संसद में मर्यादा किसने तोड़ी तो कांग्रेस को ट्विटर से क्यों होने लगी शिकायत ?

By अंकित सिंह | Aug 14, 2021

संसद का मानसून सत्र भले ही खत्म हो गया है लेकिन राजनीति अभी जारी है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार देखने को मिल रहा है। संसद में कामकाज ना होने को लेकर सरकार विपक्ष पर आरोप लगा रही है तो वहीं विपक्ष का दावा है कि सरकार नहीं चाहती थी कि देश के मुद्दों पर चर्चा हो सके। हालांकि राज्यसभा में आखिरी दिन जो कुछ भी हुआ वह संसद को शर्मसार करने वाला है। इसे लेकर भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के दावे अलग-अलग है। सत्ता पक्ष इसे जहां विपक्ष का आरोप तांत्रिक प्रक्रिया बता रहा है तो वही विपक्ष इससे सरकार की साजिश का नाम दे रहा है। इसी मुद्दे पर हमने अपने प्रभासाक्षी के कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में चर्चा की। इस कार्यक्रम में हमेशा की तरह मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे।

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इसे को लेकर हमने प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे से सवाल पूछा तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से जब देश जूझ रहा था और व्यवस्थाएं चरमराती नजर आ रही थीं तब विपक्ष सरकार से बार-बार माँग कर रहा था कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाये ताकि महामारी से निपटने के उपायों पर चर्चा की जा सके लेकिन जब संसद के नियमित मॉनसून सत्र का आयोजन हुआ तो उसे विपक्षी दलों ने चलने नहीं दिया। जब हर क्षेत्र में 100 प्रतिशत कार्य पूरा करने पर जोर दिया जाता है तो ऐसे में यह निराशाजनक ही है कि हमारे देश की संसद के निचले सदन लोकसभा में 22 प्रतिशत और ऊपरी सदन राज्यसभा में 28 प्रतिशत कामकाज ही हो पाया। 


देखा जाये तो यह संसद का नियमित सत्र जरूर था लेकिन इसके लिए तैयारियां विशेष रूप से की गयी थीं। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए सत्र का आयोजन किया गया था। संसद परिसर में तमाम तरह के उपकरण लगाये गये थे ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके। यही नहीं सत्र से पहले भारत-चीन तथा अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर विपक्ष के बड़े नेताओं के साथ बैठकें कर केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने उन्हें यथास्थिति की जानकारी दी थी। लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठकों में भी सभी दलों को यह आश्वासन मिला था कि उनकी बात सुनी जायेगी। इसके अलावा सत्र की शुरुआत होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि विपक्ष तीखे से तीखे सवाल पूछे मगर सरकार को जवाब देने का समय भी दे लेकिन विपक्ष तो जैसे पहले से ही ठानकर बैठा था कि किसी कीमत पर संसद को काम नहीं करने दिया जायेगा और वह अपने अभियान में सफल भी रहा।


इसके अलावा हमने कांग्रेस और ट्विटर विवाद पर भी अपने कार्यक्रम में चर्चा की। हमने नीरज कुमार दुबे से जानना चाहा कि आखिर ट्विटर से कांग्रेस को किस बात की दिक्कत होने लगी। इसके जवाब में नीरज कुमार दुबे ने कहा कि राहुल गांधी फिलहाल खुद को सक्रिय दिखाना चाहते हैं। किसी भी तरह से सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। राहुल गांधी सरकार के खिलाफ सबसे मजबूत नेता बनना चाहते हैं। लेकिन उन्हें इस बात को भी ध्यान रखना होगा कि किसी की प्राइवेसी का हनन ना हो। आप किसी से मिलिए, उनकी पीड़ा को सुनिए लेकिन कहीं ना कहीं उनकी निजता का हनन ना करें। राहुल गांधी के खिलाफ ट्विटर को शिकायत की गई थी जिसके बाद एक्शन लिया गया है। राहुल गांधी को कानून के दायरे में रहकर भी राजनीतिक करनी चाहिए।

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अमर्यादित आचरण पर विपक्ष माफी मांगे,नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई हो: सरकार


राज्यसभा में जबरदस्त हंगामे के बाद सरकार ने कहा कि संसद में नियम तोड़ने व इस तरह का बर्ताव करने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। सरकार ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों को ओबीसी से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद और विधेयक नहीं लाने की धमकी दी थी। राज्यसभा में बुधवार को सुरक्षाकर्मियों की अभूतपूर्व तैनाती देखने को मिली थी ताकि विपक्षी सदस्यों के मेज पर चढ़ने जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। किंतु इसके बावजूद सदन में विपक्षी सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर नारेबाजी की और कागज फाड़कर उछाले तथा कुछ सदस्य आसन की ओर बढ़ने का प्रयास करते हुए सुरक्षाकर्मियों से उलझ गये थे। सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि संसद में नियम तोड़ने व इस तरह का बर्ताव करने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ ऐसी सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए कि कोई भी भविष्य में ऐसा करने का साहस नहीं करे। केंद्रीय मंत्रियों ने विपक्षी नेताओं पर मार्शलों के साथ धक्का- मुक्की करने का आरोप लगाया। केंद्रीय मंत्रियों की यह टिप्पणी तब आई है जब विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि राज्यसभा में बुधवार को उनके सदस्यों के साथ मार्शल ने धक्का मुक्की की और उनकी आवाज दबाने का प्रयास किया गया। सरकार की तरफ से आठ केंद्रीय मंत्री विपक्ष के आरोप का जवाब देने के लिये सामने आए। इनमें पीयूष गोयल,धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, मुख्तार अब्बास नकवी, अनुराग ठाकुर, प्रह्लाद जोशी, अर्जुन मेघवाल और वी. मुरलीधरन ने संयुक्त प्रेस वार्ता में इनका जवाब दिया। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष का ‘‘मेरे तरीके से नहीं तो किसी भी तरीके से नहीं’’ का रवैया बहुत निंदनीय है और देश भी ऐसे रुख की निंदा करता है। वहीं, सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि राज्यसभा में महासचिव की मेज नाचने और विरोध करने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि मानसून सत्र के दौरान संसद में जो हुआ, उसके लिए विपक्ष को देश से माफी मांगनी चाहिए। ठाकुर ने कहा कि मानसून सत्र में विपक्ष का एकमात्र एजेंडा सड़क से लेकर संसद तक अराजकता पैदा करना था। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने संवाददाताओं से कहा कि हम मांग करते हैं कि राज्यसभा के सभापति को नियम तोड़ने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार शुरू से ही सभी मुद्दों पर सकारात्मक एवं रचनात्मक चर्चा को तैयार थी लेकिन विपक्षी दल हंगामे की प्रतिस्पर्धा में लगे थे। वहीं, गोयल ने कहा कि विपक्ष ने पूरे सत्र के दौरान सिर्फ इसलिए दुर्व्यहवार किया, क्योंकि वे जन कल्याण के मुद्दों पर चर्चा नहीं होने देना चाहते थे। यह मांग की गई है कि विपक्ष के ऐसे शर्मनाक और अवरोधक व्यवहार के लिए उस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कांग्रेस एवं विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि संसद में कामकाज बाधित करना इनका नया ‘टूलकिट’ है ताकि ये अपना पर्दाफाश होने से खुद को बचा सकें। उन्होंने आरोप लगाया कि लोकतंत्र के मंदिर की गरिमा को आघात पहुंचाया गया है। 

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सरकार ने संसद में चर्चा कराने की मांग नहीं मानी, संसदीय लोकतंत्र के सम्मान को कम किया: विपक्ष


विपक्ष के 11 मुख्य राजनीतिक दलों ने सरकार पर संसद में चर्चा कराने की मांग नहीं मानने का आरोप लगाया और दावा किया कि राज्यसभा में कुछ महिला सदस्यों समेत कई सांसदों से धक्कामुक्की ऐसे लोगों ने की, जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा नहीं थे। विपक्षी दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान में सरकार के ‘अधिनायकवादी रुख’ और ‘अलोकतांत्रिक कदमों’ की निंदा की और कहा कि राज्यसभा जो कुछ हुआ वह हैरान करने वाला तथा सदन की गरिमा और सदस्यों का अपमान है। उन्होंने सरकार पर चर्चा कराने की मांग नहीं मानने का आरोप लगाया और कहा कि वह पेगासस मामले पर चर्चा करने से भाग रही है। संयुक्त बयान पर राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिाकर्जुन खड़गे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, द्रमुक के टीआर बालू समेत 11 दलों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में बुधवार को जो हुआ वह हैरान करने वाला, अप्रत्याशित, दुखद और सदन की गरिमा और सदस्यों का अपमान था...इस सरकार ने संसदीय लोकतंत्र के सम्मान को कम किया है। विपक्षी नेताओं ने यह दावा किया कुछ महिला सांसदों समेत सदन के कई सदस्यों के साथ ऐसे बाहरी लोगों ने धक्कामुक्की की, जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा नहीं है। 

भारत की राजनीतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला कर रहा है ट्विटर: राहुल


कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना ट्विटर अकाउंट बंद (लॉक) किये जाने को लेकर खड़े हुए विवाद की पृष्ठभूमि में इस माइक्रोब्लॉगिंग मंच पर जमकर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह अमेरिकी कंपनी भारत की राजनीतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रही है तथा लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला कर रही है। उन्होंने यह दावा भी किया कि ट्विटर पक्षपातपूर्ण है और वह सरकार के कहे मुताबिक काम कर रहा है। कुछ दिनों पहले ही दिल्ली में कथित दुष्कर्म एवं हत्या की पीड़िता नौ वर्षीय बच्ची के माता-पिता से मुलाकात की तस्वीर साझा करने को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष का ट्विटर अकाउंट बंद किया गया था। दूसरी तरफ, ट्विटर ने कहा है कि उसने ये कदम नियमों के तहत उठाए हैं। राहुल गांधी ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि मेरा ट्विटर अकाउंट बंद करके वे हमारी राजनीतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं। एक कंपनी हमारी राजनीति का दायरा तय करने के लिए अपने कारोबार का उपयोग कर रही है। एक नेता के तौर पर मैं इसे पसंद नहीं करता। उन्होंने दावा किया कि यह हमारे देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है। यह राहुल गांधी पर हमला नहीं है। सिर्फ यह नहीं है कि राहुल गांधी का अकाउंट बंद कर दिया गया। मेरे पास 1.9 करोड़ से दो करोड़ के बीच फॉलोवर हैं। आप उन्हें अपने विचार रखने के अधिकार से वंचित कर रहे हैं। आप यही कर रहे हैं।


राहुल सिर्फ ट्विटर पर सक्रिय थे, वहां से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया: भाजपा


भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राहुल गांधी के ट्विटर अकाउंट को नियमों के उल्लंघन के आरोप में अस्थायी रूप से बंद (लॉक) किये जाने को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष पर निशाना साधा और कहा कि यही वह एकमात्र जगह थी, जहां वह सक्रिय थे लेकिन उन्हें अब वहां से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।भाजपा सांसद व पार्टी की युवा इकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने कहा कि राहुल गांधी को अपना ट्विटर अकाउंट बहाल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नये सोशल मीडिया नियमों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह वही कांग्रेस है जिसने सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को ‘‘सशक्त’’ बनाने के लिए बनाए गए नए नियमों का विरोध किया था और सरकार पर हमले किए थे। सूर्या ने कहा कि एक बलात्कार पीड़िता के परिवार के सदस्यों की तस्वीर ट्वीट करने के बाद राहुल गांधी अभिव्यक्ति की आजादी के तर्क की आड़ नहीं ले सकते। दिल्ली में नौ साल की पीड़िता की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। उन्होंने जो किया वह ‘‘असभ्य, अवैध और अमानवीय’’ था। कानून परिवार का पता और विस्तृत जानकारी सहित बलात्कार पीड़िता की पहचान सार्वजनिक करने की इजाजत नहीं देता है। इसे ही मुद्दा बनाकर भाजपा राहुल गांधी को कटघरे में खड़ा कर रही है। हालांकि, कांग्रेस ने तर्क दिया है राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और भाजपा के एक सांसद ने भी परिवार की तस्वीर साझा की थी।


- अंकित सिंह

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