क्यों भारत को रूस से अलग नहीं किया जा सकता है, अमेरिका चाहकर भी आने वाले कई वर्षों तक ऐसा नहीं कर पाएगा, ये है वजह

By अभिनय आकाश | Jun 21, 2023

भारत और रूस की दोस्ती वर्षों पुरानी है। लेकिन इन दिनों कूटनीति कहे या मौजूदा जरूरत रूस के कट्टर दुश्मन अमेरिका से भी भारत की नजदीकियां पहले के मुकाबले काफी बढ़ी है। यूक्रेन जंग को लेकर चल रहे तनाव के बीच प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका रेड कॉरपेरट वेलकम कर रहा है। इस दौरे पर अमेरिका औऱ भारत के बीच तेजस फाइटर जेट के इंजर और प्रीडिएटर ड्रोन को लेकर समझौता होना है। इसके साथ ही अमेरिका ने भारत को कई अन्य हथियारों का ऑफर दिया है। अमेरिका और भारत की क़रीबी बहुत पुरानी नहीं है लेकिन सामरिक साझेदारी के तौर पर बहुत ही अहम है। अमेरिका की नजर भारत के डिफेंस बाजार पर भी है। जिस पर सालों से रूस का ही आधिपथ्य रहा है। 

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भारत के 80 फीसदी से ज्यादा हथियार रूस से संबंधित

भारत के 80 प्रतिशत से ज्यादा सैन्य उपकरण रूस से ही खरीदे जाते हैं। अमेरिकी इंस्टीट्यू ऑफ पीस के विशेषज्ञ की माने दोनों देशों के बीच हथियारों का ये 1960 के दशक का रिश्ता है। भारत के कुल हथियारों के जखीरे में 85 फीसदी रूसी मूल के हैं। रूस ने भारत को फाइटर जेट, परमाणु सबमरीन, क्रूज मिसाइल, युद्धक टैंक, क्लानिश्नकोव राइफल समेत कई घातक और अत्याधुनिक हथियार दिए हैं। 

दोस्ती का दम सुरक्षा का वादा

एस 400- जिसकी काट दुनिया के पास नहीं है।

ब्रह्मोस की रफ्तार का कोई तोड़ नहीं

टी-90 भीष्म टैंक का विध्वंसक वार से बचना आसान नहीं 

रॉकेट लॉन्चर बीएम-21 ग्रैंड गुस्ताखी करने वालों को खाक में मिला देता है

सुखोई छीन लेता है दुश्मनों की सांसे

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भारतीय सेना के ये वो हथियार हैं जिनके आगे दुश्मन के होश उड़ जाते हैं। ये वो हथियार हैं जो दुश्मन के लिए काल है। रूस से भारत को ये जांबाज मिले हैं जो हर नापाक हरकत पर माकूल जवाब देने की ताकत रखते हैं। रिश्तों के नए दौर में हिन्दुस्तान नई ऊंचाईयों को छू रहा है। रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच रिश्ता खरीदार और विक्रेता से बदलकर एक सहयोगी के रूप में हो चुका है। रूस अब भारत के साथ मिलकर हथियारों का निर्माण भी करने में लगा है। 

रूस ने अपने हथ‍ियार निर्यात का एक-तिहाई हिस्‍सा भारत को बेचा 

रूस के साथ भारत का रक्षा सौदा एस-400 और एके-203 राइफल तक ही सीमित नहीं है। रूस की तरफ से भारत की तीनों सेनाओं के लिए रक्षा उपकरण मुहैया कराई जाती है। भारतीय वायु सेना के रूसी मिग-29 और सुखोई-30 इसके कुछ जीवंत उदाहरण हैं। नौ सेना की बात करें तो रूसी जेट और पोत भी उसके बेड़े में शामिल हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो भारत और रूस के बीच एक मजबूत रक्षा सहयोग है। स्‍टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2010 से 2019 तक रूस ने अपने हथ‍ियार निर्यात का एक-तिहाई हिस्‍सा भारत को बेचा है। वर्तमान दौर में जल, थल और आसमान में हिन्दुस्तान की ताकत का कोई सानी नहीं है। भारतीय जवानों के साथ कदम से कदम मिलते हैं तो  दुश्मन के दिल हिलते हैं। 


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