By अभिनय आकाश | Jul 07, 2025
मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद भूमि विवाद में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम को चिह्नित करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने परिसर को विवादित संरचना कहने की याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा था कि जिस स्थान पर वर्तमान में शाही ईदगाह मस्जिद स्थित है, वहां मूलतः एक हिंदू मंदिर था।
कृष्ण जन्मभूमि मामला
1- न्यायालय में याचिका श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने दायर की थी।
2- इस विवादास्पद मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने की, जिन्होंने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
3- शुक्रवार को तय समय पर फैसला सुनाया गया।
मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा कानूनी विवाद चल रहा है, जो कथित तौर पर औरंगजेब के काल में बनी थी। हिंदू पक्ष ने आरोप लगाया है कि भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद यह ढांचा बनाया गया था।याचिकाकर्ता ने अदालत में यह भी दावा किया कि मस्जिद की दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के प्रतीक हैं। याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया है कि मुस्लिम पक्ष ने इसे मस्जिद साबित करने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत नहीं दिया है। इसके अलावा, आईएएनएस के अनुसार, उन्होंने कहा कि यह ढांचा आधिकारिक भूमि अभिलेखों (खसरा-खतौनी) में सूचीबद्ध नहीं है, इसका कोई नगरपालिका रिकॉर्ड नहीं है और इसके लिए कोई कर नहीं चुकाया गया है - इसलिए, इसे मस्जिद के रूप में मान्यता नहीं दी जानी चाहिए।
मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में अपनी दलीलें पेश कीं, याचिका का कड़ा विरोध किया और कहा कि शाही ईदगाह 400 साल से भी ज़्यादा समय से इस जगह पर मौजूद है। इसके अलावा, उन्होंने तर्क दिया कि ढांचे को विवादित घोषित करने की मांग 'निराधार' है और इसे खारिज किया जाना चाहिए। श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले पर हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों से सहमति जताई और याचिका को खारिज कर दिया, मथुरा की शाही ईदगाह को विवादित संपत्ति के रूप में वर्गीकृत करने से इनकार कर दिया। यह श्री कृष्ण जन्मभूमि के आसपास की ज़मीन पर दावों के संबंध में हिंदू पक्ष द्वारा दायर 18 याचिकाओं में से एक थी।