कमोडिटी मार्केट से कैसे कमा सकते हैं पैसा? कैसे होगा घर बैठे फायदा ही फायदा?

By कमलेश पांडे | Jul 19, 2018

वायदा बाजार (कमोडिटी मार्केट) आजकल हर किसी को लुभा रहा है। क्योंकि घर बैठे कारोबार करने और मुनाफा कमाने का यह एक अच्छा तरीका है। कई अर्थों में एक नया प्रचलन (ट्रेंड) है जो अब काफी विकसित हो चुका है। फिर भी इस बाजार की बारीकियां समझे बगैर यदि आप अपना हाथ डालेंगे तो हो सकता है कि खाली हाथ लौट जाएं, और फिर हाथ मलते रह जाएं। क्योंकि इस बारे मे गहन जानकारी और विशेष अनुभव के अभाव में कभी कभी लोग अपनी गाढ़ी कमाई भी डूबो आते हैं। 

 

यही वजह है कि आज मैं आपको वायदा बाजार के विषय में वो सारी बातें बताऊंगा जो जानना हर किसी के लिए जरूरी होता है। पहला, यदि आप कमोडिटी ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपना ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ेगा, जिसके जरिए आप कमोडिटी एक्सचेंज में किसी भी प्रकार के सौदे की ख़रीद-बिक्री कर सकते हैं। और दूसरा, आप इस बात का भी ख्याल रखें कि यह ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाते वक्त जिस ब्रोकर के यहां ट्रेडिंग अकाउंट खोल रहे हैं वह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) एवं नेशनल डेरेवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईक्स) का सदस्य अवश्य हो। इसके अलावा, बाज़ार में उसकी ठीक-ठीक पहचान हो। इसके लिए जरूरी है कि आप इन दोनों एक्सचेंज की वेबसाइट पर जाकर इन ब्रोकर्स के बारे में अतिरिक्त जानकारी जुटा लें और तब अपना फैसला लें। यही आपके लिए हितकर रहेगा। 

 

#जब आप ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाने जाएंगे तो निम्न कागजातों की पड़ेगी जरूरत 

 

यदि आप अपना ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाने के लिए सम्बन्धित कार्यालय में जाएंगे या ऑनलाइन प्रयास करेंगे तो आपके पास अपना पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक खाता होना आवश्यक है, अन्यथा आपको निराशा हाथ लगेगी। आपको यह भी मालूम होना चाहिए कि जब आप किसी ब्रोकर के पास अपना ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाते हैं तो वह ब्रोकर आपको एक अकाउंट की आईडी मुहैया कराता है, जिसके जरिए आप खुद भी ट्रेड कर सकते हैं। बशर्ते कि आपके पास मोबाइल, पीसी, टेबलेट में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध हो। दरअसल, इस अकाउंट के जरिए आपको सम्बन्धित ब्रोकर को एक निश्चित शुल्क चुकाना होता है, इसलिए आप यदि खुद से सौदे नहीं करना चाहते हैं तो आप अपने ब्रोकर से फोन के जरिए किसी भी सौदे की खरीद-बिक्री कर सकते हैं।

 

#जानिए आखिर क्या कहता है कमोडिटी मार्केट का अनुभव

 

कोई भी व्यक्ति कमोडिटी ट्रेडिंग करने में खुद से सौदे करने से पहले यदि अपने ब्रोकर के माध्यम से सौदे करता है तो ऐसा करने से जोखिम घटता है। क्योंकि यदि खुद ही सौदे करना चाहते हैं तो पहले कुछ दिन तक आप मॉक ट्रेडिंग कर सकते हैं। आपको यह भी पता होना चाहिए कि एमसीएक्स में ज्यादातर नॉन एग्री तथा एनसीडीईएक्स में एग्री कमोडिटी में कारोबार होता है। इसके अलावा, वायदा कारोबार यानी कमोडिटी मार्केट में निवेश करने से पहले आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि किस एक्सचेंज पर किन-किन कमोडिटीज का कारोबार होता है। बता दें कि देश के सबसे बड़े नॉन एग्री कमोडिटी एक्सचेंज में बुलियन, क्रूड, बेस मेटल्स का कारोबार होता है जिसमें काफी लोग रुचि ले रहे हैं।

 

इसके अलावा, कुछ एग्री कमोडिटीज जैसे मेंथा तेल, क्रूड, पाम तेल (सीपीओ) की ट्रेडिंग होती है। इसी तरह एनसीडीईएक्स पर अधिकतर एग्री कमोडिटीज का वायदा कारोबार होता है। जबकि, एनसीडीईएक्स पर ग्वार, चना, जौ, गेहूं, सोयाबीन, धनिया, कैस्टर, जीरा, हल्दी आदि अन्य कमोडिटीज का वायदा कारोबार होता है।

 

#समझिए, कमोडिटी वायदा बाजार में कितना मिलता है मार्जिन मनी?

 

यदि आपको नहीं पता हो तो जान लीजिए कि जहां हाजिर बाज़ार में किसी भी जिंस को खरीदते समय एक साथ पूरा का पूरा भुगतान करना पड़ता है, वहीं, कमोडिटी वायदा बाजार में कुछ रकम देकर भी किसी व्यक्ति के लिए ट्रेडिंग संभव है। इसी रकम को मार्जिन मनी कहा जाता है। प्रायः प्रत्येक कमोडिटी को खरीदने अथवा बेचने के लिए एक निश्चित मार्जिन पहले से ही निर्धारित होता है जो आमतौर पर तीन से पांच फीसदी के बीच ही होती है। यह बात दीगर है कि कभी कभार भारी उतार-चढ़ाव के चलते एक्सचेंज अतिरिक्त रूप से स्पेशल मार्जिन भी लगाते हैं, जिससे निवेशकों को फायदा होता है।

 

#जानिए, वायदा कारोबार (कमोडिटी मार्केट) में ट्रेडिंग करने सम्बन्धी खास बातें

 

पहला, यदि आप कमोडिटी ट्रेडिंग करते हैं तो 'स्टॉपलॉस' का ध्यान अवश्य रखें। इससे आपका जोखिम बहुत कम हो जाता है। दरअसल, 'स्टॉपलॉस' लगाने से उस निश्चित भाव पर पहुंचते ही सौदा अपने आप ही कट जाता है, जिससे आपको नुकसान होने की संभावना भी कम हो जाती है। लिहाजा, मुनाफे के आसार बढ़ जाते हैं।

 

दूसरा, वायदा बाजार में ट्रेडिंग करने में कम मार्जिन मनी देकर भी आपको सौदे का विकल्प मिलता है। लिहाजा, अधिक सौदे करने से मुनाफा भी अधिक होगा, इस लालच में कभी भी नहीं पड़ें। कहने का तात्पर्य यह कि यदि आप कई लॉट्स में सौदे न करके महज अपनी आय के अनुसार ही ट्रेडिंग करें। इससे आप सेफ मोड में रहेंगे और क्षति की गुंजाइश नहीं के बराबर होगी।

 

तीसरा, कमोडिटी ट्रेडिंग एवं शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में कुछेक बुनियादी अंतर है जिसे समझना आपके लिए बहुत जरूरी है। वह यह कि शेयर बाजार में आप शेयरों को एक दफे खरीद कर कई वर्ष बाद भी बेच सकते हैं, जबकि कमोडिटी मार्केट में दो-तीन निकटस्थ महीनों में ही कारोबार होता है। लिहाजा, सौदे खरीदने-बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन अवश्य करना चाहिए। ऐसा हर किसी के लिए आवश्यक होता है।

 

चौथा, प्रारंभ में छोटे छोटे सौदे यानी कि मिनी लॉट में कारोबार करने से मुनाफा कमाने की संभावना अधिक रहती है। इसलिए जब आप वायदा कारोबार से पूरी तरह से सुपरिचित हो जाएं, तभी बड़े बड़े सौदे यानी कि बिग लॉट्स में कारोबार करने की कोशिश करें। इससे आपको लॉस होने की संभावना नहीं के बराबर रहेगी। 

 

पांचवां, हमेशा ही आप बाजार के रुख (ट्रेंड) के मुताबिक ही चलें क्योंकि यदि किसी खास कमोडिटी में लगातार गिरावट का रुख जारी है तो आप भी उसी तरह के सौदे डालें। इससे हर वक्त आप सेफ मोड में रहेंगे और आपकी पूंजी सुरक्षित रहेगी।

 

छठा, कमोडिटी मार्केट्स में शेयर बाज़ार की तरह ही ग्लोबल स्तर पर जारी होने वाले आंकड़ों का बड़ा असर होता है, विशेष तौर से अमेरिका एवं चीन के बाज़ारों की खबरें भारतीय बाज़ार में भी काफी हलचल लाती हैं। लिहाजा, इन देशों में जारी होने वाले इवेंट्स तथा आर्थिक आंकड़ों पर सतत निगाह रखें। यदि आपका ध्यान आपके लिए संभावित महत्वपूर्ण सूचनाओं पर रहेगा तो आप भी सिकन्दर साबित होंगे, अन्यथा कतई नहीं।

 

सातवां, तरल (लिक्विड) सौदे में कारोबार करने से फायदेमंद होता है। उदाहरण स्वरूप बुलियन, कच्चा तेल एवं बेस मेटल्स में कारोबार करने से किसी का भी जोखिम कम होता है। यही नहीं, बाज़ार से हमेशा बाहर निकलने का मौका भी बना रहता है। 

 

आठवां, शेयर बाजार में कमोडिटी मार्केट की तरह डिवीडेंड और बोनस नहीं मिलता है। क्योंकि इसमें सौदा बिकने के बाद ही फायदा अथवा नुकसान होता है। इसलिए इस हिसाब से अपनी योजना बनाएं कि आपको लाभ अधिक हो और हानि की संभावना नहीं के बराबर बचे।

 

नौवां, दुनिया भर के केन्द्रीय बैंक की नीतियों (पॉलिसी) का भी कमोडिटी मार्केट पर अच्छा-खासा असर होता है। खासतौर से बुलियन कारोबार, कच्चा तेल एवं बेस मेटल्स की कीमतों में इनकी केन्द्रीय पॉलिसी का जबर्दस्त असर दिखता है। इन बैंकों में फेडरल रिजर्व बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैड का असर ज्यादा दिखता है। इसलिए इन पर भी आप अपनी सतत निगाह टिकाए रखें।

 

दसवां, हाजिर बाजार में मांग-आपूर्ति (सप्लाई-डिमांड) का भी ध्यान रखें। विशेषकर एग्री कमोडिटी में कारोबार करते समय मंडियों में किसी फसल की आवक कैसी है और आगे उत्पादन कैसा रहेगा, इस बात की अद्यतन जानकारी रखें। 

 

इस बात में कोई दो राय नहीं कि यदि आप इतना सब कर लेंगे और अपेक्षित सावधानियां बरतते हुए सटीक निर्णय लेंगे तो तय मानिए कि मुनाफा अधिक होगा और घाटा की संभावना बिल्कुल नहीं के बराबर।

 

-कमलेश पांडे

प्रमुख खबरें

गुजरात में पहले से ज्यादा बड़ी दिख रही मोदी लहर क्या संदेश दे रही है?

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान में छुपे सात आतंकी आकाओं की संपत्तियां कुर्क

अंतरिम जमानत पर फैसला दिए बिना उठ गई बेंच, केजरीवाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ये क्या हो गया?

सलमान खान के घर फायरिंग मामला: मुंबई क्राइम ब्रांच ने पांचवें आरोपी को राजस्थान से गिरफ्तार किया