तलवारबाजी या फेंसिंग क्या है? जानें खेल का इतिहास और नियम, 2024 पेरसि ओलंपिक में भारत को मेडल की उम्मीद

By Kusum | Jan 01, 2024

फेंसिंग एक लड़ाई का खेल है, जिसमें दो एथलीट एक दूसरे पर हमला करने और बचाव करने के लिए तलवार का इस्तेमाल करते हैं। इसमें तलवारबाज अपने प्रतिद्वंद्वी पर हमला करते हुए अंक हासिल करते हैं। 


मॉडर्न फेंसिंग के तीन डिसिप्लिन हैं। एपी, फॉयल और साबरे (इसे साबर भी कहा जाता है) प्रत्येक डिसिप्लिन में एक एलग प्रकार की तलवार या ब्लेड का इस्तेमाल किया जाता है और सभी के अलग-अलग नियम हैं। 


फेंसिंग का आविष्कार

तलवारों से लड़ी जाने वाली लड़ाई के सबूत 1190 ईसा पूर्व में प्राचीन मिस्त्र से मिलते हैं, जहां 18वीं शताब्दी तक युद्ध और लड़ाई का सिलसिला चलता रहा। तलवारबाजी मूल रूप से सैन्य ट्रेनिंग का एक हिस्सा था और 14वीं या 15वीं शताब्दी में जर्मनी और इटली दोनों ही देशों में एक खेल के रूप में विकसित होना शुरू हुआ। 


तलवारबाजी के नियम

एक तलवारबाजी मुकाबले में दो फेंसर और एक रेफरी शामिल होते हैं। इसमें खिलाड़ी को प्वाइंट स्कोर करने के लिए अपने प्रतिद्विंद्वी के शरीर के टार्गेट एरिया पर अपनी तलवार से हिट या हट करना होता है। फेसिंग के तीनों डिसिप्लिन में मुकाबले एक पिस्ट पर होते हैं, जो 14 मीटर लंबी और 1.5 मीटर 2 मीटर चौड़ी होती है। पिस्ट के अंतिम छोर से बाहर पैर रखने पर प्रतिद्वंद्वी को एख अंक मिलता है। प्रत्येक टच से एक प्वाइंट मिलता है, और प्रत्येक मुकाबले को तीन मिनट के तीन राउंड में आयोजित किया जाता है। 


फेंसिंग स्कोरिंग कैसे काम करती है? इंडिविजुअल बाउट में सबसे पहले 15 अंकों तक पहुंचने वाला प्रतियोगी या तीसरे राउंड के समाप्त होने के बाद सबसे आगे रहने वाले एथलीट को विजेता घोषित किया जाता है। 


टीम प्रतियोगिता में, एख टीम का प्रत्येक सदस्य दूसरी टीम के प्रत्येक सदस्य का एक बार सामना करता है। प्रत्येक मुकाबला तीन मिनट लंबा या 5 अंक का होता है, जिसमें हर मुकाबले का स्कोर अगले मुकाबले में जुड़ता जाता है। अगर नौवां बाउट समाप्त होने पर भी किसी टीम के 45 अंक नहीं होते हैं, तो सबसे ज्यादा अंकों वाली टीम को विजेता घोषित कर दिया जाता है। 


फेंसिंग कितने प्रकार की होती है?

फेंसिंग तीन अलग-अलग प्रकार की होती है। फॉयल, एपी और साबरे। तलवारबाजी के तीनों डिसिप्लिन में से प्रत्येक में एक अलग तरह के ब्लेड का उपयोग किया जाता है। फॉयल में एक हल्के थ्रस्ट-टाइप ब्लेड का इस्तेमाल करता है, एपी में एक भारी थ्रस्ट-टाइप हथियार का इस्तेमाल किया जाता है। साबरे में एक लाइट कटिंग और थ्रस्ट-टाइप हथियार का इस्तेमाल होता है। 


ओलंपिक में तलवारबाजी

साल 1896 में पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों में डेब्यू के बाद से ये खेल उन पांच खेलों में से एक है जो ओलंपिक खेलों में स्थायी रूप से प्रोग्राम में शामिल रहा है। एथेंस में 1896 के खेलों में केवल तीन इवेंट आयोजित किए गए थे। लेकिन तब से इवेंट की संख्या बढ़कर 12 हो गई है। जिसमें पुरुषों और महिलाओं की व्यक्तिगत और प्रत्येक डिसिप्लिन के लिए टीम प्रतियोगिताएं भी शामिल हैं। 

 

2024 पेरिस ओलंपिक में भारत को मेडल की आस

एशियन गेम्स 2023 में भारत की स्टार तलवारबाज भवानी देवी देश के लिए पहला पदक जीतने से चूक गईं। लेकिन पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतवासियों को उनसे मेडल की आस है। 


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