क्या है लाल मस्जिद कांड की कहानी? जिसका अफगानिस्तान के दिल में है दर्द और पाकिस्तान से शुरू हुई जानी दुश्मनी

By अभिनय आकाश | Oct 13, 2025

साल 1991 में आई फिल्म का एक दृश्य जब राजकुमार यानी ठाकुर साहब विवेक मुस्रान से पूछते हैं कि सबसे खतरनाक दुश्मन कौन होता है, तो जवाब आता है कोई गहरा या पुराना दोस्त। ऐसे ही दो दोस्त अब दुश्मन  बन चुके हैं। वो भी एक दौर था जब अफगानिस्तान और पाकिस्तान एक दूसरे के पक्के दोस्त हुआ करते थे। वो भी एक दौर था जब पाकिस्तान अफगानिस्तान की मदद करता था। वो भी एक दौर था जब पाकिस्तान ने पूरी दुनिया के सामने तालिबान को मान्यता देकर उनका सपोर्ट किया था। पाकिस्तान खुफिया संगठन आईएसआई ने तालिबान की सैन्य और आर्थिक तौर पर जमकर मदद भी की थी। पाकिस्तान ने 1996 में तालिबान सरकार को मान्यता दी थी। लेकिन जैसे जैसे वक्त बदला तस्वीर भी बदल गई। जिन दो देशों को एक दूसरे का पक्का दोस्त माना जाता था। आज वो एक दूसरे के जानी दुश्मन बन गए। ऐसे में सवाल है कि ये सब कैसे हुआ? किस कारण दोनों दोस्त एक दूसरे के दुश्मन बन गए। आज हम अफगानिस्तान की पाकिस्तान संग दोस्ती से दुश्मनी तक का एमआरआई स्कैन करते हैं। 

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साल 2007 में क्या हुआ था

ये दुश्मनी साल 2007 से शुरू होती है। दरअसल, पाकिस्तान की लाल मस्जिद के कुछ इस्लामिक कट्टरपंथियों ने इस्लामाबाद के समाज सेंटर पर हमला करके 9 लोगों को किडनैप कर लिया। तीन जुलाई 2007 को पाकिस्तान की सेना ने इसका जवाब देते हुए लाल मस्जिद को घेरते हुए ऑपरेशन साइलेंस शुरू किया। इसके बाद लाल मस्जिद में बवाल शुरू हो गया। लाल मस्जिद के भीतर मौजूद इस्लामिक कट्टरपंथियों ने न सिर्फ फायरिंग की बल्कि कई सरकारी इमारतों को भी फूंक दिया। मस्जिद के भीतर मौजूद कट्टरपंथियों ने पाकिस्तान सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल हारून उल इस्लाम को गोली मारकर हालात को और बिगाड़ दिया था। इसके बाद दोनों के बीच जमकर गोली बारी शुरू हो गई। पाकिस्तान की तरफ से जारी ऑपरेशन में पाक सैनिकों और मस्जिद के भीतर मौजूद कट्टरपंथियों को मिलाकर करीब 100 से ज्यादा लोग इस ऑपरेशन में मारे गए। 

बढ़ती गई दुश्मनी

इस ऑपरेशन में पाकिस्तान जीत गया था। लेकिन पाक के इस्लामिक कट्टरपंथी तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के खिलाफ हो गए थे। इसी वजह से टीटीपी बनी और जिसे तालिबान ने भी अपना समर्थन दिया। तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान बनने के बाद पाकिस्तान के भीतर 88 बम ब्लास्ट हुए थे। जिनमें 1100 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 3200 से ज्यााद घायल हुए थे। यहीं से दोनों देशों के बीच तकरार बढ़ती चली गई। देखते ही देखते दोनों देश एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन बैठे। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच इस दुश्मनी को और बढ़ाने का काम पाकिस्तान की एयर फोर्स ने किया। दिसबंर 2024 में पाकिस्तानी एयरफोर्स ने अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक की और इस एक्शन के बाद दोनों के बीच तनाव बढ़ गया। इसके पीछे की वजह ये थी कि इन हवाई हमले में अफगानिस्तान के 46 लोगों की जान चली गई थी। इस हमले के बाद पाकिस्तान ने दावा किया था कि उन्होंने टीटीपी के आतंकियों को निशाना बनाया था। लेकिन अफगानिस्तान में सत्ता में मौजूद तालिबान ने कहा था कि ये शर्णार्थियों पर हमला है। इस घटना के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तल्खियां बढ़ती चली गई। 

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पाकिस्तान अफगानिस्तान अब क्यों भिड़े

पाकिस्तान ने काबुल पर एयर स्ट्राइक की, तो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपीने 24 घंटे के भीतर खैबर पख्तूनख्वा में आत्मघाती हमला कर दिया। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, हमले में 50 से अधिक पुलिसकर्मी मारे जाने की आशंका है। हालांकि अधिकारियों ने सात मौतों की पुष्टि की, 13 लोग घायल बताए। हमला डेरा इस्माइल खान जिले के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर पर हुआ। पाक मीडिया के मुताबिक विस्फोट के बाद भारी हथियारों से लैस आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की, जिसे पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया।

किसने किसके कितने सैनिक मारे?

उधर तालिबान वाला अफगानिस्तान दावा कर ही रहा था कि उसने पाकिस्तान के 58 सैनिक मार दिए। इधर पाकिस्तान ने भी हल्ला मचाया कि उसने अफगानिस्तान के 200 सैनिक मार गए। जवाबी कार्रवाई में 19 अफगान पोस्ट कब्जे में लिए। ये झड़प ऐसे समय हुई जब अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत के दौरे पर हैं। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि तालिबान और टीटीपी लड़ाकों ने पहले हमला किया, जिसमें 23 पाक सैनिक मारे गए और 29 घायल हुए। इसके बाद पाक सेना ने , जिनमें 200 तालिबान लड़ाके मारे गए। उधर, कतर के विदेश मंत्रालय ने दोनों पक्षों से बातचीत और संयम को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है।

2025 में 6 बार पाक-अफगान तनाव कई बार निर्दोषों पर पाक के हमले

10 जनवरी 2025: पाक ने अफगानिस्तान में एयरस्ट्राइक्स किए, पाकिस्तान ने अफगान से सक्रिय चरमपंथी समूहों को जिम्मेदार बताया।

2 से 4 मार्च 2025: तोरखम/सीमा पर दोनों पक्षों की फायरिंग; दोनों पक्षों से कई घायल।

23 मार्च 2025: वजीरिस्तान में पाक ने 16 लड़ाकों के मारे जाने का दावा किया और अफगान सरकार से सुरक्षा कड़ी करने की मांग दोहराई।

25-28 अप्रैल 2025: वजीरिस्तान के पास बड़े पैमाने पर घुसपैठ की कोशिश नाकाम, पाक सेना ने 71 मिलिटेंट्स के मारे जाने का ब्योरा दर्ज।

28 अगस्त 2025: नंगरहार और खोस्त में पाक एयरस्ट्राइक; 3 नागरिकों की मौत, 7 घायल।

11-12 अक्टूबर 2025: अब नया तनाव।

डूरंड लाइन विवाद

132 साल पुराना डुरंड लाइन विवाद 1893 में ब्रिटिश राज ने जो सीमा तय की थी, अफगानिस्तान ने उसे कभी मान्यता नहीं दी। करीब 2,640 किमी लंबी यह लाइन अफगान पश्तून इलाकों को दो हिस्सों में बांटती है। इसी को लेकर दोनों देशों में आए दिन झड़पें होती हैं।

30 लाख अफगान लोगों का डिपोर्टेशन

पाकिस्तान में करीब 30 लाख अफगान शरणार्थी रह रहे हैं। इनमें से 14 लाख के पास रजिस्ट्रेशन कार्ड हैं, बाकी को 'गैरकानूनी' बताते हुए पाकिस्तान ने निकालने का अभियान चलाया है। तालिबान ने इसे 'मानवीय संकट' कहा और चेतावनी दी कि लाखों लोगों को जबरन लौटाना दुश्मनी बढ़ाएगा।

ट्रम्प और मुनीर की बढ़ती दोस्ती ने टेंशन को बढ़ाया

अफगानिस्तान का लगभग पूरा व्यापार कराची और ग्वादर पोर्ट के जरिये होता है। पाकिस्तान जब चाहे सीमा पार के रास्ते बंद कर सकता है। इससे अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ता है। मेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान से बगराम एयरबेस वापस लेने के बयान पर अफगानिस्तान ने आपत्ति जताई है। पाकिस्तान को पाशनी पोर्ट देने की अमेरिकी दिलचस्पी से तालिबान सतर्क हो गया है। अफगान विशेषज्ञों का कहना है कि वॉशिंगटन-इस्लामाबाद की बढ़ती दोस्ती से काबुल को अपनी सुरक्षा और संप्रभुता पर खतरा महसूस हो रहा है।


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