दिल्ली में हुआ NCT सरकार (संशोधन) अधिनियम प्रभावी, केजरीवाल नहीं अब LG के हाथ में शहर की बागडोर

By रेनू तिवारी | Apr 28, 2021

नयी दिल्ली। दिल्ली में कोरोना वायरस से हालात हर दिन भयानक से भयानक होते जा रहे हैं। देश की राजधानी को लोग अब छोड़ कर भाग रहे हैं। आलाम तो यह है कि हर दिन यहां लोग मौत की सांस ले रहे हैं। अस्पतालों में डॉक्टर्स हताश है कि ये दिन भगवान किसी को न दिखाये। अपनों को लेकर लोग इधर-उधर दौड़ रहे हैं ताकि उनकी जिंदगी बचा सकें। लोगों की हर कोशिश फेल हो रही है। ऑक्सीजन की भारी कमी के कारण लोगों के दम निकल रहे हैं। शमशान घरों में चिता जलाने के लिए लकड़ियां कम है, दह संस्कार के लिए  नये शमशान बनाए जा रहे हैं ताकि लोग अपनों का अंतिम संस्कार कर सकें। मौजूदा हालात यह है कि शमशान घटों पर लोग अपनों का शव लेकर 20-25 घंटों से इंजतार कर रहे हैं। 

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कोरोना हालत से दिल्ली सरकार के हाथ पैर फूले

पूरे देश में इस समय कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने तबाही मचा रखी है। भारत को कई विदेशी देश मदद भी कर रहे हैं लेकिन हालात ऐसे हैं कि उनपर काबू नहीं किया जा पा रहा। दिल्ली में हर दिन कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा बढ़ाता जा रहा है। ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण लगातार लोग दम तोड़ रहे हैं। दिल्ली के हालात पर कोर्ट ने भी सख्ती अपनायी है और सरकार को हालात को कंट्रोल करने के लिए कहा है। दिल्ली सरकार हर दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस तो कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर सुधान देखने को नहीं मिल रहे हैं। पिछले दो हफ्तों से दिल्ली में कर्फ्यू लगा है लेकिन मामलों में कोई गिरावट देखने को नहीं मिली है। ऐसे में अब दिल्ली की कोरोना वायरस से जंग जीतने की कमान केंद्र सरकार ने अपने हाथ में ले दी है।   

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दिल्ली में एनसीटी सरकार (संशोधन) अधिनियम हुआ प्रभावी 

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 2021 को लागू कर दिया गया है जिसमें शहर की चुनी हुई सरकार के ऊपर उपराज्यपाल को प्रधानता दी गई है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक अधिनयम के प्रावधान 27 अप्रैल से लागू हो गए हैं। नए कानून के मुताबिक , दिल्ली सरकार का मतलब ‘उपराज्यपाल’ होगा और दिल्ली की सरकार को अब कोई भी कार्यकारी फैसला लेने से पहले उपराज्यपाल की अनुमति लेनी होगी।

राज्य सरकार की छिन जाएंगी सारी शक्तियां 

गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन के हस्ताक्षर के साथ जारी अधिसूचना में कहा गया, ‘‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) अधिनियम, 2021 (2021 का 15) की धारा एक की उपधारा -2 में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 27 अप्रैल 2021 से अधिनियम के प्रावधानों को लागू करती है।’’ उल्लेखनीय है कि संसद ने इस कानून को पिछले महीने पारित किया था। लोकसभा ने 22 मार्च को और राज्य सभा ने 24 मार्च- को इसको मंजूरी दी थी। जब इस विधेयक को संसद ने पारित किया था तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘‘भारतीय लोकतंत्र के लिए दुखद दिन’ करार दिया था।

GNCTD अधिनियम क्या होता है 

GNCTD अधिनियम, 1991 दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) विधान सभा और सरकार के कामकाज के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। अधिनियम विधान सभा और उपराज्यपाल की कुछ शक्तियों और जिम्मेदारियों में संशोधन करता है।

2021 संशोधन यह प्रदान करता है कि विधान सभा द्वारा बनाए गए किसी भी कानून में निर्दिष्ट "सरकार" शब्द उपराज्यपाल (एलजी) को प्रभावित करेगा। संशोधन विधानसभा में व्यापार की प्रक्रिया और आचरण को विनियमित करने के लिए नियम बनाने की अनुमति देता है। संशोधन प्रदान करता है कि इस तरह के नियम लोकसभा में व्यापार की प्रक्रिया और आचरण के नियमों के अनुरूप होना चाहिए।

यह विधान सभा को स्वयं या उसकी समितियों को सक्षम करने के लिए कोई भी नियम बनाने से प्रतिबंधित करता है:

(i) दिल्ली के एनसीटी के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के मामलों पर विचार करना

(ii) प्रशासनिक निर्णयों के संबंध में कोई भी जांच करना। इसके अलावा, संशोधन प्रदान करता है कि इसके अधिनियमन से पहले बनाए गए ऐसे सभी नियम शून्य होंगे। संशोधन के लिए एलजी को राष्ट्रपति के विचार के लिए विधान सभा द्वारा पारित कुछ विधेयकों को आरक्षित करने की आवश्यकता होती है। जिसे राष्ट्रपति आरक्षित किए जाने का निर्देश दे सकता है

(iii) अध्यक्ष, उपसभापति और विधानसभा के सदस्यों और मंत्रियों के वेतन और भत्ते, या (iv) आधिकारिक भाषाओं से संबंधित है। दिल्ली की विधानसभा या एनसीटी। संशोधन के लिए एलजी को राष्ट्रपति के लिए उन विधेयकों को भी आरक्षित करने की आवश्यकता होती है जो विधान सभा की शक्तियों के दायरे से बाहर किसी भी मामले को कवर करते हैं। यह भी निर्दिष्ट करता है कि सरकार द्वारा सभी कार्यकारी कार्रवाई, चाहे मंत्रियों की सलाह पर की गई हो या अन्यथा, एलजी के नाम पर लिया जाना चाहिए। संशोधन में कहा गया है कि एलजी द्वारा निर्दिष्ट कुछ मामलों पर, मंत्री / मंत्रिपरिषद के निर्णयों पर कोई कार्यकारी कार्रवाई करने से पहले उनकी राय लेनी चाहिए। 

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