Wholesale Inflation: त्योहारों से पहले तोहफा, सितंबर में थोक महंगाई शून्य से नीचे रही

By रितिका कमठान | Oct 16, 2023

महंगाई को लेकर त्योहारों से पहले राहत भरी खबर देखने को मिल रही है। त्योहारों से पहले महंगाई पर लगाम लगाए जाने के प्रयास सफल होते दिख रहे है। खुदरा महंगाई के बाद अब थोक महंगाई भी त्योहार से पहले कम होने लगी है। आंकड़ों की मानें तो सितंबर महीने में कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। थोक महंगाई लगातार छठे महीने शून्य से भी कम रही है।

 

थोक कीमतों में गिरावट

जानकारी के मुताबिक सोमवार को ही थोक महंगाई के आंकड़े जारी किए गए है। इसके मुताबिक महंगाई दर -0.26 फीसदी यानी शून्य से 0.26 फीसदी कम रही है। इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि थोक स्तर पर महंगाई में और कीमतों में 0.26 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। अगस्त में थोक महंगाई दर 0.52 फीसदी नीचे थी। बता दें कि अप्रैल 2023 से लगातार ही थोक महंगाई शून्य से कम रही है।

 

वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक सितंबर महीने में प्राइमरी आर्टिकल्स के दाम काफी कम रहे है। महंगाई दर इस श्रेणी में जुलाई के दौरान 8.24 फीसदी थी। इसके बाद अगस्त में प्राइमरी आर्टिकल्स की कीमत में गिरावट देखने को मिली थी, जब दर 6.34 फीसदी पर पहुंची थी। वहीं अब सितंबर में ये गिरावट का दौर जारी रहा है। सितंबर में प्राइमरी आर्टिकल्स पर महंगाई दर कम होकर 3.70 फीसदी पर आ गई है।

 

ईंधन और बिजली में नरमी

थोक महंगाई ईंधन और बिजली के मामलों में कम हुई है। ये महंगाई अब 3.35 फीसदी हो गई है। हालांकि अगस्त और जुलाई में ये 6.03 फीसदी और 12.73 फीसदी पर था। 

 

खुदरा महंगाई हुई कम

बता दें कि खुदरा महंगाई लगातार कम हो रही है। सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी हुए हैं जिसके मुताबिक खुदरा महंगाई कम हो रही है। बता दें कि सितंबर में खुदरा महंगाई कम होकर 5.02 फीसदी पर आ गई है। वहीं बीते तीन महीनों के आंकड़े के दौरान ये स्तर सबसे कम है। अगस्त में खुदरा महंगाई 6.83 फीसदी थी।

प्रमुख खबरें

टीम इंडिया में बड़ा फेरबदल: गिल बाहर, टी20 वर्ल्ड कप 2026 से पहले चयनकर्ताओं का चौंकाने वाला फैसला

भारत का 1 ट्रिलियन डॉलर निर्यात लक्ष्य मुश्किल, वैश्विक मंदी बनी बड़ी चुनौती

Odisha में माओवादी शीर्ष नेता गणेश उइके ढेर, गृह मंत्री अमित शाह बोले - नक्सल मुक्त भारत की ओर बड़ा कदम

17 साल बाद लौटे तारिक रहमान, बांग्लादेश की राजनीति में लोकतंत्र की रक्षा का नया दांव