Mirzapur के कालीन भैया जैसा जौनपुर के कोडिन भइया कौन? कफ़ सिरप को लेकर योगी-अखिलेश में भिड़ंत की पूरी कहानी क्या है

By अभिनय आकाश | Dec 22, 2025

कोडिन खांसी की सिरप में इस्तेमाल होने वाली एक दर्द निवारक दवा जो मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति का सबसे बड़ा कीवर्ड है। जिस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों लड़े जा रहे हैं। अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर मिर्जापुर के कालीन भैया की तरह जौनपुर में कोडिन भैया को संरक्षण देने का आरोप लगाया तो जवाब में योगी आदित्यनाथ ने आरोपियों को समाजवादी पार्टी से जुड़ा हुआ बता दिया। कोडिन भैया को लेकर दोनों तरफ से पोस्टर वार जारी है। सोशल मीडिया पर तस्वीरें छाई हुई हैं। दोनों तरफ से जमकर बयानबाजी हो रही है। लेकिन इन सबके बीच सवाल यह है कि आखिर यह कोडन कफ सिरप का मामला क्या है और अखिलेश यादव कोडन भैया के जरिए किस पर तंज कस रहे हैं।

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पूरे सिंडिकेट का खुलासा कब हुआ

पिछले साल फरवरी में, राज्य सरकार ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को संयुक्त जांच का आदेश दिया थायह जांच इस आरोप के संबंध में की गई थी कि कफ सिरप और कोडीन आधारित अन्य दवाओं का अवैध रूप से भंडारण किया जा रहा था और उन्हें विभिन्न राज्यों और सीमा पार तस्करी करके नशीले पदार्थों के रूप में बेचा जा रहा थामध्य प्रदेश स्थित केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो से मिली महत्वपूर्ण जानकारी के आधार पर, दवा निरीक्षकों ने हिमाचल प्रदेश के दो दवा निर्माताओं, उत्तराखंड के तीन निर्माताओं, हरियाणा के एक डिपो और झारखंड के रांची स्थित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के मुख्य स्टॉकधारक पर विस्तृत जांच की। इसके अलावा, औषधि विभाग ने 279 प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया और अधिकारियों ने कोडीन आधारित कफ सिरप के निर्माण, भंडारण, खरीद, बिक्री और वितरण से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए। जांच में यह भी पता चला कि यह रैकेट वाराणसी, गाजियाबाद और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैला हुआ था, जहां यह गतिविधि अन्य जिलों की तुलना में अधिक संगठित और नियमित प्रतीत होती थी।

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कैसे काम करता था पूरा रैकेट?

एसटीएफ अधिकारियों ने सबसे पहले झारखंड की एक कंपनी का पता लगाया, जिसने कथित तौर पर एक निर्माता से लगभग 100 करोड़ रुपये मूल्य की कफ सिरप खरीदी थी, जो अब बंद हो चुकी है। इसके बाद सिरप की कथित तौर पर झारखंड के रास्ते बांग्लादेश में तस्करी की गई। यह भी पता चला कि कंपनी कथित तौर पर उत्तर प्रदेश के कुछ लोगों द्वारा चलाई जा रही थी। जांचकर्ताओं ने कार्यप्रणाली समझाते हुए बताया कि कंपनी फर्जी बिलों का इस्तेमाल करके और केवल कागजों पर मौजूद प्रतिष्ठानों को सूचीबद्ध करके उत्तर प्रदेश में बिक्री को गलत तरीके से दर्ज करती थी, जिससे स्टॉक की आवाजाही को छिपाने के लिए प्रॉक्सी लेनदेन किए जाते थे। कई मामलों में आवश्यक खरीद-बिक्री रजिस्टर गायब थे, जो स्टॉक के प्रवाह को जानबूझकर छिपाने के प्रयासों की ओर इशारा करते हैं। जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि बड़ी मात्रा में ये हेराफेरी की गई दवाएं अवैध तस्करी नेटवर्क में प्रवेश कर रही थीं। दुरुपयोग विशेष रूप से लखनऊ, लखीमपुर खेरी और बहराइच को जोड़ने वाले मार्गों पर व्यापक रूप से फैला हुआ प्रतीत हुआ, जहां से आपूर्ति नेपाल में तस्करी की जा रही थी। वाराणसी और गाजियाबाद में भी इसी तरह के पैटर्न देखे गए, जहां तस्करी के मार्ग बांग्लादेश तक फैले हुए बताए जाते हैं। हिमाचल से कफ सिरप मंगाया जाता। गाजियाबाद के गोदाम में रखा जाता और फिर बिहार, बंगाल, नेपाल और बांग्लादेश तक इसकी तस्करी होती। जब मामला खुला तो आरोपियों के नाम सामने आए और फिर वायरल होनी शुरू हुई तस्वीरें।

अखिलेश ने बुलडोजर एक्शन पर भी उठाए सवाल

शुभम जायसवाल, अमित सिंह टाटा और आलोक सिंह की तस्वीरें जौनपुर के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता धनंजय सिंह के साथ वायरल होने लगी। कई सोशल मीडिया पोस्ट में धनंजय सिंह ने अमित सिंह टाटा, आलोक सिंह और शुभम जायसवाल को अपना छोटा भाई बताया। अलग-अलग इंटरव्यूज में भी धनंजय ने तीनों के साथ अपने रिश्ते को नकारा नहीं। लेकिन उनका यह भी कहना है कि उन्हें इस पूरे सिंडिकेट की कोई जानकारी नहीं थी। समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि इन आरोपियों को धनंजय सिंह के जरिए यूपी सरकार का संरक्षण प्राप्त है। अखिलेश यादव ने एक इंटरव्यू के दौरान तंज कसा कि मिर्जापुर में कालीन भैया और जौनपुर में कोडिन भैया हैं। अखिलेश यादव ने खुलकर धनंजय सिंह का नाम नहीं लिया लेकिन सबको पता है कि वह जौनपुर में किसकी बात कर रहे हैं। अखिलेश यादव ने बुलडोजर कारवाई पर भी तंज कसा और कहा कि इन आरोपियों के घरों पर अब तक बुलडोजर कारवाई क्यों नहीं हुई?

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विधानसभा में योगी ने दिया जवाब

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कोडीन युक्‍त कफ सिरप के मुद्दे पर विपक्षी दल समाजवादी पार्टी को घेरा और कहा कि समय आने पर बुलडोजर एक्‍शन भी होगा। सीएम ने कहा कि आप इसकी गहराई में जाएंगे तो घूम फिरकर वही मामला है, कहीं न कहीं वो सब समाजवादी पार्टी नेता या उनसे जुड़ा हुआ कोई न कोई व्यक्ति सामने आता है। कोई भी अपराधी छूटने नहीं पाएगा, चिंता मत करिए। सदन में चर्चा के दौरान सीएम योगी ने दिल्ली और यूपी के नेताओं की तुलना करते हुए कहा कि देश में दो 'नमूने' हैं, जिनमें से एक यहां बैठते हैं। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि यहां वाले 'बबुआ' भी जल्द ही इंग्लैंड की सैर सपाटे पर चले जाएंगे। उत्तर प्रदेश सरकार में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने भी आरोपियों की तस्वीर अखिलेश यादव के साथ शेयर की। कोडिन कप सिरप के मामले में सरकार बहुत गंभीरता पूर्वक कारवाई कर रही है। जो भी इस मामले में दोषी अपराधी होंगे वह बख्शे नहीं जाएंगे।

पूरे मामले पर जांच की वर्तमान स्थिति क्या है?

उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले में पहली एफआईआर 18 अक्टूबर को सोनभद्र में कोडीन कफ सिरप की 1 लाख से अधिक बोतलों से भरे दो ट्रकों को रोककर दर्ज की थी। मौके पर ही तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। आरोपियों से पूछताछ के दौरान जांचकर्ताओं को नई जानकारी मिली जिससे पता चला कि इसमें एक बड़ा गिरोह शामिल था। इन सुरागों के आधार पर गाजियाबाद पुलिस ने सोनभद्र पुलिस के साथ संयुक्त अभियान शुरू किया। गाजियाबाद में संयुक्त छापेमारी में 15 लाख से अधिक सिरप की बोतलें जब्त की गईं और आठ और लोगों को गिरफ्तार किया गया। कुल मिलाकर, 52 जिलों में 332 फर्मों पर छापे मारे गए हैं और 31 जिलों में 133 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं। ये एफआईआर एनडीपीएस अधिनियम सहित विभिन्न कानूनों के तहत दर्ज की गई हैं। इनमें वाराणसी में 38 मामले, अलीगढ़ में 16, कानपुर में 8, गाजियाबाद में 6, महाराजगंज और लखनऊ में 4-4 और अन्य जिलों में 52 मामले शामिल हैं।

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