूर्ण होती है। वैसे सिविल डिफेंस और मिलिट्री डील ताइवान में लगातार होती रहती है। इसमें वहां के लोगों का हिस्सा लेना अनिवार्य होता है ताकि अगर किसी सुबह चाइना अचानक यह कर ही दे, हमला कर दे तो लोगों की जान बचाई जा सके और स्थिति को काबू करने की कम से कम कोशिश तो हो ही प्रशासन की तरफ से, जनता की तरफ से। ताइवान पर चीन के संभावित हमले की बात हवाहवाई नहीं है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। जब भी ताइवान का कोई नेता अपने मुल्क की आजादी की बात करता है, उसे एक आ आजाद देश बता देता है, तो चीन कभी भी बयान देने से चूकता नहीं है। एक सख्त और तल्ख बयान हमेशा उनकी तरफ से आता है। लेकिन जब बात जब दो लोगों के बीच तक रहती है तब तक यह आपसी मामला रहता है। चाहे मामला प्रेमियों के बीच से लेकर पति-पत्नी के बीच झगड़े का क्यों न हो। लेकिन जैसे ही इसमें किसी तीसरे पक्ष की एंट्री से बात बिगड़ने लगती है। इन दिनों जापान की तरफ से ताइवान और चाइना के संबंध में कई टिप्पणियां आ रही हैं। जापान वो तीसरा पक्ष बन रहा है जिससे बात बिगड़ने की आशंका है।
जापान की नई प्रधानमंत्री महिला प्रधानमंत्री सेने ताकी इची की एक इकलौती टिप्पणी ने चीन नाम के दुर्योधन को ऐसा भड़का दिया जैसे द्रौपदी की कसम से पूरा महाभारत भड़क उठा था और इसी वक्त एशिया के हालात यह है कि चीन युद्ध के 48 घंटे पहले वाले तैयारियों में प्रवेश कर चुका है। ताइवान की तरफ मल्टी लेयर ब्लॉकेट शुरू हो चुका है। चीन के लड़ाकू जहाज ड्रोन और मिसाइल प्लेटफार्म ताइवान को चारों तरफ से घेरने लगे हैं और अमेरिकी इंटेलिजेंस की रिपोर्ट साफ कह रही है कि कभी किसी भी क्षण चीन हमला कर सकता है और हो सकता है अगली सुबह उठो और युद्ध शुरू हो चुका हो। सवाल यह है अगर चीन का प्लान 2030 के आसपास ताइवान पर हमला करने का था तो अचानक 2025 में चीन क्यों भड़क गया? जापान और चीन की ये जो नई अदावत है, ये कैसे शुरू हुई? क्या चीन इससे भड़क कर ताइवान पर हमला कर ही देगा? अगर ऐसा हुआ तो अमेरिका किसका साथ देगा?
जापान की प्रधानमंत्री ने संसद में खड़े होकर कहा अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो जापान अपनी सेना भेजेगा और ताइवान की रक्षा करेगा। जरूरत पड़ी तो चीन से आमने-सामने की लड़ाई भी लड़ेगा। यह बयान सुनते ही पूरा चीन आग बबूला होगा। अमेरिका कहे तो चीन सह लेता। भारत कहे तो चीन इतना ना जलता। लेकिन जापान कहे तो यह चीनियों के दिल में जहर की तरह उतरता है।
द्वितीय विश्व युद्ध में जापान ने चीन को ऐसा मजा चखाया था वो चीन की नसों में दर्ज है। 50 मिलियन यानी 5 करोड़ चीनी नागरिक उस वक्त हताहत हुए थे। कई शहरों को जलाया गया और ऐसे में आज भी चीन का सबसे बड़ा दुश्मन जिसे माना जाता है वो है जापान। इसलिए जापान की प्रधानमंत्री का बयान चीन के लिए सिर्फ एक बयान नहीं यह अपमान है। एक चुनौती है। यही कारण है आज चीन की जनता ओपनली बोल रही है ताइवान को कब्जाओ और जापान को सबक सिखाओ।
कुछ जानकार यह भी मानते हैं कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जरूरत पड़ने पर जापान ताइवान को सैन्य सहायता देगा। क्योंकि अगर जापान के अस्तित्व पर खतरा होता है तो उसे युद्ध में कूदना पड़ेगा। डोनाल्ड ट्रंप अभी चीन के साथ दोस्ती बढ़ाने में लगे हुए हैं। जी2 जैसे टर्म देकर चीन के साथ करीबी बढ़ा रहे हैं। ऐसी स्थिति में अमेरिका किसका साथ देगा यह तो वक्त ही बताएगा। अभी कॉर्ड की बात भी नहीं कर रहे हैं। डायरेक्ट सी की बात कर रहे हैं चाइना। सीआईए की इंटेलिजेंस भी कहती है कि चीन ताइवान पर हमले की तैयारी पूरी कर चुका है। वो इन्वज़न बार्जेस बना रहे हैं। आज नहीं तो कल ऐसा होगा। अब जापान भी इस विवाद में शामिल हो रहा है। इससे ताइवान में बैठे सुरक्षा विशेषज्ञ और चिंतित हैं। उन्हें खुशी नहीं हो रही है कि कोई हमारे पक्ष में बोल रहा है। वो वही लॉजिक दे रहे हैं जिसका जिक्र हमने शुरू में किया था कि अगर एक विवाद में दो पार्टियां शामिल हैं तो संभव है कि वो आपस में उसको सुलझा लें। ताइवान के फेमस इन्फ्लुएंसरर जिम पॉस ने यही बात कही। उनका मानना है कि चीन ताइवान पर हमला नहीं करेगा शायद। लेकिन अगर उसे उकसाया जाएगा, भड़काऊ बयान दिए जाएंगे तो जरूर चीन का हमला होगा।
ताइवान आज दुनिया में पूरी तरह अकेला है। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप साफ बोल चुके हैं कि हम किसी के खिलाफ युद्ध में शामिल नहीं होंगे। भारत अपने हित देख रहा है। सीधा युद्ध नहीं करेगा। कोरिया चुप है, ऑस्ट्रेलिया चुप है। तो कल अगर चीन हमला कर देता है तो ताइवान को बचाने कौन आएगा? कोई नहीं। ऐसे में जापान पर खतरा मंडरा रहा है। ताइवान पर चक्रव्यूह बन चुका है। चीन की सेना अब मूड में आ चुकी है। और यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि जापान की नई प्रधानमंत्री ने सत्ता में बैठते ही कूटनीति की बजाय युद्ध की भाषा बोल दी है। एशिया का माहौल इतना विस्फोटक है कि सिर्फ एक गलत कदम और पूरा पूर्वी एशिया महाभारत बन सकता है।