गणेश की मूर्तियों का चीन से आयात समझ से परे: निर्मला सीतारमण

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 25, 2020

चेन्नई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये आयात करने में कुछ भी गलत नहीं है पर गणेश की मूर्तियों का चीन से आयात किया जाना समझ से परे है। उन्होंने भाजपा की तमिलनाडु इकाई के कार्यकर्ताओं को वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि जो कच्चा माल देश में उपलब्ध नहीं है और उद्योग को उसकी जरूरत है, उसके आयात में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत अभियान पहल के बारे में कहा, ‘‘जो आयात उत्पादन को गति दे और रोजगार के अवसर बढ़ाये, उसमें कोई दिक्कत नहीं है। इस प्रकार का आयात किया जा सकता है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि हालांकि, अगर आयात रोजगार अवसर को नहीं बढ़ाता है और आर्थिक वृद्धि की मदद नहीं करता है, उससे आत्म निर्भर होने और भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि गणेश की मूर्ति मिट्टी से बनती है और हर साल गणेश चतुर्थी के मौके पर स्थानीय कुम्हारों से इसे हम खरीदते हैं।

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सीतारमण ने कहा, ‘‘लेकिन आज, आखिर क्यों गणेश की मूर्तियां भी चीन से आयात हो रही हैं... ऐसी स्थिति क्यों है...क्या हम मिट्टी से गणेश की मूर्ति नहीं बना सकते...?’’ उन्होंने साबुन रखने का डिब्बा, प्लास्टिक के सामान, अगरबत्ती जैसे सामान के आयात पर आश्चर्य जताया।उन्होंने कहा कि इस प्रकार के उत्पादों का स्थानीय स्तर पर घरेलू कंपनियों और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के विनिर्माण करने पर आत्म निर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि जो चीजें स्थानीय तौर पर उपलब्ध हैं, उसके आयात की जो स्थिति है, उसमें बदलाव की जरूरत है। आत्मनिर्भर अभियान के पीछे मूल मकसद यही है कि हम आत्म निर्भर बनें। उन्होंने कहा, ‘‘आत्म निर्भर भारत अभियान का मतलब यह नहीं है कि आयात बिल्कुल नहीं होना चाहिए।’’ सीतारमण ने कहा कि औद्योगिक वृद्धि और रोजगार सृजन के लिये आप जो भी जरूरत है, अयात करें। तमिल में अपने संबोधन में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र ‘मोदी सर’ के रूप में किया। उन्होंने अपनी पार्टी के दोबारा से केंद्र में सरकार बनाने के बाद पिछले एक साल में सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने हवलदार के पलानी की बहादुरी की सराहना करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। तमिलनाडु के पलानी उन 20 सैनिकों में शामिल थे जो लद्दाख में 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए।

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