By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 17, 2020
निषाद ने दावा किया कि 1994 से अब तक केवल 10 फीसदी रिक्तियां ही भरी गई हैं। उन्होंने कहा ‘‘केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तो पिछड़ा वर्ग की रिक्तियों पर भर्ती का आंकड़ा लगभग शून्य है।’’ निषाद ने इन रिक्तियों पर अब तक भर्ती नहीं होने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग भी की। अन्नाद्रमुक के एन गोकुल कृष्णन ने कहा कि केंद्र सरकार के कार्यालयों और मेडिकल क्षेत्र में नौकरियों को लेकर समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों में अनिश्चितता और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू हुए 20 साल हो गए हैं लेकिन ये सिफारिशें अभी कागज पर ही हैं और केंद्रीय सेक्टर के कर्मचारियों में पिछड़ा वर्ग के कर्मियों की संख्या मुश्किल से पांच फीसदी ही है।