सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बिहार में वोटर लिस्ट में संशोधन का मामला, 10 जुलाई को होगी सुनावाई

इस मामले का उल्लेख वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने किया, जिन्होंने पुनरीक्षण प्रक्रिया की वैधता और समय पर चिंता जताते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को अग्रिम सूचना देने की भी अनुमति दी, जिसे मामले में एक पक्ष बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 10 जुलाई को सुनवाई करने पर सहमति जताई है। इस मामले का उल्लेख वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने किया, जिन्होंने पुनरीक्षण प्रक्रिया की वैधता और समय पर चिंता जताते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को अग्रिम सूचना देने की भी अनुमति दी, जिसे मामले में एक पक्ष बनाया गया है।
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चुनाव निकाय ने 24 जून को बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए एक अधिसूचना जारी की, जिससे संकेत मिलता है कि चुनाव से पहले मतदाता सूचियाँ नए सिरे से तैयार की जाएंगी। याचिका में आगामी राज्य विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची संशोधन की पारदर्शिता को लेकर चल रही चिंताओं के बीच चुनाव निकाय के फैसले पर सवाल उठाया गया है। गौरतलब है कि कई विपक्षी दलों ने भी चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के संशोधन के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और आरजेडी के मनोज झा ने चुनाव आयोग के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया और दावा किया कि यह संविधान का उल्लंघन है।
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मोइत्रा और झा के अलावा कई गैर सरकारी संगठनों ने भी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की है, जबकि चुनाव निकाय ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि उसने पुनरीक्षण प्रक्रिया पर अपने निर्देशों में कोई बदलाव नहीं किया है। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूचियों की एसआईआर करने के फैसले पर बढ़ती आलोचना के बीच, राज्य चुनाव निकाय ने रविवार को चुनावी फॉर्म जमा करने के लिए दस्तावेज़ आवश्यकताओं में ढील दी। मतदाता अब बिना किसी अनिवार्य दस्तावेज़ के पूरा फॉर्म जमा कर सकते हैं, जो बाद में प्रदान किए जा सकते हैं।
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