हैलोवीन ईसाई धर्म के लोगों का एक त्यौहार है। जिसे 31 अक्टूबर की रात को मनाया जाता है। लेकिन धीरे-धीरे भारत में हैलोवीन मनाने का चलन बढ़ा है। इस त्यौहार को लोग युवा वर्ग खासा उत्साहित रहता है। इस दिन लोग मेकअप लगाकर, डरावने कपड़े पहनकर भूत बनते हैं।
हैलोवीन का इतिहास
हैलोवीन शब्द का इस्तेमाल पहली बार 16वीं शताब्दी में हुआ था। हालांकि अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग कहानियां सुनने को मिल जाती है। लेकिन माना जाता है कि किसान लोग बुरी आत्माओं से फसलों को बचाने के लिए भूतिया कपड़े पहनते हैं ताकि बुरी आत्माओं को डराकर भगाया जा सके। ऐसे में हेलोवीन ही वो दिन है जिस दिन किसान भूतिया कपड़े पहनकर आत्माओं को डराते हैं। लेकिन जैसे-जैसे समय बदला कहानियां भी बदलती गई और हेलोवीन मनाने का ढंग भी।एक मान्यता यह भी है कि 31 अक्टूबर का दिन फसल कटाई का आखिरी दिन होता है। ऐसे में पूर्वजों की आत्माएं फसल की कटाई में हाथ बटाने के लिए आती हैं।वहीं, आज के समय में हैलोवीन को युवा मस्ती का एक साधन समझते हैं और इसी वजह से इसकी लोकप्रियता भी बढ़ती जा रही है। यह सामान्यतः आयरलैंड, अमेरिका, कनाडा, प्युर्तोरिको, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में प्रासंगिक रूप से मनाया जाता था लेकिन धीरे-धीरे दुनिया के तमाम मुल्कों में इसे मनाया जाने लगा।कद्दू से बनाई जाती है कलाकृति
इरिश लोक कथाओं के अनुसार हेलोवीन पर जैक ओ-लैंटर्न बनाने का चलन है। इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि खोखले कद्दू में आंख, नाक और मुंह बनाकर अंदर मोमबत्ती रखते हैं। ताकि अंधेरे में यह डरावने दिखाई दें। इसके बाद सभी कद्दुओं को दफना दिया जाता है। हेलोवीन के अवसर पर जश्न का आयोजन होता है। तोहफे बांटे जाते हैं। बच्चों को चॉकलेट और टाफियां दी जाती हैं। दोस्त मिलकर एप्पल बोबिंग गेम भी खेलते हैं। वैसे हम आपको बता दें कि हेलोवीन को Hallows Eve, All halloween, All Saints Eve, All Hallow Evening के नाम से भी जाना जाता है।