By अभिनय आकाश | Sep 25, 2021
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक को आज संबोधित किया। जिसमें उन्होंने भारत की बड़ी उपलब्धि का जिक्र किया। भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का वैक्सीन डिलीवरी प्लेटफॉर्म कोविन एक ही दिन में करोड़ों वैक्सीन डोज लगाने के लिए डिजिटल सहायता दे रहा है। इसके साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महाससभा को जानकारी देते हुए कहा कि भारत ने दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन विकसित कर ली है जिसे 12 साल से ज्यादा आयु के सभी लोगों को लगाया जा सकता है। इसके साथ ही फिर से वैक्सीन का एक्सपोर्ट भी शुरू हो चुका है और भारत कह रहा है आओ वैक्सीन बनाओ।
मैन्युफैक्चर्स को UNGA के मंच से आमंत्रण
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के वैज्ञानिक नेसेल वैक्सीन के निर्माण में भी जुटे हैं। अपने दायित्व को समझते हुए एक बार फिर भारत ने दुनिया को वैक्सीन देनी शुरू कर दी है। मैं आज दुनियाभर के वैक्सीन मैन्युफैक्चर्स को भी आमंत्रित करता हूं "कम एंड मेक वैक्सीन इन इंडिया"।
12 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन
हम सब इस बात को जानते हैं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन ही सबसे बड़ा हथियार है। कोई भी दवा जब आती है तो अपने साथ बहुत सारी उम्मीद लेकर आती है। ये तो हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक लगाई जा रही है। आज बात इस लड़ाई में देश को मिले एक और हथियार की करेंगे। बीते दिनों जायडस कैडिला को आज ZyCoV-D के लिए डीसीजीआई से आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के लिए अनुमोदन प्राप्त हुआ। कोविड-19 के लिए दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए आधारित वैक्सीन 12 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों सहित मनुष्यों में लगाया जाएगा।
दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन
अहमदाबाद स्थित इस फार्मा कंपनी ने अपनी इस वैक्सीन के आपात इस्तेमाल के लिए डीसीजीआइ के पास पहली जुलाई को आवेदन दिया था। कंपनी का कहना है कि उसने भारत में अब तक 50 से अधिक केंद्रों पर इस वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल किया है। कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन होगी जिसे किसी भारतीय कंपनी द्वारा विकसित किया गया है। इसके जरिए जेनेटिकली इंजीनियर्ड प्लास्मिड्स को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। इससे शरीर कोविड-19 के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन होता है और इस तरह वायरस से बचाव वाले एंटीबॉडी पैदा होते हैं। ज्यादातर कोरोना वैक्सीन के 2 डोज लगते हैं लेकिन कैडिला की इस वैक्सीन के 3 डोज लगेंगे।