Jan Gan Man: VHP को क्यों लग रहा है कि रामचरितमानस संबंधी विवाद हिंदुओं को बाँटने की साजिश है?

By नीरज कुमार दुबे | Jan 31, 2023

नमस्कार, प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम जन गण मन में आप सभी का स्वागत है। सैंकड़ों वर्षों से हिंदुओं की आस्था और करोड़ों देशवासियों के लिए जीवन दर्शन के प्रतीक रामचरितमानस को हाल ही में बिहार के शिक्षा मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर चंद्रशेखर ने नफरती ग्रंथ बताया तो उसके कुछ दिनों बाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरितमानस के लिए अपमानजनक बातें कहीं। उनके बयान से उत्साहित होकर उनके समर्थकों ने रामचरितमानस की प्रतियां फाड़ने का अपराध भी कर डाला। लेकिन ना तो राष्ट्रीय जनता दल ने अपने नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई की ना ही समाजवादी पार्टी ने। समाजवादी पार्टी ने तो उल्टा स्वामी प्रसाद मौर्य को पुरस्कार स्वरूप पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव पद भी सौंप दिया। सवाल उठता है कि क्या राष्ट्रीय जनता दल और समाजवादी पार्टी के नेताओं की ओर से की गयी यह हरकत लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव की ओर से मंडल-कमंडल वाली राजनीति को दोहराये जाने की शुरुआत है?


इस मुद्दे पर जब विश्व हिंदू परिषद की प्रतिक्रिया चाही गयी तो परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक वीडियो संदेश जारी कर आरोप लगाया कि रामचरितमानस के खिलाफ हाल के दिनों में किया गया विरोध हिन्दू समाज को तोड़ने के समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के षड्यंत्र का हिस्सा है और यह कभी सफल नहीं होगा। आलोक कुमार ने कहा कि प्रभु राम भारत की राष्ट्रीय एकता एवं सद्भाव के प्रतीक हैं और सदैव बने रहेंगे।


विहिप के कार्याध्यक्ष ने अपने वीडियो संदेश में कहा, ‘‘हाल में हमने देखा है कि रामचरितमानस पर प्रतिबंध की मांग की गई, इसके पन्ने जलाए गए और कहा गया कि यह दलितों, महिलाओं और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) विरोधी है।’’ उन्होंने कहा कि सवाल यह उठता है कि यह विरोध सब जगह अचानक एक साथ कैसे शुरू हुआ। आलोक कुमार ने कहा, ‘‘जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने (रामचरित मानस के खिलाफ) कहा तो हमने अंदाजा लगाया कि यह उनका व्यक्तिगत विचार होगा लेकिन समाजवादी पार्टी ने उन्हें दो ही दिन बाद पार्टी का राष्ट्रीय महामंत्री बना दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसी प्रकार बिहार में भी मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने जो कहा, उसे लेकर उनकी पार्टी ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।’’

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आलोक कुमार ने कहा कि ऐसे में यह निश्चित ही सपा और लालू प्रसाद यादव की पार्टी की राजनीति का अगला कदम है, जिनका मकसद ‘‘अनुसूचित समाज के लोगों को हिंदू समाज से तोड़ना और अगले चुनाव की बिसात बिछाना है।’’ उन्होंने कहा, ''इस प्रकार का गठबंधन एक षड्यंत्र का हिस्सा है और यह कभी सफल नहीं होगा।’’ आलोक कुमार ने कहा, ‘‘प्रभु राम लोगों को जोड़ने वाले हैं और वह 14 वर्ष जंगलों में नंगे पांव घूमकर समाज के सभी वर्गों के लोगों से मिलते रहे। इस मजबूत रिश्ते को ना तो आज तक कोई तोड़ पाया है और न कोई तोड़ पाएगा।’’ विहिप के कार्याध्यक्ष ने कहा कि जो लोग इस तरह का कार्य करके समाज की एकता को तोड़ने का प्रयास करते हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद कानून और संविधान के तहत सड़क से अदालत तक ऐसे कृत्य का विरोध करेगा।


दूसरी ओर, इस मुद्दे पर रामनगरी अयोध्या के संतों का आक्रोश भी देखते ही बन रहा है। अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने तो समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का सिर कलम करने वाले को 21 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा तक कर डाली है। उनका यह भी कहना है कि समाजवादी पार्टी जिस स्तर की राजनीति कर रही है वह देश और समाज के लिए घातक है।


बहरहाल, महंत राजू दास ने जो कहा वह उनकी अपनी निजी राय हो सकती है। हिंदू संतों को किसी भी प्रकार की भड़काऊ बात कहने से बचना चाहिए। हिंदू सहिष्णु समाज के रूप में देखा जाता है और उसकी यह छवि बनी रहे यही अच्छा है। हिंदू समाज कानून का पालन करने वाला नागरिक है और चाहता है कि उसके आराध्यों और आस्था के बारे में जो भी अपमानजनक बातें कह रहा है उस पर कार्रवाई हो और उसे सजा मिले।


-नीरज कुमार दुबे

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